चंडीगढ़: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को अमृतसर में 400 “आम आदमी क्लीनिक” का शुभारंभ किया. केजरीवाल का दावा है कि उन्होंने राज्य में अपने चुनाव अभियान के दौरान पंजाब में दी गई कई ‘गारंटियों’ में से एक को पूरा कर लिया है.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ आए केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के विपरीत पंजाब में “आम आदमी क्लीनिक” रिकॉर्ड समय में खुले. यह संभव इसलिए हो पाया क्योंकि राज्य सरकार की कार्यप्रणाली में केंद्र सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं था.
केजरीवाल ने कहा, “दिल्ली में 500 मोहल्ला क्लीनिक खोलने में पांच साल लग गए, लेकिन यहां पंजाब में बमुश्किल 10 महीने में यह काम पूरा हो गया.”
उन्होंने कहा कि पिछले साल अगस्त में पंजाब में 100 मोहल्ला क्लीनिक खोले गए थे और उन मोहल्ला क्लीनिकों में 10 लाख से अधिक लोगों ने ओपीडी सेवाओं का लाभ उठाया था.
केजरीवाल और मान ने अमृतसर में इस नये क्लिनिक का उद्घाटन किया. वहीं, राज्य भर में अन्य क्लीनिकों का उद्घाटन शुक्रवार को ‘आप’ विधायकों ने किया.
हालांकि, औपचारिक उद्घाटन से पहले ही, “मोहल्ला” क्लीनिक कई विवादों में घिर गए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख राजनीतिक मुद्दों भी बन गए हैं. इन क्लीनिकों के उद्घाटन के आसपास के शीर्ष पांच विवादों में यहां एक कमी है.
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‘नई बोतल में पुरानी शराब’
पिछले साल अगस्त में खोले गए मोहल्ला क्लीनिक मौजूदा सेवा केंद्र भवनों में शुरू किए गए थे, जो पहले से मौजूद सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के पूरक थे. वहीं, शुक्रवार को शुरू किए गए 400 मोहल्ला क्लीनिक पहले से चल रहे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और पंजाब भर में स्वास्थ्य उप केंद्र में खोले गए.
पूर्व मंत्री और अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल किया, ‘‘तथ्य यह है कि पहले से मौजूद सरकारी क्लीनिक, जिनमें से कुछ जर्जर हो गए हैं को कॉस्मेटिक मेक-ओवर दिया गया है. क्या दीवारें पेंट करने, फाल्स सीलिंग लगाने और फर्श की टाइलिंग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर सकती है?’’
अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के अध्यक्ष और भोलाथ विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने इस हफ्ते की शुरुआत में ट्वीट किया, “तथाकथित मोहल्ला क्लीनिक नई बोतल में पुरानी शराब के अलावा कुछ नहीं है. पुराने सरकारी भवनों जैसे सेवा-केंद्रों या रूरल डिस्पेंसकियों को नष्ट किया जा रहा है. यहां वही दवाईयां और मेडिकल स्टाफ है, जो इनमें था. यह पैसा हमारी मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने के लिए खर्च किया जा सकता था.’’
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने अपने ट्वीट में कहा, “20-25 लाख रुपये की बढ़ी हुई लागत पर पीएचसी को फिर से पेंट करना और उन्हें अपनी तस्वीर के साथ आम आदमी क्लीनिक का नाम देना किसी को बेवकूफ नहीं बनाएगा. आप ऐसी नौटंकी से पंजाब के स्वास्थ्य क्षेत्र को बर्बाद कर रहे हैं. सेकेंडरी हेल्थकेयर को अपग्रेड करने में विफल रहने के लिए पंजाबी आपको कभी माफ नहीं करेंगे.’’
