नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को तमिलगा वेत्रि कषगम (टीवीके) के संस्थापक विजय से बात कर करूर में रविवार को उनकी रैली के दौरान हुई भगदड़ में हुई मौतों पर संवेदना व्यक्त की. कांग्रेस सूत्रों ने इस बारे में जानकारी दी.
दक्षिण अमेरिका दौरे पर गए राहुल गांधी ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) प्रमुख एम.के. स्टालिन से भी इस हादसे को लेकर बात की. स्टालिन ने ‘एक्स’ पर राहुल गांधी को इस कॉल के लिए धन्यवाद दिया. वहीं, विजय की ओर से इस बातचीत पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई. विजय डीएमके को अपना राजनीतिक प्रतिद्वंदी और बीजेपी को वैचारिक विरोधी मानते हैं.
हालांकि, यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब 2026 विधानसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु कांग्रेस का एक वर्ग सत्तारूढ़ डीएमके के साथ गठबंधन की स्थिति को लेकर असहज है.
पिछले हफ्ते, तमिलनाडु कांग्रेस विधानमंडल दल (सीएलपी) के नेता एस. राजेशकुमार ने बयान दिया था कि 2021 चुनाव में डीएमके गठबंधन के तहत कांग्रेस को 25 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार पार्टी को ज्यादा सीटों की मांग करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस हाईकमान को अगली बार डीएमके-कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाने की कोशिश करनी चाहिए.
इसी बीच, करूर से कांग्रेस सांसद ज्योतिमणि और डीएमके नेता वी. सेंथिल बालाजी के बीच तनातनी हो गई. आरोप है कि बालाजी कांग्रेस नेताओं को तोड़कर डीएमके में ला रहे थे. ज्योतिमणि राहुल गांधी की करीबी मानी जाती हैं.
ज्योतिमणि ने इस पर कड़ा विरोध जताया और एक्स पर लिखा कि गठबंधन धर्म दोतरफा होना चाहिए और कांग्रेस ऐसे “अपमान” को कभी बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कहा, “यह पहली बार नहीं हुआ है. गठबंधन सिद्धांतों, आपसी समझ, सहयोग, विश्वास और सम्मान की नींव पर खड़ा होता है. इन मूल्यों पर समझौता नहीं किया जा सकता. करूर से कांग्रेस सांसद होने के नाते यह मेरा कर्तव्य और जिम्मेदारी है कि मैं इस पर प्रतिक्रिया दूं और कांग्रेस की आत्मसम्मान की रक्षा करूं. ऐसा अपमान अनदेखा नहीं किया जा सकता.”
बालाजी ने बाद में अपना पोस्ट हटा दिया. जुलाई में भी दोनों दलों के बीच विवाद हुआ था जब डीएमके के राज्यसभा सांसद तिरुची शिवा ने कहा था कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता के. कामराज बिना एयर-कंडीशनर के सो नहीं पाते थे. उस समय कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और हालात को शांत करने के लिए स्टालिन को दखल देना पड़ा था.
सोमवार को दिप्रिंट से बात करते हुए तमिलनाडु के एक कांग्रेस सांसद ने कहा कि “राज्य कांग्रेस से ज्यादा डीएमके को राहुल का विजय को किया गया फोन जानने में दिलचस्पी होगी. आधिकारिक रूप से यह केवल संवेदना जताने के लिए किया गया कॉल था. ध्यान देना चाहिए कि विजय ने भी राहुल गांधी को तब बधाई दी थी जब वे लोकसभा में विपक्ष के नेता बने थे. इस कॉल को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए. कांग्रेस और डीएमके का गठबंधन समय-परीक्षित है. हमने साथ मिलकर दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव लड़े हैं. हां, राज्य कांग्रेस में ज्यादा सीटों की मांग करने की आवाजें उठ रही हैं, लेकिन ऐसे फैसले चुनाव से पहले हाईकमान लेता है.”
सांसद ने कहा कि फिलहाल कांग्रेस का डीएमके के साथ रिश्ता मजबूत है. “जब हम एक शादी में हैं, तो दूसरी की बात क्यों करें? बस हम यही उम्मीद करते हैं कि सीट बंटवारे के दौरान पार्टी की सामान्य आंतरिक प्रक्रिया चले.”
तमिलनाडु के एक निजी विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुनीलकुमार वी. ने कहा कि राजनीति में हर कदम रणनीति से भरा होता है, लेकिन राहुल का विजय को फोन करना इस बात का संकेत है कि वे राज्य की जनता की भावनाओं से जुड़े रहने और अपनी राजनीतिक मौजूदगी मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “तमिलनाडु में राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी की तुलना में ज्यादा सद्भावना हासिल है और ऐसे कदम उनकी सकारात्मक छवि को बनाए रखने में मदद करते हैं.”
राजनीतिक विश्लेषक सुमंथ रामन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कांग्रेस डीएमके का साथ छोड़ेगी. “वे सिर्फ शोर मचाएंगे ताकि सीटों के लिए ज्यादा दबाव बना सकें, लेकिन गठबंधन तोड़ेंगे नहीं.”
डॉ. सुनीलकुमार वी. ने भी कहा कि कांग्रेस टीवीके को फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन डीएमके के साथ गठबंधन उसकी रणनीति का केंद्र है. उन्होंने कहा, “कांग्रेस-डीएमके गठबंधन को चुनावी राजनीति में स्वाभाविक माना जाता है. लोकसभा चुनाव में यह गठबंधन कांग्रेस के लिए फायदेमंद होता है, जबकि विधानसभा चुनाव में डीएमके को ज्यादा लाभ मिलता है. कांग्रेस की जमीनी पकड़ तमिलनाडु में कमज़ोर है, कन्न्याकुमारी छोड़कर, लेकिन डीएमके के साथ गठबंधन में उसने हमेशा अकेले चुनाव लड़ने से बेहतर प्रदर्शन किया है.”
डीएमके प्रवक्ता टी.के.एस. इलंगोवन ने दिप्रिंट से कहा कि राहुल का विजय को किया गया कॉल राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. “एक राजनीतिक दल के नेता ने दूसरे को उनकी रैली में भगदड़ से हुई मौतों पर दुख जताने के लिए फोन किया. इस त्रासदी को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए और न ही राहुल और विजय की बातचीत को.”
(प्रभाकर तमिलरासु से इनपुट्स सहित)
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