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Saturday, 21 December, 2024
होममत-विमतफेक न्यूज़ से लोग मर रहे हैं और व्हाट्सएप बस खड़े खड़े तमाशा देख रहा है

फेक न्यूज़ से लोग मर रहे हैं और व्हाट्सएप बस खड़े खड़े तमाशा देख रहा है

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20 करोड़ भारतीयों द्वारा उपयोग की जाने वाली मैसेंजर सेवा को अपने पक्ष को सिद्ध करना है।

व्हाट्सएप ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक नोटिस का जवाब दिया है (यहां पढ़ें)। नोटिस में कंपनी को यह स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया था कि वह अपने मंच पर “गैर जिम्मेदार और विस्फोटक संदेशों” के प्रसार को रोकने के लिए क्या कर रही थी।

अफ़सोस की बात है, व्हाट्सएप की प्रतिक्रिया खोखली बातों के अलावा और कुछ भी नहीं है।

प्रतिक्रिया इस बात पर बल देते हुए शुरू होती है और समाप्त हो जाती है कि समस्या से निपटने की जिम्मेदारी सिर्फ व्हाट्सएप की ही नहीं है, इसके लिए सरकार और नागरिक समाज को भी आगे आना होगा। मान लिया ठीक है, लेकिन व्हाट्सएप ने अब तक किया क्या है?

पिछले साल मई से बाल-अपहरण की एक अफवाह पर 29 लोग अपनी जान गँवा चुके हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों में, व्हाट्सएप पर फॉरवर्ड किए गये संदेशों, कि ऐसे बाहरी व्यक्ति बच्चों का अपहरण करने के प्रयास करेंगे, द्वारा आगाह किये जाने के बाद लोगों ने भीड़ के रूप में कई ‘बाहरी व्यक्तियों’ को मार डाला। एक और घटना में, व्हाट्सऐप की अफवाह के कारण दो लोगों को डकैत समझते हुए मार दिया गया। अतएव मौतों की संख्या 31 पहुँच चुकी है।
सामाजिक तनाव और हिंसा की कई घटनाओं, जैसे मेघालय में सिखों और खासी के बीच हालिया संघर्ष, में व्हाट्सएप अफवाहें समस्या को उत्तेजित करने के लिए जिम्मेदार थीं।

और कुछ इतने गंभीर विषय के लिए व्हाट्सएप की प्रतिक्रिया क्या है? इसका पहला तर्क है कि एप में ब्लॉक करने का एक बटन है।

व्हाट्सएप समझाता है, “यदि कोई व्यक्ति आपके एड्रेस बुक में नहीं है और आपको मेसेज भेजता है तो व्हाट्सएप स्वचालित रूप से पूछता है कि क्या आप उस यूजर को ब्लॉक करना या रिपोर्ट करना चाहते हैं। हमने हाल ही में अवांछित जानकारी के प्रसार को रोकने के लिए गुप चैट में कई बदलाव किये हैं……।”

लेकिन ‘अवांछित जानकारी’ समस्या नहीं है। लोग फर्जी ख़बरों और गलत सूचनाओं को सच मानते हुए साझा करते हैं और बहुत सारे लोग इन पर विश्वास करते हैं क्योंकि वे इसे उन लोगों से प्राप्त करते हैं जिन्हें वे जानते हैं और भरोसा करते हैं।
सरकार को दी गयी व्हाट्सएप की प्रतिक्रिया में कुछ भी नया नहीं है। कंपनी का कहना है कि यह एक लेबल का टेस्ट कर रही है जो फॉरवर्ड किए गये संदेशों को स्पष्ट रूप से फ़ॉर्वर्डेड नाम से चिन्हित कर देगा, लेकिन हम इसे पहले से ही जानते हैं।

समस्या है एन्क्रिप्शन और पत्र गोपनीयता के कारणों के लिए ऊर्जावान प्रत्युत्तर देता है। लेकिन जब व्हाट्सएप ने पिछले साल एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन शुरू किया था, तो इसे यह पता होना चाहिए था कि कानून प्रवर्तन और भी सख्त हो जाएगा। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन कंपनी को भी संदेशों को पढ़ने की इज़ाज़त नहीं देता है। वे किसी सर्वर पर स्टोर नहीं किए जाते हैं।
यही कारण है कि अन्य तकनीकी समाधानों, जैसे कि फ़ॉर्वर्डेड लेबल, को बहुत पहले ही प्रस्तावित किया जाना चाहिए था। जिनका अब जाकर परीक्षण किया जा रहा है।