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक डॉ रंजीत सिंह ने दिप्रिंट से कहा, हालांकि, मौजूदा भवनों में 400 नए मोहल्ला क्लीनिक खोले गए हैं, पीएचसी की ओर से दी जाने वाली मूल सुविधाएं जारी रहेंगी क्योंकि यह केवल मोहल्ला क्लीनिक के एक्स्ट्रा लाभ के साथ है.
उन्होंने बताया कि पीएचसी और मोहल्ला क्लिनिक के बीच बड़ा अंतर यह है कि मोहल्ला क्लिनिक में ओपीडी सेवाओं, टेस्ट और दवाओं सहित हर सुविधा पूरी तरह से मुफ्त है.
उन्होंने कहा, “इसके अलावा, मोहल्ला क्लिनिक के तहत काम करने वाले कर्मचारी पूरी तरह से वहां आने वाले मरीजों के लिए समर्पित हैं. इन डॉक्टरों को किसी और ड्यूटी पर नहीं लगाया जाएगा.’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने मोहल्ला क्लीनिकों के लिए नए डॉक्टरों या फार्मासिस्टों की भर्ती नहीं की. ये कर्मचारी या तो स्वास्थ्य विभाग से या ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग के तहत काम करने वाले लोगों में से ही लिए गए थे.
उन्होंने कहा, “हालांकि, मोहल्ला क्लीनिकों के लिए नए क्लीनिक असिस्टेंट की भर्ती की गई है.’’
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विज्ञापन के लिए पैसे बर्बाद
इन क्लीनिकों के उद्घाटन से पहले चर्चित विवादों में से एक राज्य के स्वास्थ्य सचिव अजॉय शर्मा का लॉन्च इवेंट के ठीक एक दिन पहले अचानक ट्रांसफर था.
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, शर्मा का तबादला रातोंरात एक बैठक के बाद कर दिया गया था. इसे लेकर सूत्रों का कहना है कि उन्होंने पंजाब के अलावा अन्य राज्यों में इन मोहल्ला क्लीनिकों के विज्ञापनों के लिए स्वास्थ्य विभाग के फंड से 30 करोड़ रुपये का उपयोग करने से इनकार कर दिया था.
इस कदम को लेकर मान सरकार की काफी आलोचना हुई थी.
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक ट्वीट में कहा, “अगर जनता के पैसे को बर्बाद करना एक कला है, तो आप इस तरह की कला के पूर्वज हैं.’’
अबोहर से कांग्रेस विधायक संदीप जाखड़ ने ट्वीट किया, “कम से कम किसी की तो रीढ़ है…30 करोड़ सिर्फ प्रचार के लिए… कल्पना कीजिए कि उस पैसे से अस्पतालों के लिए क्या किया जा सकता है… काश और अधिकारी होते जो राज्य के हितों की देखभाल करते. मिस्टर अजय शर्मा को सलाम.”
मजीठिया ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए नए स्वास्थ्य सचिव वी.के. मीणा से कहा कि अगर वे पंजाब के बाहर विज्ञापनों पर 30 करोड़ रुपये खर्च करते हैं तो उन्हें जनता के पैसे बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
हालांकि, तमाम आलोचनाओं के बावजूद, राज्य सरकार ने तबादले के मुद्दे पर चुप्पी साध ली है.
ग्रामीण डिस्पेंसरियों को बंद करना
ग्रामीण विकास विभाग के तहत काम करने वाले डॉक्टरों ने आरोप लगाया है कि उन्हें गांवों में अपने क्लीनिक बंद करने और मोहल्ला क्लीनिक में मर्ज करने के लिए कहा गया है.
दिप्रिंट से बात करते हुए, रूरल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. दीपिंदर भसीन ने कहा, “ग्रामीण डिस्पेंसरियां गांवों में लगभग 10,000 लोगों को सेवाएं दे रही हैं और 1-5 किलोमीटर की पहुंच के भीतर हैं. वहीं, मोहल्ला क्लीनिक 25,000 से अधिक लोगों की सेवा करते हैं और 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर हैं. पिछले 30-40 वर्षों से चल रहे ग्रामीण क्लीनिकों को बंद करके, सरकार ने वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों के उन लोगों का अपमान किया है जो इन क्लीनिकों में नियमित रूप से आते रहे हैं.”
