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Wednesday, 20 November, 2024
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25 नए चेहरे, वंशवादी और दलबदलुओं का स्वागत — हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतने के लिए BJP की कैसी है तैयारी

भाजपा की उम्मीदवारों की पहली सूची से पता चलता है कि पार्टी ने कुछ विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में फेरबदल किया है. पहला, मंत्रियों को टिकट देने से इनकार किया है, सबसे अधिक टिकट अनुसूचित जातियों, पिछड़ी जातियों और जाटों को दिए हैं.

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गुरुग्राम: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सत्ता विरोधी लहर के बावजूद राज्य में हैट्रिक बनाने के लिए सभी दांव खेलने की कोशिश की है.

बुधवार को जारी की गई 67 नामों वाली सूची में 25 नए चेहरे — मौजूदा निर्वाचन क्षेत्र से अलग — निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतरे विधायक, दलबदलू नेता शामिल हैं.

वहीं, भाजपा ने राज्य में अपने प्रभावशाली नेताओं को खुश करने के लिए वंशवाद की राजनीति और 75 साल की उम्र में सेवानिवृत्ति के अलिखित नियम के खिलाफ अपने बार-बार दोहराए जाने वाले सैद्धांतिक रुख को ताक पर रख दिया है.

सूची में पांच टिकट ऐसे नेताओं को दिए गए हैं जो 2019 के विधानसभा चुनाव में चुनाव हार गए थे. मुख्यमंत्री नायब सैनी समेत चार विधायकों की सीटें बदल दी गई हैं और आठ मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया गया है.

करनाल से विधायक सैनी अब लाडवा सीट से चुनाव लड़ेंगे.

इसी तरह, हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष और नलवा विधायक रणबीर गंगवा को नलवा की जगह बरवाला से टिकट दिया गया है, जबकि कोसली विधायक लक्ष्मण यादव को कोसली की जगह रेवाड़ी से टिकट दिया गया है.

अगर जाति के नज़रिए से सूची को देखें तो ऐसा लगता है कि भाजपा ने उन समुदायों के लोगों को बड़ी संख्या में टिकट बांटे हैं, जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़ी संख्या में उसे वोट नहीं दिया था.

भाजपा ने सबसे ज्यादा सीटें (41) तीन समुदायों को दी हैं: एससी (अनुसूचित जाति), ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और जाट. पार्टी ने 13 सीटों पर एससी, 15 पर ओबीसी और 13 पर जाट उम्मीदवार उतारे हैं.

पहली सूची में 67 उम्मीदवारों में से केवल आठ महिलाएं हैं.

इसके अलावा, 10 दलबदलुओं को टिकट दिया गया है.

सबसे बुजुर्ग उम्मीदवार रामकुमार गौतम (78) हैं, जिन्हें सफीदों से मैदान में उतारा गया है, जबकि सबसे युवा उम्मीदवार दीपक हुड्डा (30) हैं, जिन्हें महम से मैदान में उतारा गया है और मंजू हुड्डा (30) हैं, जिन्हें गढ़ी सांपला किलोई से मैदान में उतारा गया है.

हालांकि, भाजपा के मुख्य वोट बैंक-ब्राह्मण, वैश्य और पंजाबी समुदाय — को पहली सूची में केवल 24 टिकट दिए गए थे. 2024 के लोकसभा चुनावों में जाटों और एससी के एक बड़े बहुमत ने सत्तारूढ़ पार्टी का विरोध किया. साथ ही, भाजपा को ओबीसी वोट बैंक से अपेक्षित समर्थन नहीं मिला, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी हरियाणा में 10 में से केवल पांच सीटें जीत पाई.

दिल्ली में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) की शोधकर्ता ज्योति मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया कि हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा की पहली सूची मौजूदा विधायकों के स्थानीय प्रभाव का सावधानीपूर्वक आकलन करते हुए सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने की एक सुनियोजित रणनीति को दर्शाती है.

उन्होंने कहा, “90-सदस्यीय विधानसभा सीटों में से 67 के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करके पार्टी नए लोगों और अनुभवी नेताओं के बीच संतुलन बनाना चाहती है, जिससे पार्टी की अपील को फिर से जीवंत करने के लिए नए चेहरों की अहमियत को पहचाना जा सके. यह दृष्टिकोण ऐसे समय में सामने आया है जब कांग्रेस पार्टी भाजपा के उम्मीदवारों के चयन या शासन रिकॉर्ड में किसी भी तरह की कमज़ोरी का फायदा उठाना चाहती है.”

