scorecardresearch
Saturday, 2 November, 2024
होममत-विमतवर्चुअल से कार्डबोर्ड दर्शक, DIY ट्रेनिंग- 2020 ने कैसे खिलाड़ियों को खेलते रहने के लिए प्रेरित किया

वर्चुअल से कार्डबोर्ड दर्शक, DIY ट्रेनिंग- 2020 ने कैसे खिलाड़ियों को खेलते रहने के लिए प्रेरित किया

कोविड-19 ने दरअसल खेल प्रेमियों को याद दिलाया है कि अपने चहेते खिलाड़ियों से क्या अपेक्षा करें- विपरीत हालात के अनुरूप खुद को ढालना और उन्हें अपने पक्ष में इस्तेमाल करना.

Text Size:

इस साल कोविड-19 की वजह से जब घरों में बंद लोग कला का रुख कर रहे थे तो बहुत से लोगों को उस वक्त खेलों की स्थिति की चिंता सताने लगी, जब महामारी की वजह से खेलों की दुनिया के सबसे बड़े आयोजन- ओलंपिक्स को रद्द (अब स्थगित) किया गया.

एथलीट्स अपनी पूरी ज़िंदगी ओलंपिक्स में हिस्सा लेने के लिए ट्रेनिंग करते हैं ताकि कोई मेडल जीत सकें. कुछ तो अपने शरीर पर ओलंपिक का शेड्यूल अंकित करा लेते हैं ताकि वो उन्हें अपने लक्ष्य और उद्देश्य की याद दिलाता रहे. इस साल ने एक झटके में वो सब मिटा दिया.

लेकिन अगर हर प्रेरणादायक खेल फिल्म ने हमें कुछ सिखाया है तो वो ये कि हमें नतीजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, असली अहमियत सफर की होती है और अगर रास्ते में कोई अवरोध न हो तो सफर में वाकई मज़ा नहीं आता. 2020 के अंत में आप कह सकते हैं कि खेल न केवल बचे रहे बल्कि फूले फले. ये एथलीट्स के मुकाबलों और मैचों के आयोजन से आगे निकल गए. इन्होंने लोगों को बता दिया कि इनमें कितनी शक्ति और प्रभाव है और इस ताकत से ये कितना बदलाव ला सकते हैं.


यह भी पढ़ें: UP में जातिगत स्टीकर लगाने पर वाहनों को जब्त करने का कोई नया आदेश जारी नहीं


कोविड के दौरान लाइव टूर्नामेंट्स कराना

खेल बहुत हद तक दर्शकों पर निर्भर करते हैं और फुटबॉल, क्रिकेट, टेनिस, बास्केटबॉल आखिरकार दर्शकों के खेल हैं. महामारी के शुरुआती महीनों में कराए गए मैचों में हालांकि दर्शकों को स्टेडियम से दूर रखा गया लेकिन लोगों ने कुछ दिन पहले भारत को आठ विकेट से हारते हुए देखा जिसमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में टेस्ट क्रिकेट के इतिहास के सबसे कम 36 रन स्कोर किए. हालांकि स्टैंड्स दर्शकों से भरे हुए नहीं थे लेकिन भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ में रिकॉर्ड संख्या में दर्शकों ने अपने घरों से मैच देखा.

लेकिन भारत का ऑस्ट्रेलिया दौरा महामारी के बहुत बाद के हिस्से में आया है. इस सिलसिले की सबसे पहले जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेस्लिगा ने शुरूआत की, जो मई में वापस एक्शन में आ गई. कोविड से पहले के हालात पैदा करने के लिए आयोजकों ने बोरुसिया पार्क स्टेडियम के स्टैंड्स में, कार्डबोर्ड के 12,000 लोगों के कटआउट्स लगा दिए. फुटबॉल क्लब के समर्थकों ने स्टैंड्स के भीतर अपने कट-आउट लगवाने के लिए 19-19 यूरो (लगभग 1,500 रुपए) अदा किए.

टेनिस में ग्रांड स्लैम्स शुरू होने से पहले मौजूदा विश्व नंबर एक नोवाक जोकोविच ने जून में अपना खुद का चैरिटी टूर्नामेंट- अप्रसिद्ध एड्रिया टुअर शुरू कर दिया. ये एक ‘कोरोनावायरस मेस’ बन गया, जब जोकोविच समेत चार खिलाड़ी और दूसरे कई स्टाफ मेम्बर्स कोविड पॉज़िटिव निकल आए. इसकी काफी आलोचना हुई क्योंकि टूर्नामेंट से पहले खिलाड़ियों को नाइट क्लब में डांस करते हुए देखा गया और दर्शकों के स्टैंड्स भरे हुए थे.

