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Friday, 22 November, 2024
होममत-विमतबालाकोट, ब्लैकआउट, और आईएएफ़: जब इमरान ख़ान की उड़ाई अफ़वाहों को नहीं रोक पाए पाकिस्तानी लोग

बालाकोट, ब्लैकआउट, और आईएएफ़: जब इमरान ख़ान की उड़ाई अफ़वाहों को नहीं रोक पाए पाकिस्तानी लोग

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान एक साल से ऊपर से, भारत की तरफ़ से झूठे फ्लैग ऑपरेशन का इंतज़ार कर रहे हैं. मई में उन्होंने दो बार भारत के हमले की संभावना जताई.

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‘कराची में हो क्या रहा है?’ मंगलवार को पाकिस्तान में यही ट्विटर बज़ था. जैसा कि पाकिस्तान में हर सवाल के साथ होता है, पहले जवाब का ताल्लुक़ भारत के साथ होता है. कुछ लोगों को लगा कि ये भारतीय दुश्मन था, जो 2019 के बालाकोट जैसे मिस-एडवेंचर को दोहराना चाह रहा है, जबकि दूसरों को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ ज़रूर है. चलिए अफ़वाह़ों की मिलों को दोष नहीं देते. बहरहाल, बालाकोट पर हवाई हमला भी, एक डरावने मंगलवार को ही हुआ था.

अटकलबाज़ों को कुछ मालूम नहीं है. अगर कोई क़सूरवार है, तो वो टॉप ऑफ़िस है.

लड़ाई को भड़कावा

पाकिस्तान के वज़ीरे आज़म इमरान ख़ान एक साल से ऊपर से, भारत की तरफ़ से झूठे फ्लैग ऑपरेशन का इंतज़ार कर रहे हैं. मई में उन्होंने पांच दिन के अंदर दो बार, भारत के हमले की संभावना जताई.

इसी तरह, पिछले दिसम्बर में, ख़ान को यक़ीन था कि हमला होने वाला है, और उन्होंने इस ख़तरे को साझा किया. उससे पहले स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने इशारा किया था, कि पाकिस्तान के ऊपर बालाकोट की तर्ज़ का हमला होने वाला है. बालाकोट हमले और कश्मीर में धारा 370 हल्की किए जाने के बाद से, ‘हमले’ का पागलपन इमरान ख़ान सरकार के सर चढ़ गया है.

पिछले साल, विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने तो हमले की तारीख़ों की भी भविष्यवाणी कर दी थी: 16 से 20 अप्रैल के बीच. उन्हें बहुत यक़ीन था, और वो यक़ीन सिर्फ हमले के साल पर ही नहीं था. रेलवे मंत्री शेख़ रशीद ने भी आगे बढ़कर, अक्तूबर और नवम्बर 2019 में भारत-पाकिस्तान युद्ध की भविष्यवाणी कर दी. हमें ख़ुशी है कि हम सब उस ‘लड़ाई’ से ख़ैरियत के साथ बच निकले.

लेकिन, ‘वो हम पर हमला करेंगे या नहीं करेंगे’ इन अटकलों का बाज़ार आजकल ख़ूब गर्म है. क्या भारत को चिंता करनी चाहिए कि लड़ाई की उम्मीदें बढ़ी हुईं हैं, या, क्या पाकिस्तान अपने पसंदीदा पड़ोसी को प्रदर्शन की चिंता देने में कामयाब हो गया है?

कराची पर अफ़वाहों के बादल

तो आख़िर हुआ क्या? जैसे कि हमें भारत और पाकिस्तान की कोई भी शरारत कभी समझ में आ ही जाती है. कुछ लड़ाकू विमानों की हरकतें, और कराची में एक तथाकथित ब्लैकआउट ने, आसमान में उत्सुकता पैदा कर दी. बस सोशल मीडिया पर अफ़वाहों का बाज़ार गर्म करने के लिए इतना काफी था, कि लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर भारत की वायु सेना के विमान पहचाने गए थे. कुछ ने तो ये भी दावा किया, कि ये पाकिस्तान की हवाई सीमाओं में घुसने की, भारत की एक नाकाम कोशिश थी, क्योंकि भारत की वायु सेना को पीछा करके भगा दिया गया. लेकिन वो एक ग़लत शिनाख़्त का मामला हो सकता है. भारतीय एयर फोर्स नहीं, बल्कि पाकिस्तान एयरफोर्स के जेट्स. कहीं कुछ गड़बड़ थी.

