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Friday, 26 April, 2024
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मोदी सरकार सिविल सेवा प्रवेशकर्ताओं के लिए बदलना चाहती है आईएस, आईपीएस, आईएफएस, आईआरएस की आवंटन प्रक्रिया

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पीएमओ ने प्रस्ताव दिया है कि प्रोबेशनर्स के लिए सेवा और कैडर का आवंटन उनके द्वारा तीन महीने के फाउंडेशन कोर्स को पूरा करने के बाद किया जाए। सरकार का कहना है कि यह सिर्फ एक सुझाव है न कि कोई अंतिम निर्णय।

नई दिल्ली: मोदी सरकार प्रतिष्ठित अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में अर्हता प्राप्त करने वालों के लिए सेवा के साथ-साथ कैडर या राज्य आवंटित करने के मौजूदा नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव पर विचार कर रही है।

पीएमओ ने प्रोबेशनर्स द्वारा अपने त्रैमासिक फाउंडेशन कोर्स को पूरा करने के बाद ही कैडर और सेवा का आवंटन किए जाने को लेकर कैडर नियंत्रित करने वाले मंत्रालयों की राय मांगी है।

वर्तमान में, अर्हता प्राप्त उम्मीदवारों को प्रमुख भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय विदेश सेवा और भारतीय राजस्व सेवा सहित 24 अखिल भारतीय सेवाओं के लिए केन्द्रीय लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में प्राप्त रैकों के आधार पर सेवा के साथ-साथ कैडर का आवंटन तुरंत कर दिया जाता है।

यदि यह प्रस्ताव आ जाता है तो इस गौरवपूर्ण परीक्षा पास करने वाले लोगों को उन्हें आवंटित की जाने वाली सेवा और कैडर को जानने के लिए तनावग्रस्त तीन महीने के समय का सामना करना पड़ सकता है, जब तक कि वे अपने फाउंडेशन कोर्स को पूरा नहीं कर लेते।

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इस रिपोर्ट के शुरुआती संस्करण ने जोरदार प्रतिक्रियाओं को हवा दी। द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने इसे दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण को रद्द करने का एक उद्देश्य करार देते हुए इस प्रस्ताव की तत्काल वापसी की मांग की।

रिपोर्ट का जवाब देते हुए, केंद्र सरकार ने एक स्पष्टीकरण जारी किया। एक सरकारी प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि “कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और यह विचाराधीन सुझावों में से एक है।”

हालाँकि जानकार वरिष्ठ अधिकारियों ने दावा किया कि पीएमओ ने प्रस्ताव के औचित्य को स्पष्ट नहीं किया है। उन्होंने मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में नए लोगों की नियुक्ति द्वारा सिविल सेवाओं को सुधारने और ढालने के अन्य प्रयासों की तरफ इशारा किया।

सरकार ने अखिल भारतीय सेवाओं के राष्ट्रीय चरित्र की सुरक्षा हेतु भारत की शीर्ष नौकरशाही के लिए इस वर्ष एक नयी कैडर आवंटन नीति की शुरुआत भी की है। नीति का उद्देश्य कैडर को पांच क्षेत्रों में विभाजित करके अधिकारियों को उनके गृह राज्य के अलावा विभिन्न क्षेत्रों को अपने कैडर के रूप में स्वयं चुनने का विकल्प प्रदान करके सेवाओं को क्षेत्रीय प्रकृति में तब्दील होने से रोकना था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर दिप्रिंट से बात की और आगाह किया कि सरकार केवल विकल्प तलाश रही थी और इसीलिए, यह देखने के लिए क्या यह विकल्प व्यवहार्य है, कैडर नियंत्रित करने वाले मंत्रालयों से विचार और सुझाव मांगे गए हैं। अधिकारी ने जोर दिया कि फिलहाल इसे इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं समझा जाना चाहिए।

अस्पष्ट मॉडल

नवीनतम प्रस्ताव को एक पत्र में निगमित किया गया है जिसे पिछले हफ्ते कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने कैडर को नियंत्रित करने वाले मंत्रालयों को भेजा था।

यह बताते हुए कि प्रधानमंत्री कार्यालय से सुझाव आए हैं, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी)  ने मंत्रालयों से “विचार” और “आवश्यक कार्रवाई” की मांग की है ताकि परिवर्तन इस वर्ष से लागू किया जा सके। पत्र में मंत्रालयों से, सेवा के मौजूदा नियमों की जांच करने और एक सप्ताह के भीतर इस मामले पर अपना इनपुट प्रदान करने का आग्रह किया गया है।