मंत्रालय द्वारा नोटिस भेजे जाने के तुरंत बाद, व्हाट्सएप ने गलत सूचनाओं के प्रसार के लिए व्हाट्सएप के इस्तेमाल पर अकादमिक शोध को निधि देने के लिए एक प्रतिस्पर्धा की घोषणा की। कंपनी अपने सबसे बड़े बाज़ार में सुरक्षा के मुद्दों पर बहुत देर से जागी है: यह गलत जानकारी पर शोध अब शुरू कर रही है।

स्वतंत्र प्रयासों को उपयुक्त बनाना

सोशल मीडिया के माध्यम से नकली समाचार और गलत सूचनाओं का मुद्दा भारत के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक वर्ष से भी अधिक समय से लोगों के दिमाग पर छाया हुआ है। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ वैश्विक स्तर पर कड़ी आलोचना का सामना करने वाले व्हाट्सएप का सह-संगठन फेसबुक इसके बारे में कुछ करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए भारत में फेसबुक ने तथ्य-जाँच करने वाले संगठन बूमलाइव के साथ करार किया है।

मंत्रालय के लिए व्हाट्सएप की प्रतिक्रिया में कहा गया है कि, “व्हाट्सएप पर बूम लाइव उपलब्ध है”, जिसका मतलब कुछ भी नहीं है। व्हाट्सएप पर सब लोग उपलब्ध हैं। बूमलाइव व्हाट्सएप की तथ्य-जाँच भागीदार नहीं है जिस तरह से यह फेसबुक के लिए है। चालाकी से सुझाव देने की कोशिश करते हुए कि उसकी बूमलाइव के साथ साझेदारी है जबकि ऐसा नहीं है इससे कंपनी केवल खुद को मूर्ख बना रही है।

जवाब में दावा किया गया है कि, “हम नियमित रूप से जानकारी निकालते हैं, जो यह बताता है कि फर्जी समाचार और धोखाधड़ी कैसे पहचानना है”, लेकिन इस लेखक ने इसका कोई सबूत नहीं देखा है। सच्चाई यह है कि व्हाट्सएप अपने सबसे बड़े बाजार में सुरक्षा मुद्दों को अनदेखा और उनकी अवहेलना कर रहा है और कोई भी निरर्थक बात उसको पूरा नहीं कर सकती हैं।

कंपनी का दावा है कि वह शैक्षिक अभियानों को बढ़ाने की योजना बना रही है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि वह ब्राजील और मेक्सिको में समाचार संगठनों के साथ कैसे जुड़ी हुई है और अब भारत में ऐसा ही कुछ करने की योजना बना रही है।

31 लोगों के जान गंवाने के बाद, वह अभी भी योजना बना रही है।

जैसा कि यह बूमलाइव का नाम लेकर दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि इस संदर्भ में कुछ कर रही है, स्थानीय पुलिस के प्रयासों पर उसके दावों का मामला भी वैसा ही है। प्रतिक्रिया में कहा गया है कि हैदराबाद पुलिस ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है जिस पर कोई भी सक्रिय अफवाहों के साथ एक संदेश भेज सकता है और जाँच कर सकता है कि क्या वे सच हैं। यह बहुत बढ़िया है। लेकिन, यहाँ व्हाट्सएप ने क्या किया?

इसमें तेलंगाना की आईपीएस अधिकारी रेमा राजेश्वरी के फर्जी समाचार और अफवाहों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के प्रयासों का भी उल्लेख है। वह बहुत अच्छा काम कर रही हैं, लेकिन व्हाट्सएप उनके जैसे प्रयासों में मदद करने के लिए क्या कर रहा है? कुछ भी तो नहीं। कंपनी कहती है, “जल्द ही हम भारत के कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ एक अनुबंधित कार्यक्रम शुरू करेंगे।”

पूरे भारत में व्हाट्सएप के माध्यम से फैली नकली खबरें और अफवाहें पुलिस के लिए प्रमुख सिरदर्द बन गई हैं। हर दूसरे दिन लोगों की हत्या कर दी जा रही है। एक सरगर्म चुनावी सत्र करीब है। बढ़ती चुनौती के लिए व्हाट्सएप की प्रतिक्रिया खोखली बातों के अलावा और कुछ भी नहीं है।

Read in English: WhatsApp thinks it can get away with doing too little, too late in India

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