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Saturday, 21 December, 2024
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अयोध्या और बद्रीनाथ में हार के बाद केदारनाथ उपचुनाव BJP के लिए बना नाक का सवाल, लगा रखा है एड़ी-चोटी का जोर

जुलाई में केदारनाथ के विधायक शैला रावत के निधन के कारण उपचुनाव की आवश्यकता पड़ी. पहाड़ी राज्य में हर साल हजारों हिंदू धर्मावलंबी और पर्यटक आते हैं.

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नई दिल्ली: नई सड़कों और शौचालयों के निर्माण से लेकर ऑडिटोरियम और खेल मैदानों के विकास तक, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले कुछ महीनों में केदारनाथ के लिए दर्जनों नई परियोजनाओं की घोषणा की है, जिससे विधानसभा क्षेत्र – जहां 20 नवंबर को उपचुनाव होगा – केंद्र में आ गया है. जुलाई में केदारनाथ के विधायक शैला रावत के निधन के कारण उपचुनाव की आवश्यकता पड़ी. रुद्रप्रयाग जिले में स्थित यह विधानसभा क्षेत्र पौड़ी गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जिस पर वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है.

रावत ने 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के टिकट पर यह सीट जीती है और इससे पहले 2012 में कांग्रेस विधायक के तौर पर इस सीट का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुने गए थे.

यह सीट भाजपा के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां केदारनाथ मंदिर है. उत्तराखंड के बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के साथ, केदारनाथ सबसे महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थलों में से एक, चार धाम यात्रा का हिस्सा है. पहाड़ी राज्य में हर साल हज़ारों हिंदू तीर्थयात्री और बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं.

कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की घोषणा करने के अलावा, धामी ने श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने की भी घोषणा की.

उत्तराखंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “मुख्यमंत्री ने वन-टाइम सेटलमेंट समझौते के तहत बीकेटीसी के अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने की घोषणा की है.”

वर्तमान में राज्य विधानसभा की 70 में से 46 सीटें भाजपा के पास हैं और उसका मुकाबला कांग्रेस से है. हालांकि कांग्रेस जून में हुए चुनावों में राज्य की सभी पांच लोकसभा सीटें हार गई थी, लेकिन जुलाई में बद्रीनाथ और हरिद्वार जिले के मंगलौर में हुए उपचुनावों में उसे जीत मिली.

केदारनाथ उपचुनाव की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि धामी ने कहा था कि जब तक कोई और विधायक नहीं आ जाता, तब तक वह केदारनाथ विधायक का काम करेंगे.

धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार इस अवसर का उपयोग राज्य में स्थिरता बनाए रखने के लिए विकास की अपनी नीतियों और योजनाओं को पेश करने के लिए करना चाहती है. बहुत कम समय में मुख्यमंत्री ने विधानसभा क्षेत्र के लिए कुल 39 परियोजनाओं की घोषणा की है.

सरकार द्वारा स्वीकृत विकास परियोजनाओं में मैथाना गांव के पनसिला क्षेत्र में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और गुप्तकाशी-मस्ता-कालीमठ सड़क का निर्माण भी शामिल है.

वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत अंधेरगढ़ी-धार टोलियां मोटर मार्ग का सुधारीकरण और डामरीकरण किया जाएगा. त्रियुगीनारायण-तोषी गरुड़चट्टी मार्ग को मंजूरी दे दी गई है. उन्होंने आगे बताया कि केदारनाथ-रामबाड़ा-राकाधार-चौमासी ट्रेक मार्ग के विकास के लिए 40 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं. उन्होंने बताया कि रुद्रप्रयाग जवाड़ी बाईपास पर 18 लाख रुपये की लागत से शौचालय भी बनाए जाएंगे.

एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि धामी ने 31 जुलाई को केदारनाथ क्षेत्र में भारी बारिश के दौरान लिनचौली से सोनप्रयाग तक पैदल और मोटर मार्ग को हुए नुकसान से प्रभावित व्यापारियों के लिए राहत के तौर पर केदारघाटी के लिए 56.30 लाख रुपये मंजूर किए हैं.

उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री धामी के निर्देशानुसार पूर्व में प्रभावित व्यापारियों के लिए 9.08 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की जा चुकी है.”

प्रतिष्ठा की लड़ाई

यूपी की फैजाबाद लोकसभा सीट, जिसमें अयोध्या भी शामिल है, और उत्तराखंड की बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर लगातार हार के बाद भाजपा ने भी अपना पूरा ध्यान इस सीट पर लगा दिया है.

इसने “भूमि जिहाद”, “लव जिहाद” और “थूक जिहाद” जैसे मुद्दे उठाए हैं. अक्टूबर की शुरुआत में धामी ने धर्मांतरण के अलावा इन मुद्दों पर विस्तार से बात की और कहा कि उत्तराखंड की “देवभूमि” (पवित्र भूमि) में ऐसी गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी.

देश में हिंदू साधुओं के सबसे बड़े समूह अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) ने उनके “थूक जिहाद” वाले बयान का स्वागत किया है. परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज ने हिंदू तीर्थयात्रा चार धाम यात्रा और कुंभ मेले के दौरान अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आह्वान किया है.

उपचुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है, क्योंकि कांग्रेस सीधे तौर पर भाजपा से भिड़ रही है और उस पर “केदारनाथ चुनाव से पहले हिंदू-मुस्लिम तनाव भड़काने” का आरोप लगा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आरोप लगाया कि हार के डर से भाजपा विभाजनकारी राजनीति कर रही है और वोट के लिए धर्म का इस्तेमाल कर रही है.

उदाहरण के लिए, 2 अक्टूबर को राज्य भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने राज्य में सख्त भूमि कानून लाने के धामी के वादे का स्वागत किया और कहा कि यह राज्य के मूल स्वरूप और जनसांख्यिकी की रक्षा के लिए पार्टी की प्रतिबद्धता है.

लेकिन सभी घोषणाओं को सकारात्मक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है. जुलाई में, केदारनाथ मंदिर के पुजारियों ने राष्ट्रीय राजधानी के बुराड़ी में इसी तरह के मंदिर के निर्माण का विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं के विपरीत है. जोशीमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी इस पहल की आलोचना की थी. धामी ने पिछले सप्ताह मंदिर की आधारशिला रखी.

कांग्रेस ने भी इस मुद्दे से निपटने के लिए भाजपा के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार की आलोचना की थी. उत्तराखंड कांग्रेस की गरिमा दसौनी ने दिप्रिंट से कहा, “जब केदारनाथ में आपदा आई थी, तो सीएम को केदारनाथ की याद नहीं आई और अब वे घोषणाओं की झड़ी लगा रहे हैं, क्योंकि वे अपनी सरकार के पापों को धोने की कोशिश कर रहे हैं. हिंदू सनातन धर्म के नाम पर सत्ताधारी पार्टी ने बहुत सारे गलत काम किए हैं.”

“केदारनाथ धाम जो प्रधानमंत्री के दिल के बहुत करीब है, उसे तब हल्के में लिया गया जब सीएम धामी ने खुद दिल्ली के बुराड़ी में प्रतीकात्मक केदारनाथ धाम मंदिर की नींव रखी.” उन्होंने भाजपा नेतृत्व पर मंदिर के भीतरी कक्ष से कथित तौर पर 228 किलो सोना चोरी होने पर चुप रहने का भी आरोप लगाया – यह आरोप इस साल जुलाई में अविमुक्तेश्वरानंद ने लगाया था.

उन्होंने कहा, “यह विवाद अभी भी नहीं सुलझा है. गर्भगृह से अक्सर तस्वीरें और वीडियो वायरल होते रहते हैं, जो प्रतिबंधित है और भाजपा नेता इन तस्वीरों को पोस्ट करते नजर आते हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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