इस पत्र में मंत्रालयों से सिविल सेवा परीक्षा और फाउंडेशन कोर्स में उम्मीदवार के संयुक्त स्कोर के आधार पर सेवा और कैडर आवंटित करने की व्यवहार्यता का अध्ययन करने का आग्रह किया गया है।

पत्र यह निर्दिष्ट नहीं करता है कि फाउंडेशन कोर्स के दौरान उम्मीदवार के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए किस मापदंड का पालन किया जाएगा। यह स्पष्ट नहीं करता है कि फाउंडेशन कोर्स में ‘प्रदर्शन’ पूरी तरह से एक बहुविकल्पीय लिखित परीक्षा या अकादमी के संकाय या अन्य अधिकारियों द्वारा मूल्यांकन किए जाने वाले अन्य पहलुओं पर आधारित होगा।

पत्र में यह भी उल्लेख नहीं किया गया है कि प्रशिक्षण अकादमियों के लिए किस प्रकार उम्मीदवारों को अभिहस्तांकित किया जाएगा।

वर्तमान में, आईएएस और आईएफएस (विदेशी सेवा) प्रोबेशनर्स अपना फाउंडेशन कोर्स मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (एलएसबीएनएए) में पूरा करते हैं, जबकि अन्य सेवाओं के प्रोबेशनर्स अपने कोर्स के लिए तीन प्रशिक्षण अकादमियों में विभाजित किये जाते हैं – एलएसबीएनएए, हैदराबाद की राज्य अकादमी और भोपाल की राज्य अकादमी।

यदि यह नए प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ता है तो सरकार को प्रोबेशनर्स को तीन अकादमियों में विभाजित करने के लिये मार्ग खोजना होगा।

अधिकारी सावधान

सेवारत अधिकारियों में से अधिकांश ने अपने अधिकारों को अभिव्यक्त करते हुए दिप्रिंट से बातचीत में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देते हुए बताया कि हालांकि नया प्रस्ताव अभी भी सरकार द्वारा खोजा जा रहा है।

एक वरिष्ठ अधिकारी, जिसने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि इस कदम का इरादा उम्मीदवारों का बेहतर आकलन करना हो सकता है।

अधिकारी ने कहा कि “आज अर्हता प्राप्त उम्मीदवारों को व्यक्तिगत रूप से जाने बिना केवल उनकी रैंक के आधार पर कैडर और सेवाएं सौंपी जाती हैं। अधिकारी ने कहा कि “फाउंडेशन कोर्स, उम्मीदवारों को एक प्रमुख सेवा के लिए अभिहस्तांकित करने से पहले उनके आचरण, व्यवहार और ऐसे अन्य कारकों का आकलन करने में मदद कर सकता है।”

लेकिन इसमें दुरूपयोग होने की सम्भावना हो सकती है, उन्होंने आगे कहा कि “फाउंडेशन कोर्स के बाद सेवा आवंटन में दुरुपयोग की जबरदस्त सम्भावना रहती है, जब तक यह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से नहीं किया जाता।” उन्होंने यह भी कहा कि पीएमओ से आने वाले प्रस्ताव के साथ, कैडर नियंत्रित करने वाले मंत्रालयों के लिए यह कहना मुश्किल होगा कि इसके दुरूपयोग की सम्भावना नहीं है।

एक और वरिष्ठ अधिकारी ने इस प्रस्ताव को “भयावह” कहा।

अधिकारी ने कहा, “अगर सेवा और कैडर आवंटन सिविल सेवा परीक्षा के संयुक्त स्कोर और फाउंडेशन कोर्स के स्कोर या प्रदर्शन पर निर्धारित किया जाता है, तो यह कार्यकारी अधिकारी के हस्तक्षेप को बढ़ाकर यूपीएससी की भूमिका को कम करेगा।”

आईएएस के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह मनमानी और निरंकुशता को जन्म देगा। अधिकारी ने कहा कि “अलग-अलग फाउंडेशन कोर्सों के लिए प्रश्नपत्र, विषय, संकाय और समग्र मानकों सहित हर एक चीज अलग-अलग होती है। परिणामस्वरूप, सेवा आवंटन जैसे महत्वपूर्ण कार्य, जिसके लिए उम्मीदवार बहुत मेहनत करते हैं, में अत्यधिक मनमानी और स्वेच्छाचारिता अपना स्थान बना लेगी।

“प्रोबेशनर्स को उनके फाउंडेशन कोर्स में पहले ही दिन से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना भी अस्वास्थ्यकर है; क्योंकि इससे उनके बीच का सौहार्द ख़त्म हो जायेगा।”

Read in English : Modi govt wants to change how civil service entrants are allocated IAS, IPS, IFS, IRS

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