एंडी मरे, मार्टिना नवरातिलोवा और निक किरगियोस जैसे टेनिस खिलाड़ियों ने टूर्नामेंट आयोजकों और खिलाड़ियों के गैर-ज़िम्मेदाराना रवैये की आलोचना की और कहा कि लोगों का कोविड-19 पॉज़िटिव निकलना कोई आश्चर्य नहीं था. ज़ाहिर है कि महामारी भी खेलों से विवादों और मिर्च मसाले को दूर नहीं कर सकी.

अमेरिका में नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन और दुबई में इंडियन प्रीमियर लीग ने खेल सीज़न फिर से शुरू करने के लिए एक बिल्कुल नया रास्ता इख़्तियार किया. उन्होंने खिलाड़ियों, ट्रेनर्स और दूसरे स्टाफ मेम्बर्स के लिए ‘बबल्स’ तैयार कर दिए ताकि कोविड-19 के खतरे से बचने के लिए उनका बाहरी दुनिया से बहुत सीमित संपर्क रखा जाए.

आईपीएल ने घर बैठे अपने दर्शकों को पहले से रिकॉर्ड की गई भीड़ का शोर सुनाकर स्टेडियम का आभास कराया. उन्होंने साबित कर दिया कि बहुत इस्तेमाल की गई इस लाइन- जहां चाह (और ढेर सारा पैसा) वहां राह- में वाकई दम है. नवंबर में आईपीएल के पहले मैच में रिकॉर्ड 20 करोड़ दर्शकों ने चेन्नई सुपर किंग्स और मुम्बई इंडियंस के बीच मुकाबला देखने के लिए ट्यून किया.

खेल की दुनिया ने बहुत देरी से आयोजित फ्रेंच ओपन में, जो मई के सामान्य शेड्यूल की जगह सितंबर में शुरू हुई, टेनिस स्टार राफेल नडाल को भी अपना 20वां ग्रैंड स्लैम जीतकर, रॉजर फेडरर के रिकॉर्ड की बराबरी करते देखा. टूर्नामेंट में देरी की वजह से क्ले कोर्ट्स में ओस अधिक थी लेकिन उससे निपटने के लिए खिलाड़ियों ने ड्रॉप-शॉट को अपना हथियार बना लिया.

इसलिए कोविड-19 ने दरअस्ल खेल प्रेमियों को याद दिला दिया कि खिलाड़ियों से क्या अपेक्षा की जाए- विपरीत हालात के अनुरूप खुद को ढालना और उन्हें अपने पक्ष में इस्तेमाल करना.


यह भी पढ़ें: ICC की दशक की बेस्ट वनडे टीम के कप्तान बने धोनी, टेस्ट टीम की कमान विराट कोहली के पास


फिटनेस से आगे

मुकाबला करने के अलावा कोविड में खिलाड़ी अपनी शारीरिक और मानसिक फिटनेस पर भी ज़्यादा तवज्जो देने लगे, जिससे वो विपरीत ट्रेनिंग परिस्थितियों में खुद को ढाल सकते थे.

ओलंपिक तैराक रयान मरफी ने महामारी के दौरान ट्रेनिंग करने के नए तरीके निकाल लिए जिनमें वो अपनी कार को एक चढ़ाई पर ढकेलते थे और पेड़ों पर पुल-अप्स करते थे क्योंकि जिम्स और पूल्स बंद थे. पांच बार की कराटे विश्व चैंपियन एलेग्ज़ेंद्रिया रेचिया भी किसी पार्टनर के बिना ट्रेनिंग करती थीं, चूंकि उनके ब्वॉयफ्रैंड ने उनके लिए लैंप से एक विकल्प बना दिया था. और नॉर्वे के रेसलर स्टिग-आंद्रे बर्ग ने पुश-अप्स में वेट्स की जगह अपने बच्चे का इस्तेमाल कर लिया.