पाकिस्तान एयरफोर्स की तरफ़ से, या फिर कोई सरकारी बयान जारी नहीं हुआ, कि कराची के आसमान में ये बेमिसाल हरकत किस वजह से हुई.

2011 में एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के परिसर में रेड के बाद, ये वहां के निवासियों के लाइव ट्वीट्स ही थे, जिनसे उस शहर के आसमान पर किसी हरकत की, हमें पहली ख़बर मिली. लाइव ट्वीट्स बहुत तेज़ी के साथ, इतिहास का पहला ड्राफ्ट बनते जा रहे हैं.

दो एक दिन के लिए कराची की अफ़वाहें, ट्विटर ‘सरहदों’ को गर्म रखने के लिए काफी थीं. लेकिन बालाकोट के बाद हमने ये सीखा है, कि कोई दूसरी चीज़ सरहदों को इस तरह गर्म नहीं रख सकती, जैसी कि चाय की वो गर्म प्याली, जो विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को पेश की गई थी.

पाकिस्तान जवाब देगा (और कैसे) ये एक मानी हुई बात थी, और इस बारे में कोई दो राय नहीं थीं. हम कैसे भूल सकते हैं उस सरप्राइज़ को, जो पिछले साल के तबाही भरे, 27 फरवरी के दिन भारत को दिया गया था, और जिसे आने वाली पीढ़ियां, ‘सरप्राइज-डे’ के तौर पर याद रखेंगी.

अफ़वाहें फैलाने वालों को कोई नहीं रोक सकता. सोशल मीडिया की फौज ने दावा किया, कि कराची ब्लैकआउट के दौरान पाकिस्तान ने अपना ही एफ-16 गिरा दिया था. दुष्प्रचार के बादल इतने घने हुए, कि डॉन को सफाई देनी पड़ी, कि उसके नाम से फैलाई जा रही ख़बर फ़र्ज़ी थी.

‘बहादुर’ पाकिस्तानी

तमाम कोलाहल के बीच किसी ने एक समझदारी भरी राय दी. पाकिस्तानी अवाम की बहादुरी की अकड़ दिखाते हुए, पोस्ट में दावा किया गया, कि उन्हें डराने की कोशिश करना, भारत की मूर्खता होगी. जब कोरोनावायरस पाकिस्तान को नहीं डरा सका, तो फिर भारत अपने मिग और मिराज जैसे खिलौनों से उसे कैसे डरा लेगा?

 

 

लेकिन फिर हर मुल्क अपना राष्ट्रीय हित पहले देखता है. ये बात चल रही थी कि चूंकि पूरे पाकिस्तान में फ़िलिंग स्टेशंस से पेट्रोल ग़ायब है, इसलिए भारतीय एयर फोर्स विमान के पीछे जाना, कोई बहुत अच्छा ख़याल नहीं था.

ऐसा लगता है कि कराची के ऊपर जो हुआ, वो कराची के ऊपर ही रहेगा.

जब भी पाकिस्तान के आसमान में दो या उससे ज़्यादा जेट्स मंडराएंगे, तो क्या वहां वही पागलपन छाएगा . hashtags #IndiaWantsSurpriseAgain.

भले ही वो उसके अपने ही क्यों न हों? इस तरह कि मिसालें शायद कोविड-19, विनाशकारी आर्थिक स्थिति, टिड्डियों का हमला, और अब पेट्रोल की क़िल्लत जैसे अस्ली मसलों से भटकाने का काम करेंगी, जिसकी बहुत ज़रूरत है.

(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त विचार उनके निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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