नई दिल्ली: भारत के संविधान में सार्वजनिक रूप से अपनी आस्था की कमी व्यक्त करने के एक साल से भी कम समय के बाद, जेल में बंद अलगाववादी अमृतपाल सिंह ने पिछले हफ्ते पंजाब में खडूर साहिब संसदीय सीट के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया — एक प्रक्रिया जिसमें संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखने की गंभीर पुष्टि शामिल है. उनका नामांकन चुनाव आयोग ने स्वीकार कर लिया है.
उनके हलफनामे के अनुसार, वो मैट्रिक पास है, उसके बैंक खाते में 1,000 रुपये हैं और उसके पास कोई अन्य वित्तीय संपत्ति नहीं है. उसकी ब्रिटिश नागरिक पत्नी के पास करीब 18.37 लाख रुपये की संपत्ति है.
उसके खिलाफ 12 आपराधिक मामले हैं, जिनकी जांच लंबित है. इनमें अपहरण, भड़काऊ भाषण, “पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ना और हथियार दिखाकर पुलिस अधिकारियों को धमकाना”, लापरवाही से गाड़ी चलाना, जेल से अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बरामदगी और “शिकायतकर्ता के घर में प्रवेश करना और मोटरसाइकिल, शॉल, चश्मा, छोटी पगड़ी छीनना और उसके बेटे को सतलुज नदी पार करने में उनकी सहायता करने के लिए मजबूर करना” के आरोप शामिल हैं.
अमृतपाल और उसके चाचा हरजीत सिंह और अभिनेता दलजीत कलसी सहित उसके नौ सहयोगी एक साल से अधिक समय से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं.
अमृतपाल के कागजात का सत्यापन 9 मई को जेल अधिकारियों के सामने डिब्रूगढ़ में किया गया, जहां से उसने अपना नामांकन दाखिल किया. हलफनामे पर असम सरकार के एक नोटरी के समक्ष शपथ ली गई थी और सहायक जेलर द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे, जहां उसे 23 अप्रैल, 2023 से हिरासत में रखा गया है.
अमृतपाल को पंजाब पुलिस ने एक महीने की लंबी तलाशी के बाद एनएसए के तहत गिरफ्तार किया था. पुलिस ने सबसे पहले 18 मार्च को अमृतपाल और उसके साथियों पर नकेल कसने की कोशिश की थी और उसके सैकड़ों समर्थकों को गिरफ्तार किया था. उस समय वो भागने में सफल रहा था, लेकिन बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
हलफनामे के अनुसार, 31-वर्षीय ने 2008 में पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के तहत मैट्रिक परीक्षा पास की, जो उसकी हायर क्वालिफिकेशन है. अमृतपाल के पास आय का कोई स्रोत नहीं है और वो आर्थिक रूप से पूरी तरह से अपने माता-पिता पर निर्भर है.
पासबुक से पता चलता है कि सिंह के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) खाते में 1,000 रुपये हैं, जो पहले स्टेट बैंक ऑफ पटियाला में था, जो उसकी एकमात्र संपत्ति है. उसके पास कोई कार, घर, कृषि भूमि या कोई अन्य अचल संपत्ति नहीं है.
वहीं, उसकी पत्नी के पास 18.37 लाख रुपये की चल संपत्ति है. ब्रिटिश नागरिक किरणदीप कौर ने यूके के एक बैंक में 18 लाख के सोने के आभूषण, 4,000 पाउंड (4.17 लाख रुपये) और 20,000 रुपये की नकदी घोषित की है.
हलफनामे के अनुसार, कौर अब एक गृहिणी हैं, लेकिन एक समय उन्होंने यूके की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं में दुभाषिया के पद पर काम किया है. अब, वह अमृतपाल के पैतृक घर में रहती हैं.
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अमृतपाल को जेल कैसे जाना पड़ा?
वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख अमृतपाल ने सिख अलगाववादी कार्यकर्ता दीप सिद्धू की विरासत पर दावा किया था, जिनकी फरवरी 2022 में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. अभिनेता दलजीत कलसी, जो सिद्धू के करीबी सहयोगी थे, ने दीप सिद्धू को पद सौंपने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अमृतपाल को अपना उत्तराधिकारी चुनकर समूह बनाया.
अमृतपाल ने दावा किया कि उन्होंने दुबई में अपना व्यवसाय छोड़ दिया और अगस्त 2022 में पंजाब लौट आए, ताकि “सिखों को सामाजिक बुराइयों और राजनीतिक बंधनों से मुक्ति दिलाई जा सके और उन्हें सिख धर्म के शुद्धतम रूप का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके”.
गांव के गुरुद्वारों में कुछ “समागमों” को संबोधित करने के बाद अमृतपाल ने बड़ी संख्या में दर्शकों से बात करने का आत्मविश्वास हासिल किया. उस साल 25 सितंबर को ऐतिहासिक आनंदपुर साहिब गुरुद्वारे में एक बड़े कार्यक्रम में, वह कई अन्य युवाओं के साथ बपतिस्मा प्राप्त सिख बन गया. कुछ दिनों बाद, अमृतपाल का दस्तार-बंदी समारोह रोडे गांव के एक गुरुद्वारे में आयोजित किया गया, जो सिख चरमपंथी और अलगाववादी, जरनैल सिंह भिंडरावाले की याद में बनाया गया था.
नवंबर 2022 में उसने सिख धर्म के प्रसार की सदियों पुरानी परंपरा का आह्वान करते हुए पंजाब राज्य भर में एक महीने तक चलने वाला खालसा वहीर या खालसा मार्च शुरू किया.
अमृतपाल को जबरदस्त सपोर्ट मिला और वो “खालिस्तान” के निर्माण की नई मांग का चेहरा बन गया, जबकि उसने सिख युवाओं को अमृत में भाग लेने, नशीली दवाओं को छोड़ने और सिख धर्म का प्रचार करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए “पवित्र” यात्रा पर होने का दावा किया था. उसने और उसके समर्थकों ने जल्द ही खुद को कानून से ऊपर घोषित कर दिया. अमृतपाल भारी हथियारों से लैस लोगों के साथ शानदार वाहनों में घूमता था, खुलेआम अलगाववाद का प्रचार करता था और सिख युवाओं से खुद को हथियार बनाने के लिए कहता था.
उसने खुलेआम न सिर्फ खालिस्तान के अलग राज्य के निर्माण के बारे में बात की, बल्कि हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ भी बात की.
पंजाब पुलिस ने अमृतपाल और उसके लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला करने से पहले उन्हें लंबी छूट दी थी. अजनाला थाने पर हमले ने पूरे देश का ध्यान पंजाब की ओर खींचा और “विजयी” अमृतपाल ने अपनी “उपलब्धि” पर खुशी जताई. पुलिस ने 18 मार्च को पूरे पंजाब ऑपरेशन में अमृतपाल और उसके समर्थकों को गिरफ्तार करने के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई की योजना बनाना शुरू कर दिया था.
(चितलीन के. सेठी के इनपुट के साथ)
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