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Thursday, 2 May, 2024
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2016 से बाद के एडमिट कार्ड, जमीन के कागजात- आखिर क्यों SSC मामले में ED ने गिरफ्तार किया TMC नेता पार्थ चटर्जी को

ईडी ने पश्चिम बंगाल के मंत्री और टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी की 'करीबी सहयोगी' मानी जाने वाली अर्पिता मुखर्जी के आवास से 21 करोड़ रुपये नकद बरामद किए हैं.

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कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश के बाद पश्चिम बंगाल के मंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता पार्थ चटर्जी को सोमवार को एक विमान से एम्स, भुवनेश्वर ले जाया जाएगा.

इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने पश्चिम बंगाल के इस सबसे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री को राज्य सरकार द्वारा संचालित एसएसकेएम अस्पताल, जहां उन्हें कथित स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती घोटाले में चल रही जांच के सिलसिले में शनिवार को उनकी गिरफ्तारी के बाद भर्ती कराया गया था, से स्थानांतरित करने की मांग करते हुए रविवार को उच्च न्यायालय का रुख किया था.

चटर्जी अब सोमवार शाम 4 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट के समक्ष पेश होंगे. ईडी चटर्जी की 14 दिनों की हिरासत की मांग करेगा.

इससे पहले चटर्जी को ईडी ने 27 घंटे की पूछताछ के बाद शनिवार सुबह उनके आवास से गिरफ्तार किया था. उसी दिन कुछ समय बाद उन्हें कोलकाता में मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था.

सरकारी स्कूलों में क्लर्कों, कर्मचारियों और शिक्षकों की कथित तौर पर हुई अवैध नियुक्ति के आरोपों का संज्ञान लेते हुए ईडी ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 (प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट, 2002) की धारा 3 और 4 के तहत मनी ट्रेल की जांच के लिए 24 जून को इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की थी.

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पीएमएलए की धारा 3 में कहा गया है कि जो कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से या वास्तव में किसी तरह के अपराध की आय से जुड़ी से सम्बंधित किसी भी प्रक्रिया या गतिविधि में शामिल होने का प्रयास करता है या जानबूझकर इसमें सहायता करता है तथा फिर इसे एक बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करता है, वह मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी होगा.

इस बीच, पीएमएलए की धारा 4 में कहा गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का दंड कठोर कारावास के रूप में होगा जिसकी अवधि सात साल तक और कम से कम तीन साल तक हो सकती है.

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), जिसे 7 अप्रैल को कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में लगे आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया गया था, ने इस कथित घोटाले के संबंध में पांच प्राथमिकियां दर्ज की हैं.

दूसरी ओर, ईडी ने पिछले महीने इस मामले में किये गए पैसे के लेन-देन का पता लगाने के लिए अलग से एक जांच शुरू की थी.

घटनाओं की समयरेखा

शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे, ईडी अधिकारियों की कई टीमों ने पुरे पश्चिम बंगाल में इस तथाकथित भर्ती घोटाले से जुड़े 14 स्थानों पर छापेमारी की. पश्चिम बंगाल के वाणिज्य, आई-टी और संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले के संबंध में एजेंसी के निशाने पर बने हुए थे.

इसी दौरान, चटर्जी की ‘करीबी सहयोगी’ मानी जाने वाली अर्पिता मुखर्जी के आवास पर ईडी ने पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग की मुहर लगे लिफाफे में भर कर रखे गए 21 करोड़ रुपये के नोट बरामद किए. उसके पास कम से कम 20 मोबाइल फोन भी बरामद किये गए.

इसी अभियान के दौरान ईडी ने चटर्जी के विशेष कार्य अधिकारी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी – ओएसडी) पी.के.बंदोपाध्याय और उनके निजी सचिव सुकांत आचार्य के घरों पर भी छापेमारी की.

चटर्जी और उनके सहयोगियों से सम्बंधित परिसरों (ठिकानों) के अलावा, ईडी अधिकारियों की टीमों ने पश्चिम बंगाल के शिक्षा राज्य मंत्री (मिनिस्टर ऑफ़ स्टेट) परेश अधिकारी एवं टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य, जो पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हैं, के घरों पर भी छापा मारा.

पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग के सलाहकार एसपी सिन्हा, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली, पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष सौमित्र सरकार, आलोक कुमार सरकार, स्कूल शिक्षा विभाग के उप निदेशक और एक शख्श चंदन मंडल सहित तीन अन्य लोगों, जिन्होंने कथित तौर पर सरकारी स्कूलों में शिक्षण पदों को ‘बेचा’ था, से जुड़े परिसरों में भी एक ही समय पर यह तलाशी अभियान चलाया गया.

इन छापों के एक दिन बाद, ईडी ने चटर्जी की ‘करीबी सहयोगी’ अर्पिता मुखर्जी को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया और उनके निजी सचिव सुकांत आचार्य को भी जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. शुक्रवार को जारी एक प्रेस बयान में, एजेंसी (ईडी) ने कहा कि उसने कई सारे दस्तावेजों और क़ीमती सामान को जब्त कर लिया है, जिनके बारे में उसे लगता है कि ये ‘एसएससी घोटाले से जुड़े अपराध की आय’ है.

किस आधार पर किया गया को पार्थ चटर्जी की गिरफ्तार

फिर शनिवार को ईडी के वकील ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष एजेंसी के मामले को पेश करते हुए कहा कि जिन 14 जगहों पर छापे मारे गए थे, उनमें से एजेंसी को दो ‘संदिग्ध स्थान मिले – पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के आवास.

ईडी के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि एजेंसी ने अपने तला शी अभियान के दौरान टीएमसी नेता (चटर्जी) के आवास से दो पेन ड्राइव और कई सारे जमीन के कागजात बरामद किए. सूत्र ने कहा कि चटर्जी के पास 2016 के बाद के कई एडमिट कार्ड (परीक्षा प्रवेश पत्र) और एसएससी से जुड़े दस्तावेज भी पाए गए.

ईडी के एक अधिकारी ने कहा, ‘जो मंत्री अब राज्य के शिक्षा विभाग से जुड़ा ही नहीं हैं, उनके घर में ये अहम दस्तावेज भला क्यों मौजूद होंगे.’ हालांकि, अधिकारी ने इस बात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि जब्त पेन ड्राइव में एजेंसी को क्या मिला है.

इस साल मई में, दिप्रिंट ने इस तथाकथित एसएससी घोटाले की जांच के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा गठित न्यायमूर्ति बाग़ कमिटी के निष्कर्षों के बारे में जानकारी से जुड़ी खबर छापी थी. इस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि इन ‘अवैध’ पदों के हासिल करने वालों के नाम स्कूल सेवा आयोग के कार्यालय को मेल, सीडी या पेन ड्राइव के माध्यम से भेजे गए थे.

हालांकि, जिस चीज ने इस मामले में ईडी को तेजी से कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया वह था चटर्जी के आवास पर उनकी ‘करीबी सहयोगी’ अर्पिता मुखर्जी, जिन्हें रविवार को एक दिन के ईडी रिमांड पर भेजा गया था, के नाम पर मिले डीड्स ऑफ़ कंवेयंस (एक कानूनी दस्तावेज जिसका उपयोग संपत्ति के अधिकार को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को उपहार, विनिमय, पट्टे, बंधक, आदि के रूप में स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है) की फोटोकॉपी (छायाप्रति).

दिप्रिंट को ईडी के सूत्रों के माध्यम से यह भी पता चला है कि इन दस्तावेजों पर पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे. एजेंसी ने यह भी पाया कि मुखर्जी 14 कंपनियों से या तो सीधी तौर पर जुड़े हैं फिर उनके निदेशक के रूप में सूचीबद्ध हैं. अब यह केंद्रीय जांच एजेंसी मंत्री महोदय और इन कंपनियों के बीच हुए मौद्रिक लेनदेन की पड़ताल कर रही है.

