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Saturday, 2 November, 2024
होममत-विमतकौन हैं सावरकर? और क्या हमें उनकी बात करनी चाहिए? 14 राज्यों में सर्वेक्षण के चौंकाने वाले नतीजे

कौन हैं सावरकर? और क्या हमें उनकी बात करनी चाहिए? 14 राज्यों में सर्वेक्षण के चौंकाने वाले नतीजे

सावरकर के बारे में केंद्रीय राज्यों में बहुत कम जागरूकता है, और उम्मीद के मुताबिक़ महाराष्ट्र और गोवा में बहुत अधिक है.

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पिछले कुछ हफ्तों में टीवी न्यूज और अंग्रेज़ी दैनिक अखबारों में, क्रमश: बहुत सारा एयर टाइम और कॉलम स्पेस, विनायक दामोदर ‘वीर’ सावरकर पर खर्च किया गया. जाहिर है कि समाज के विभिन्न वर्गों ने इस कवरेज पर अपने विचार व्यक्त किए और साथ ही साथ आलोचनाएं भी कीं. लेकिन क्या टीवी न्यूज का स्वतंत्रता सेनानी और भारत के दक्षिण-पंथी आइकॉन को इतनी व्यापक कवरेज देना न्यायोचित है?

भारतीय लोग उन्हें कैसे देखते हैं? क्या वो उन्हें पहचानते हैं? क्या वो उन्हें इतिहास में कोई जगह देते हैं? प्रश्नम ने पता लगाने का फैसला किया, कि कितने लोग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में, उनकी भूमिका को याद करते हैं, और उन्हें पहचानना तथा उनकी चर्चा करना कितना अहम है.

प्रश्नम ने 12,344 उत्तरदाताओं से ये सवाल पूछे जो इन 14 राज्यों में फैले हुए थे- बिहार, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल.

नतीजों से साफ जाहिर है कि सर्वे किए गए 70 प्रतिशत से अधिक लोगों को, कुछ पता नहीं था कि वो कौन थे.


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जिन लोगों ने पहले सवाल में ही सावरकर को पहचान लिया, उनसे हमने पूछा:

जिन लोगों ने उन्हें पहचान लिया, उनमें करीब 67 प्रतिशत का मानना है कि स्वतंत्रता सेनानी को सम्मानित करना जरूरी है.

अगर दोनों के नतीजों को मिला लें, तो हम देख सकते हैं कि तकरीबन 80 प्रतिशत उत्तरदाताओं को सावरकर की कोई परवाह नहीं है. इसलिए ये पूछना जरूरी हो जाता है, कि क्या सावरकर को दी गई कवरेज बहुमूल्य एयर टाइम की बरबादी है, खासकर ऐसे में जब भारत के सामने ज्यादा अहम मुद्दे खड़े हैं.

हमें राज्यवार दिलचस्प भिन्नताएं नजर आती हैं. सावरकर के बारे में केंद्रीय राज्यों में बहुत कम जागरुकता है, और उम्मीद के मुताबिक महाराष्ट्र और गोवा में बहुत अधिक है.

जैसी कि अपेक्षा थी, अलग अलग राज्यों में भी, जिन लोगों ने उनसे वाकफियत जताई, उनका विचार था कि सावरकर को मानना और सम्मानित करना बहुत जरूरी है.

पारदर्शिता और ईमानदारी के सिद्धांतों के अनुरूपप्रश्नम इस सर्वे का तमाम कच्चा डेटा यहां उपलब्ध कराता हैजिससे कि विश्लेषक और शोधकर्त्ता उसे सत्यापित करकेआगे विश्लेषण कर सकें.

(राजेश जैन एक एआई टेक्नॉलजी स्टार्ट-अप प्रश्नम के संस्थापक हैंजिसका उद्देश्य राय एकत्र करने के काम को अधिक वैज्ञानिकआसानतेज़ और किफायती बनाना है. वो @rajeshjain पर ट्वीट करते हैं.)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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