एक समय था, जब ग्लैमर की दुनिया में हरेक रिश्ता बिखर रहा था. इन सभी नकारात्मक उठापटक के बीच एक चमकदार जोड़ा आया, जो साथ रहने में यकीन करता है.
कुछ दिन पहले जब सोशल मीडिया पर अनुष्का शर्मा-विराट कोहली की शादी की तस्वीरें वायरल हुईं, तो प्रतिक्रिया ज़बर्दस्त थी। हरेक व्यक्ति ने, चाहे वह इस जोड़े से जुड़ा था या नहीं, मानो उनके फैसले पर मुहर लगा दी हो.
इस तरह की सकारात्मक प्रतिक्रिया, खासकर शो-बिज़नेस में पिछले काफी समय से देखने को नहीं मिली थी.
मेरे ख्याल से देश से बाहर शादी करने का विचार बढ़िया था और उससे भी बेहतर तो शादी की तस्वीरें और फेरों के वीडियो रिलीज़ करने का था. इस तरह, नव-विवाहितों ने अपने चाहनेवालों और फैन्स को अपने साथ, अपने खास पल में जोड़े रखा- खासकर मीडिया को, जिनके पास इटली के बाग से बिल्कुल ताज़ा आयी तस्वीरों के साथ एक्सक्लूसिव खबरें चलाने का पर्याप्त समय मिल गया.
मैं इस सप्ताह जिससे भी मिली और बात की, हरेक लगभग इस ख़बर के बारे में ही बात कर रहा था. इनमें से कुछ ने तो वीडियो को कई बार देखा है. मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि उन्होंने एक-दूसरे को बांहों में लपेटा, लेकिन सार्वजनिक तौर पर चुंबन नहीं लिया.
हालांकि, अनुष्का और विराट के बारे में सबकुछ बिल्कुल अलग था. कहा जाता है कि दोनों की पहली मुलाकात एक एड-फिल्म बनाने के दौरान हुई थी और धीरे-धीरे दोनों का एक-दूसरे के प्रति झुकाव हुआ. जल्द ही, उन्होंने मिलना-जुलना शुरू किया और ख़बरें उनके रोमांस से भरी थीं, हालांकि कभी भी अफवाहों पर उन्होंने मुहर नहीं लगायी.
दोनों की साथ में तस्वीरें बहुत कम आयीं और दोनों ने ही इंटरव्यू में एक-दूसरे का नाम लेने से परहेज किया। अगर फिल्मी मीडिया हमलावर हुआ तो अनुष्का ने विनम्रता लेकिन दृढ़ता से इस विषय पर विराम लगा दिया। मुझे याद है कि उन्होंने केवल एक बार ‘नर्वस मुस्कान’के साथ इसे टाल दिया था—शायद, करण जौहर के शो पर, जब वह इस अंतरंग सवाल के लिए तैयार नहीं थीं।
यह उस समय में विरल है, जब अभिनेता/त्री अपने संबंध में छोटे से छोटा विवरण भी सोशल-मीडिया पर डालते हैं. अनुष्का ने हालांकि अपने नियम बनाए. उसने कभी भी फिल्म निर्माताओं/सहयोगी कलाकारों के साथ अपने संबंधों को बढ़ाकर नहीं दिखाया, मीडिया को छूट लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया और कभी भी गैर-ज़िम्मेदारी नहीं दिखायी। उसने कभी न तो घुसपैठ की, न ही किसी को अपनी व्यक्तिगत ज़िंदगी में झांकने दिया.
एक छोटा अंतराल था, जब दोनों के बीच सबकुछ खत्म हो जाने की अफवाह तैरी. हालांकि, उन्होंने एक शब्द भी नहीं बोला, दोस्तों को भी नहीं. मीडिया को तो खैर, कभी नहीं। यह चरण जल्द ही खत्म हो गया, उन्होंने अपने झगड़े दफन किए और अपने संबंध को आगे बढ़ाया, मजबूत बनाया.
1960 के ज़माने में, जब क्रिकेटर मंसूर अली खां पटौदी का रोमांस शर्मिला टैगोर से चल रहा था, तो हर कोई उनको साथ देखना चाहता था. दोनों अपने क्षेत्र के सुपर सितारे थे और शायद उनको चिंता होनी चाहिए थी कि शादी किस तरह उनके व्यक्तिगत करियर को प्रभावित करेगा, लेकिन उन्होंने चिंता नहीं की। वे साथ रहना चाहते थे.
अनुष्का शर्मा और विराट कोहली ने भी 2017 के अंत से पहले मौका लपक लिया. इस फैसले का सौंदर्य इसकी ‘टाइमिंग’ में है. दोनों ने यह तब किया, जब वे अपने करियर में शीर्ष पर हैं.
तो, क्या दशकों में हमारे सितारों का रोमांस बदल गया है? शायद नहीं, लेकिन उसका अंदाज़-ए-बयां तो ज़रूर ही बदला है.
50 के दशक में कोई भी इसके बारे में बात नहीं करता था, जब तक सब आधिकारिक न हो जाए. 60 के दशक में थोड़ी फुसफुसाहट होती थी और एकाध बार सबकुछ पता भी चल जाता था. 1970 के दशक में दोनों ही दुनिया के मज़े लेने के लिए पत्नी के साथ एक प्रेमिका भी होती थी. मेरे ख्याल से तभी ‘हम बस अच्छे दोस्त हैं’ नामक घोषवाक्य की खोज हुई होगी और 1980 के दशक तक यह चलता रहा. 1990 के दशक में दोनों दुनिया के मजे का अर्थ पुरुष या महिला दोनों की ही तरफ झूलता था, लेकिन कोई भी खुले में इस पर चर्चा नहीं करता था.
सिनेमा परिपक्व हुआ 2000 में और 2010 में संबंधों के संतुलन में बदलाव आया- अमूल-चूल बदलाव। नयी पीढ़ी ने जमकर काम किया और उतनी ही शिद्दत से मौज भी. वे बहुत अच्छे दोस्त थे, प्राण से प्यारे लेकिन जब फिल्म ने बॉक्स-ऑफिस पर कमाल नहीं दिखाया, तो हरेक अपने रास्ते चला गया. युवा सितारों ने बांहों में मचलती मछलियां तो बनायीं, लेकिन हरेक अपने ही राक्षस से लड़ रहा था.
एक समय आया, जब ग्लैमर की दुनिया की हरेक शादी ही बिखर रही थी. फिल्म-निर्माता/संगीत निर्देशक/लेखक/ अभिनेता- कुछ के तो बड़े बच्चे भी हैं- डायवोर्स के लिए कोशिश कर रहे थे और जो लोग लिव-इन में थे औऱ जिन्होंने अमर्त्य-प्रेम की कसमें खायी थीं, अब अनुकूलता न होने की वजह से अलग हो रहे थे.
इन सबके बीच एक चमकदार जोड़ा आय़ा है, जो शादी में यकीन करता है, एक दूसरे के साथ में यकीन करता है. हम भी मुस्कुराते हुए कहते हैं, आमीन!
भावना सोमैया एक फिल्म-इतिहासकार और लेखक हैं.