नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पश्चिम बंगाल सरकार से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए तीन आईपीएस अधिकारियों को तत्काल कार्य मुक्त करने को कहा है. गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि आईपीएस काडर नियमों के मुताबिक, विवाद की स्थिति में राज्य को केंद्र का कहना मानना होगा.
एमएचए ने कहा कि तीन आईपीएस अधिकारियों को पहले ही जिम्मेदारियां दे दी गई हैं, जिनमें भोलानाथ पांडे को बीपीआरडी का एसपी बनाया गया है, प्रवीण त्रिपाठी को एसएसबी के डीआईजी के तौर पर नियुक्ति दी गई है जबकि राजीव मिश्रा को आईटीबीपी का आईजी नियुक्त किया गया है.
केंद्र के निर्देश पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जमकर निशाना साधा है. सिलसिलेवार ट्वीट कर उन्होंने कहा कि तीन आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाने का भारत सरकार का फैसला शक्ति का और आईपीएस काडर नियम 1954 के इमरजेंसी प्रावधानों का गलत इस्तेमाल करना है.
बनर्जी ने कहा, ‘ये कदम राज्य के अधिकारों में हस्तक्षेप है और पश्चिम बंगाल में कार्यरत अधिकारियों को हतोत्साहित करता है.’ उन्होंने कहा कि चुनाव से ठीक पहले लिया गया ये कदम संघवाद के मूल्यों के खिलाफ है.
We wouldn’t allow this brazen attempt by the Centre to control the State machinery by proxy! West Bengal is not going to cow-down in front of expansionist & undemocratic forces. (3/3)
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 17, 2020
उन्होंने कहा, ‘ये असंवैधानिक और पूरी तरह से अस्वीकार्य है.’
उन्होंने कहा, ‘हम केंद्र द्वारा राज्य की मशीनरी पर नियंत्रण करने के प्रयास को पूरा नहीं होने देंगे और पश्चिम बंगाल विस्तारवादी और अलोकतांत्रिक ताकतों के सामने नहीं झुकेगा.’
बता दें कि बीते गुरुवार को बंगाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर तृणमूल कांग्रेस के कथित कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हमले के बाद केंद्र सरकार ने उनकी सुरक्षा में तैनात तीन आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था. जिसका ममता बनर्जी ने विरोध किया और अधिकारियों को केंद्र में भेजने से मना कर दिया.
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