रूरल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ असलम परवेज़ ने दिप्रिंट को बताया कि ‘आप’ सरकार इस आधार पर काम करती है जैसे पंजाब में सभी के पास वाहन है जिस पर मरीजों को मोहल्ला क्लीनिकों में लाया जा सकता है, भले ही ये बहुत दूर क्यों न हों. मगर उनका यह प्रयोग काम नहीं करेगा. अपने डॉक्टरों और कर्मचारियों का ट्रांसफर करके ग्रामीण डिस्पेंसरियों को बंद करना ठीक नहीं है.”
बीजेपी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने ट्वीट किया, “आप पंजाब में 500 आम आदमी क्लीनिक खोलेगी, जबकि ग्रामीण डिस्पेंसरियों को मान सरकार द्वारा खत्म किया जा रहा है.”
हालांकि, डॉ रंजीत सिंह ने कहा कि ग्रामीण विकास और पंचायत डॉक्टरों को स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर करने का कदम एक सतत विकास प्रक्रिया का हिस्सा था. ग्रामीण क्षेत्रों में, केवल नॉन फंक्शनल डिस्पेंसरियों के डॉक्टरों को ट्रांसफर किया गया था.
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पवित्र नाम हटा दिए गए
शिरोमणि अकाली दल ने कहा कि सिखों के अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के “पंज प्यारे” के नाम पर कम से कम पांच सैटेलाइट अस्पतालों को मोहल्ला क्लीनिक में तब्दील कर दिया गया. इस प्रक्रिया में, उनके नाम वाले साइन बोर्ड अस्पताल से हटा दिए गए. पार्टी ने कहा कि मान सरकार ने ऐसा करके बेअदबी की है.
शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने शुक्रवार को ट्वीट किया, “क्या कोई सिख श्री गुरु गोबिंद सिंह जी या उनके प्रिय, पंज प्यारों की फोटों पर अपनी तस्वीर या पार्टी का नाम लगा सकता है? 1999 में प्रकाश एस बादल सरकार के दौरान, खालसा के जन्म की त्रिशताब्दी के दौरान पंज प्यारे के नाम पर खोले गए 5 सैटेलाइट अस्पतालों पर मान सरकार ने ऐसा किया है.”
एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मजीठिया ने कहा कि सरकार ने इन पांच अस्पतालों में “पंज प्यारे” के नाम को वापस जोड़कर मोहल्ला क्लिनिक साइन बोर्ड को ठीक कर दिया था, लेकिन इन पर से मुख्यमंत्री की तस्वीर नहीं हटी थी.
नाम से पार्टी का प्रचार
इन क्लीनिकों के उद्घाटन को लेकर ताज़ा विवाद एक राजनीतिक दल के नाम पर इसका नामकरण कर रहा है.
शुक्रवार को प्रेस को दिए एक बयान में कांग्रेस विधायक खैरा ने मान से क्लीनिक का नाम “आम आदमी” क्लीनिक से “सरकारी क्लीनिक” करने के लिए कहा.
उन्होंने कहा कि इन क्लीनिकों की इमारतों में मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ आम आदमी का नाम प्रदर्शित किया गया है. “ये क्लिनिक वास्तव में लोगों को कोई मेडिकल लाभ प्रदान कर रहे हैं या नहीं, यह सुनिश्चित नहीं है, लेकिन वे निश्चित रूप से आप को बढ़ावा दे रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि ये क्लीनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की तुलना में ‘आप’ कार्यालयों की तरह अधिक दिखते हैं.
खैरा ने याद किया कि कैसे 2004 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की तस्वीर सरकार द्वारा संचालित एंबुलेंस से और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की राष्ट्रीय राजमार्गों से हटा दी गई थी.
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
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