नई दिल्ली: कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए वाराणसी जिले से पांच बार के विधायक अजय राय को अपनी उत्तर प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया है. भूमिहार राय ने यूपी कांग्रेस में शीर्ष पद के लिए दलित बृजलाल खाबरी की जगह ली है.
खाबरी को पिछले साल अक्टूबर में यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, राज्य विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के कुछ महीने बाद.
गुरुवार को यूपी कांग्रेस प्रमुख के रूप में नियुक्ति से पहले, राय (53) प्रयागराज क्षेत्र के प्रभारी थे, जहां भूमिहार समुदाय की प्रमुख उपस्थिति है.
अजय राय पूर्वी उत्तर प्रदेश विशेषकर वाराणसी में महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं, यही कारण है कि वह 2014 में वाराणसी संसदीय सीट से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस की पसंद थे और फिर 2019 में, जब मोदी मौजूदा प्रधान मंत्री थे. दोनों बार राय तीसरे स्थान पर रहे. 2019 में उन्हें कुल 1.5 लाख वोट मिले.
मुझ जैसे एक सामान्य कार्यकर्ता को उत्तर-प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी देने के लिये राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @kharge जी , श्रीमती @priyankagandhi जी , श्री @RahulGandhi जी और शीर्ष नेतृत्व का आभार !
INDIA जीतेगा 🇮🇳
हर हर महादेव pic.twitter.com/bVAILVEsFl
— Ajay Rai🇮🇳 (@kashikirai) August 17, 2023
हालांकि, आम चुनाव में कुछ महीने बाकी हैं और राय को अब एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
कांग्रेस पार्टी, जो 1989 तक उत्तर प्रदेश में सत्ता में थी, 2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य में एक सीट पर सिमट गई – सोनिया गांधी यूपी से निचले सदन के लिए चुनी जाने वाली पार्टी की एकमात्र उम्मीदवार थीं और जबकि पार्टी ने कुल मिलाकर छह प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया, तब पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी ही सीट अमेठी हार गए.
2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस को लगभग हार का सामना करना पड़ा क्योंकि वह 2.33 प्रतिशत के कुल वोट शेयर के साथ केवल दो सीटों पर सिमट गई, जबकि 2017 के पिछले विधानसभा चुनावों में उसे सात सीटें और 6.25 प्रतिशत वोट मिले थे.
यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में राय की नियुक्ति के अलावा पार्टी ने गुरुवार को दो अन्य प्रमुख संगठनात्मक बदलाव किए. इसने मुकुल वासनिक को गुजरात का प्रभारी महासचिव नियुक्त किया, जबकि रणदीप सिंह सुरजेवाला को मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया, जहां इस साल के अंत में चुनाव होने हैं.
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मोदी के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार
2012 में उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी ने उस साल के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में राय को पिंडरा सीट से मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की. राय तब से पिंडरा से 2017 और 2022 के दो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं.
राय ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1996 में भाजपा के टिकट पर लड़ा और कोलास्ला में नौ बार के सीपीआई विधायक उदल को हराया. उन्होंने 2002 और फिर 2007 में बीजेपी के लिए सीट बरकरार रखी.
हालांकि, राय 2009 का लोकसभा चुनाव वाराणसी से लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन पार्टी ने इस सीट से वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी को मैदान में उतारा. इसके परिणामस्वरूप राय को पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उन्होंने उस साल समाजवादी पार्टी (एसपी) के टिकट पर आम चुनाव लड़ा और जोशी और गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बाद तीसरे स्थान पर रहे, जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उस साल बाद में, राय ने कोलास्ला विधानसभा उपचुनाव में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
जबकि राय अंततः 2009 में राजनीतिक रूप से अंसारी के आमने-सामने आ गए, उनकी प्रतिद्वंद्विता दशकों पुरानी है. इससे पहले इस साल जून में अंसारी को 1991 में अजय राय के बड़े भाई और स्थानीय ताकतवर नेता अवधेश राय की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी.
अजय राय इस मामले में मुख्य प्रत्यक्षदर्शी और शिकायतकर्ता थे.
राय ने फैसले के बाद संवाददाताओं से कहा था, “आज, बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से हमने 32 साल पुरानी लड़ाई जीत ली है जो मैंने अपने दोस्तों, परिवार और अपने वकीलों के साथ लड़ी थी…हम 32 साल से इंतज़ार कर रहे थे और आप समझ सकते हैं कि मेरे, मेरे परिवार के लिए इसका क्या मतलब है और हमारे बड़े भाई की बेटी, हम सभी न्यायपालिका को धन्यवाद देना चाहते हैं.”
उन्होंने कहा, “हमने 32 साल तक संघर्ष किया. जो माफियाओं के खिलाफ खड़ा रहेगा, वही माफियाओं पर जीत हासिल करेगा. सरकारें बदलने के बावजूद हम लड़ते रहे.” हालांकि, राय पर भी कई मामले हैं और कथित तौर पर उन्हें गैंगस्टर से नेता बने ब्रिजेश सिंह का करीबी माना जाता था.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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