ट्रेनिंग के शारीरिक पहलू के अलावा मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक फिटनेस को लेकर भी बहुत चर्चा रही. एथलीट्स ने बताया कि इस मुश्किल समय में किस तरह उन्होंने खेल मनोवैज्ञानिकों और चिकित्सकों का रुख किया क्योंकि उनमें से बहुत से खिलाड़ी ओलंपिक में मुकाबला न ले पाने को लेकर बहुत टूटा हुआ महसूस कर रहे थे.

भारतीय क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा ने खुलकर बताया कि कैसे वो डिप्रेशन से लड़े और उनके मन में खुदकुशी के विचार आए. टेनिस खिलाड़ी रॉबिन सॉडर्लिंग भी, जो राफेल नडाल को क्ले कोर्ट पर हराने वाले पहले व्यक्ति थे, सामने आए और अपने संघर्ष के बारे में खुलकर बात की.

महामारी ने हर किसी को, खासकर उन्हें जो खिलाड़ी बनना चाहते थे, ये अहसास करा दिया कि खिलाड़ी भी गलती कर सकते हैं और अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखकर ही आप शारीरिक रूप से फिट होकर, सर्वोच्च स्तर पर मुकाबला कर सकते हैं. आपके खेल के नायकों को खुलकर अपने कमज़ोर पहलुओं को दिखाने में एक और बात है. ये आपको एक अलग तरह का साहस देता है.


यह भी पढ़ें: 2020 आजादी के बाद से सबसे बुरा साल लेकिन सिर्फ Covid की वजह से नहीं


राजनीतिक हुआ खेल

महामारी ने हमें दिखा दिया कि खेल कहीं नहीं जा रहे हैं बल्कि हमने खिलाड़ियों को आगे बढ़कर राजनीतिक रूप से अपनी आवाज़ उठाते भी देखा.

टेनिस खिलाड़ी नाओमी ओसाका ने, जिसने इस वर्ष का यूएस ओपन जीता, एक मास्क पहना हुआ था जिसपर, अमेरिकाज़ ब्लैक लाइव्ज़ मैटर प्रदर्शनों के दौरान पुलिस बर्बरता के शिकार हुए पीड़ितों के नाम लिखे थे. टूर्नामेंट के पहले दिन उन्होंने एक मास्क पहना जिसपर ब्रेओना टेलर का नाम लिखा था- एक अश्वेत मेडिकल प्रोफेशनल जिसे अपने घर में सोते हुए एक नाकाम पुलिस रेड के दौरान मार दिया गया था.

ओसाका ने कहा, ‘मेरे पास सात मास्क हैं…बहुत अफसोस की बात है कि नाम इतने ज़्यादा हैं कि उनके लिए सात मास्क भी काफी नहीं हैं इसलिए उम्मीद है कि मैं फाइनल तक पहुंच जाउंगी और आप सारे नाम देख सकते हैं’.

फुटबॉल की दुनिया में 8 दिसंबर को चैम्पियंस लीग के पैरिस सेंट-जर्मेन बनाम इस्तांबुल बासकसेहिर मैच के दौरान दोनों ओर की टीमों के खिलाड़ी एक चौथे अधिकारी पर जातिवाद के आरोपों के बाद 23वें मिनट में मैदान से बाहर आ गए.

बासकसेहिर के असिस्टेंट मैनेजर ने आरोप लगाया कि रेफरी ने उन्हें एक ‘नि****’ कहा था. दोनों टीमें बाहर आ गईं और रेफरी के साथ एकजुटता दिखाते हुए उन्होंने ट्वीट कर कहा कि फुटबॉल में जातिवाद के लिए कोई जगह नहीं है.

इधर भारत में 30 से अधिक पंजाबी स्पोर्ट्सपर्सन ने हाल ही में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के समर्थन में अपने पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर दिया.

यही कारण है कि खेल न केवल बचे रहे हैं बल्कि फले फूले हैं. इन्होंने एक कहीं अधिक समावेशी और सहानुभूतिपूर्ण मंच तैयार किया है और खिलाड़ियों तथा दर्शकों को उनकी ताकत का अहसास कराया है जिससे वो बदलाव ला सकते हैं और सच्चाई के लिए खड़े हो सकते हैं.

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(व्यक्त विचार निजी हैं)


यह भी पढ़ें: किसानों के बीच केजरीवाल ने कहा- केंद्र से हाथ जोड़कर कृषि कानूनों को वापस लेने की अपील करता हूं


 

share & View comments