ज्योति ने कहा कि पार्टी ने दलबदलुओं को भी मान्यता दी है, जिनमें श्रुति चौधरी शामिल हैं, जो पहले कांग्रेस में थीं और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के तीन विधायक शामिल हैं. पार्टी ने इन निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के चुनावी आधार का विस्तार करने के उद्देश्य से उन्हें उनके गढ़ों से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिए हैं.


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पांच वंशवादी, पूर्व कबड्डी कप्तान

कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई, किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव, पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान और पूर्व मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी शक्ति रानी शर्मा को टिकट दिए गए हैं.

सुनील, जिनके सुनारिया जेल अधीक्षक के कार्यकाल के दौरान बलात्कार के दोषी और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को छह बार पैरोल या फरलो पर रिहा किया गया था, उन्हें पहलवान बबीता फोगाट की जगह चरखी दादरी से टिकट दिया गया है.

सुनील ने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) ली और इस सप्ताह की शुरुआत में भाजपा में शामिल हो गए.

सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए कांग्रेस की अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत ने एक्स पर लिखा, “कौन इतना नादान है जो इस खबर से हैरान हैं?”

सुनील पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे हैं, जो 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. वे चरखी दादरी से पूर्व विधायक हैं. बबीता फोगाट को टिकट न दिए जाने की भरपाई के लिए पार्टी ने भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान दीपक हुड्डा को महम से मैदान में उतारा है. इसके जरिए भाजपा ने एथलीटों को लुभाने की कोशिश की है, खासकर विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के कांग्रेस के टिकट पर आगामी चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच. हालांकि, इसी दौरान पार्टी ने भारतीय राष्ट्रीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह को पिहोवा से टिकट देने से इनकार कर दिया. संदीप सिंह वर्तमान में एक जूनियर महिला कोच से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामले में फंसे हुए हैं.

भाजपा ने अपनी पहली सूची में पूर्व ओलंपियन पहलवान योगेश्वर दत्त को भी टिकट नहीं दिया है. दत्त सोनीपत जिले की गोहाना सीट से टिकट मिलने की उम्मीद कर रहे थे.

2019 के विधानसभा चुनाव और 2020 में हुए उपचुनाव में उन्होंने पानीपत की बड़ौदा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि, 2019 में वे कांग्रेस उम्मीदवार कृष्ण हुड्डा और 2020 में इंदु राज नरवाल से हार गए थे. उन्होंने दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय नेताओं से भी मुलाकात की थी, लेकिन पार्टी ने गोहाना से पूर्व सांसद डॉ. अरविंद शर्मा को मैदान में उतारा. 2019 के लोकसभा चुनाव में शर्मा ने रोहतक में दीपेंद्र हुड्डा को हराया था, लेकिन 2024 के आम चुनाव में उनसे हार गए.

इसके अलावा, 2019 में हारने वाले पांच विधायकों को टिकट दिया गया है. इनमें सढौरा से बलवंत सिंह, नीलोखेड़ी (एससी) से भगवानदास कबीरपंथी, इसराना (एससी) से राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार, नारनौंद से कैप्टन अभिमन्यु और बादली से ओम प्रकाश धनखड़ शामिल हैं.

पंवार आगामी विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरने वाले भाजपा के एकमात्र मौजूदा सांसद हैं. वे हरियाणा भाजपा के लिए एक प्रमुख दलित चेहरा हैं और 2014 से 2019 तक मनोहर लाल खट्टर की सरकार में परिवहन मंत्री थे.

राव नरबीर सिंह को भाजपा ने बादशाहपुर से टिकट दिया है, जिन्होंने 2014 में इसी सीट से विधानसभा चुनाव जीता था और खट्टर की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे, इसे पार्टी द्वारा केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को नज़रअंदाज करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है. 2019 के विधानसभा चुनावों में राव इंद्रजीत सिंह ने राव नरबीर सिंह को टिकट देने से इनकार कर दिया था, जिन्होंने पहले घोषणा की थी कि अगर भाजपा उन्हें टिकट देने से इनकार करती है तो वे कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे.

पहली सूची जारी होने से कुछ दिन पहले, राव नरबीर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जिसके बाद उन्होंने आधिकारिक घोषणा होने से पहले ही टिकट के लिए विचार किए जाने पर खुशी व्यक्त करने के लिए मिठाई बांटी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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