सूत्रों ने इस बात का भी खुलासा किया कि जब पार्थ चटर्जी से उनके आवास से बरामद दस्तावेजों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने दावा किया कि उन्हें उनके बारे में कुछ भी नहीं पता था. ईडी के इस अधिकारी ने कहा, ‘संदेह के तहत आने वाला यह व्यक्ति राज्य से जुड़े मामलों के शीर्ष पर है और राज्य के तत्कालीन शिक्षा मंत्री थे और इसलिए उन्हें हिरासत में पूछताछ करने की आवश्यकता है.’


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अदालत में पेश की गईं दलीलें

गिरफ्तारी के बाद पार्थ चटर्जी को शनिवार दोपहर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट नीलम शशि कुजूर की खचाखच भरी अदालत में पेश किया गया. हालांकि, न्यायाधीश ने दलीलें सुनने से पहले चटर्जी को उनकी उम्र और उनके स्वास्थ्य के कारण कठघरे में पेश होने से छूट दे दी थी.

चटर्जी की ओर से पेश होते हुए अधिवक्ता अनिंद्य राउत ने तर्क दिया कि टीएमसी नेता को गलत तरीके से हिरासत में लिया गया है, क्योंकि ईडी को छापे के दौरान उनके कब्जे से कोई धनराशि नहीं मिली है और वह केवल दस्तावेजों की फोटोकॉपी बरामद करने में सक्षम रही है.

राउत ने कहा कि कथित एसएससी घोटाले की जांच तो सीबीआई कर रही है. फिर उन्होंने पूछा कि ईडी के इस मामले को लेकर इतने ‘उत्साहित’ होने की क्या वजह है?

चटर्जी के वकील ने उनकी जमानत की मांग करते हुए तर्क दिया कि चटर्जी दो बार सीबीआई के सामने पेश हो चुके हैं और इस मामले की जांच में पूरा-पूरा सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘एक 70 वर्षीय व्यक्ति, जिसके घर पर सुबह 6 बजे छापा मारा गया था, वह कहीं नहीं भागेगा.’

हालांकि ईडी की तरफ से बहस करते हुए, विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) भास्कर प्रसाद बनर्जी ने यह कहते हुए कि ईडी मामले में मनी ट्रेल की जांच कर रहा है अदालत से कहा कि चटर्जी की गिरफ्तारी का सीबीआई जांच से कोई लेना-देना नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘श्री चटर्जी एक मंत्री हैं और उन्होंने इस पद की शपथ ली है. तलाशी के समय, उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि ये सारी संपत्ति कहां से आई और बैंकों में पैसा कैसे डाला गया. श्री चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के बीच एक संबंध स्थापित हो चुका है. क्या ईडी को इसकी जांच करने की इजाजत नहीं है?’

बनर्जी ने आगे कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के अनुसार एक वित्तीय अपराध की तुलना किसी सामान्य अपराध से नहीं की जा सकती है, इसलिए हमें सीबीआई जांच से कोई लेना-देना नहीं है.’

इन सभी दलीलों को सुनने के बाद मजिस्ट्रेट ने अपना फैसला सुनाया कि यह मामला मेट्रोपॉलिटन कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है और फिर उन्होंने दोनों पक्षों को सोमवार सुबह विशेष सांसद/विधायक अदालत (स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट) का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा. , हालांकि, न्यायाधीश ने पार्थ चटर्जी को उनके खराब स्वास्थ्य के कारण कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में अस्पताल में भर्ती होने की अनुमति देने के बारे में किये गए उनके वकीलों के अनुरोध को स्वीकार कर लिया.

जानिए एसएससी घोटाले के बारे में

इसी साल 22 फरवरी को, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हरीश टंडन और रवींद्रनाथ सामंत की दो-न्यायाधीशों वाली पीठ ने पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों के लिए अपनाई गई भर्ती प्रक्रिया में हुई कथित अनियमितताओं की जांच करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजीत बाग की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया था.

