आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास को राज्यसभा टिकट नहीं, पार्टी ने बाहरियों डॉक्टर सुशील गुप्ता और एन डी गुप्ता को नामांकित किया.
नयी दिल्लीः दो लगभग अपरिचित प्रत्याशियों को आम आदमी पार्टी की तरफ से राज्यसभा में नामांकित किए जाने से ताज़ा बवाल शुरू हो गया है, असुविधाजनक सवाल पूछे जा रहे हैं—डॉक्टर सुशील गुप्ता और एन डी गुप्ता कौन हैं? और, पार्टी ने उनको क्यों चुना है, जबकि वे ‘बाहरी’ हैं, अगर आआपा की पृष्ठभूमि देखें तो.
दोनों ही गुप्ताओं के नाम कुछ वरिष्ठ नेताओं के लिए हैरानी भरे हैं, खासकर विद्रोही कुमार विश्वास जैसों के लिए. विश्वास के समर्थक चाहते थे कि वे राज्य सभा में भेजे जाएं. पार्टी सूत्रों ने बताया कि आआपा नेता आशुतोष भी राज्यसभा की सीट पर आंख गड़ाए थे.
सूत्रों के मुताबिक, विश्वास ने 8-9 महीने पहले ही अपनी संभावनाएं खत्म कर ली थीं, जब उन्होंने पार्टी को तोड़ने का कथित तौर पर प्रयास किया था. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जुड़े विधायकों ने विश्वास और उनके समर्थकों के बीच की बातचीत रिकॉर्ड कर ली थी और उनकी साख मिटाने के लिए पार्टी के कुछ चुनिंदा लोगों के समूह में वह ऑडियो क्लिप सुना दी थी.
दिल्ली से तीन राज्यसभा सीटें 27 जनवरी को खाली होंगी.
सुशील गुप्ता और एन डी गुप्ता की आआपा से गलबंहियां कुछ महीने पहले ही शुरू हुई हैं. सुशील गुप्ता पहले कांग्रेसी थे, एन डी गुप्ता एक सुप्रसिद्ध चार्ट्ड अकाउंटेंट हैं. ये केजरीवाल के संपर्क में कुछ महीने पहले ही आए हैं.
सुशील गुप्ता 2013 में मोतीनगर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेसी उम्मीदवार थे. कुलदीप सिंह चन्ना उनके खिलाफ आआपा प्रत्याशी थे. हालांकि, दोनों ही भाजपा के सुभाष सचदेव से चुनाव हार गए थे.
सुशील गुप्ता ने इसके पहले लोकसभा सीट की भी कोशिश की थी. वह दिल्ली और हरियाणा में गंगा इंटरनेशनल स्कूल के नाम से शैक्षिक संस्थान भी चलाते हैं. पश्चिमी दिल्ली में उनका महाराजा अग्रसेन अस्पताल भी चलता है.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जे पी अग्रवाल ने दिप्रिंट को बताया, “उनको पहली बार 2013 में कांग्रेस का टिकट मिला, जब दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने उनको मोतीनगर सीट से लड़ाया था. बाद में माकन ने उनको दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति का कोषाध्यक्ष बना दिया था”.
सुशील गुप्ता भी कांग्रेस के व्यापारी मोर्चा से संबद्ध थे. उन्होंने कांग्रेस से 28 नवंबर को इस्तीफा दिया था. दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने ट्वीट किया है, ‘जब मैंने उनसे वजह पूछी, तो उन्होंने कहा कि आआपा ने उनको राज्यसभा सीट का वायदा किया है. सुशील अपनी चैरिटी (9) के लिए जाने जानेवाले अच्छे इंसान है’.
पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट, एन डी गुप्ता की कराधान के नियमों पर अच्छी पकड़ है. उन्होंने कराधान (टैक्सेशन) पर कई किताबें लिखी हैं और जीएसटी के लिए पेशेवरों की स्पेशल क्लास भी ली है.
वह एक वित्तीय परामर्शदात्री कंपनी एनडीजी ग्लोबल चलाते हैं, जो 2000 की शुरुआत में बनी थी. उनके बेटे नवीन गुप्ता भी सीए हैं और अभी वे आइसीएआई (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स) के उपाध्यक्ष हैं.
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के शोध (रिसर्च)-प्रमुख, जगन्नाथन थुंगतला कहते हैं, “सीए जो हैं, उनके बीच एन डी गुप्ता की काफी साख है और मैंने उनके साथ काम किया है. मैं संसद के उच्च सदन में उनके नामांकन पर बधाई देता हूं”.
दोनों ही गुप्ता पिछले कुछ महीनों से ही केजरीवाल के संपर्क में आए और उन्होंने जीएसटी पर आआपा की रणनीति बनाने में मदद की. जहां सुशील गुप्ता ने केजरीवाल को दिल्ली में व्यापारियों द्वारा झेली जा रही दिक्कतें बतायीं, वहीं एन डी गुप्ता ने नए टैक्स सिस्टम की तकनीकी और कानूनी जानकारी दी.
एक आआपा विधायक ने कहा, “हमने दोनों को हाल ही में केजरीवाल जी के साथ देखा और वे मनीष भाई (सिसोदिया) से भी मिलते थे. हालांकि, हमने सोचा कि वे बस विशेषज्ञ हैं, जो आर्थिक मसलों पर हमारी राजनीतिक रणनीति तैयार करने में मदद कर रहे हैं. कभी सोचा नहीं था कि वे राज्यसभा का नामांकन पा जाएंगे”.