बाग कमिटी ने 12 मई को उच्च न्यायालय को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में यह आरोप लगाया था कि साल 2019 में राज्य के तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी द्वारा रिक्त पदों को भरने के लिए एक ‘अवैध’ पर्यवेक्षी समिति का गठन किया गया था.

रिपोर्ट में आगे यह भी आरोप लगाया गया कि असफल उम्मीदवारों के अंकों में हेरफेर करने के लिए सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम का इस्तेमाल किया गया था, अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर किए गए थे, रैंक (अनुक्रम) में अदला-बदली की गई थी और पर्रीक्षा में विफल होने पर भी नौकरी चाहने वालों को नए एसएससी भवन से ‘अवैध’ नियुक्ति पत्र वितरित किए गए थे. पैनल ने कहा कि यह प्रक्रिया ग्रुप-सी और ग्रुप-डी भर्ती के लिए अपनाई गई थी.

प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों और सहायक शिक्षकों की अनियमित नियुक्तियों की भी सीबीआई जांच चल रही है.

चटर्जी का समर्थन करने के लिए टीएमसी को करना पड़ रहा है तीखी प्रतिक्रिया का सामना

इस सबके बीच, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव कुणाल घोष ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान संवाददाताओं से कहा कि तृणमूल कांग्रेस का अर्पिता मुखर्जी या उनके आवास से बरामद पैसे से कोई संबंध नहीं है.

घोष ने कहा, ‘ऐसे बहुत से कार्यकर्ता और सार्वजानिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोग हैं जो हमारे कार्यक्रमों में शामिल होते हैं या हमारे मंच पर देखे जाते हैं, लेकिन अर्पिता टीएमसी की सदस्य नहीं हैं. जहां तक ईडी का सवाल है, हम समयबद्ध तरीके से जांच चाहते हैं क्योंकि विपक्ष हमारे खिलाफ जबरन वसूली का अभियान चला रहा है. टीएमसी किसी भी गलत चीज का समर्थन नहीं करती है.’

इस बीच, जब अर्पिता मुखर्जी को शनिवार रात ईडी द्वारा हिरासत में लिया जा रहा था तो उन्होंने दावा किया था कि उन्हें फंसाया जा रहा है और उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है.

उन्होंने अपने आवास के बाहर जमा संवाददाताओं से कहा था, ‘मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. मैं निर्दोष हूं, मुझे फंसाया जा रहा है.’

अर्पिता को एक से अधिक मौकों पर टीएमसी के शीर्ष नेताओं के साथ मंच साझा करते देखा गया है, जो उनके सोशल मीडिया पेज पर लगी तस्वीरों से भी स्पष्ट होता है. अब यही तस्वीरें वायरल हो रही हैं.

इस सारे घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा सांसद राजू बिस्ता ने दिप्रिंट को बताया: ‘ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां से टीएमसी ने कट-मनी (कमीशन के रूप में प्राप्त पैसा) इकठ्ठा नहीं की है. ईडी द्वारा बरामद धन तो बस इसका एक छोटा सा हिस्सा मात्र है.‘

उन्होंने आरोप लगाया, ‘टीएमसी के तहत, इस राज्य ने अपनी शिक्षा प्रणाली का एक व्यवस्थित विनाश होते देखा है. नियुक्तियां टीएमसी के साथ उम्मीदवारों के जुड़ाव पर आधारित थीं. ‘

सीपीएम नेता और प्रवेश परीक्षा में अच्छी रैंक मिलने के बावजूद पश्चिम बंगाल के किसी सरकारी स्कूल में नौकरी नहीं प्राप्त कर पाने वाले उम्मीदवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा टीएमसी को लगता है कि ‘पश्चिम बंगाल के लोग भ्रष्टाचार के स्तर को नहीं समझते हैं.’

सीपीआईएम नेता ने आरोप लगाया, ‘टीएमसी ऐसा कैसे कह सकती है कि उनका इस सब से अब कोई संबंध नहीं है, जब कि अब यह बात संदेह से परे जाकर साबित हो गयी है कि इस गलत तरीके से अर्जित धन का उपयोग पार्टी ही करती है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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