ऐसा लगता है, इमरान खान के नया पाकिस्तान में कोई अच्छी बात हो ही नहीं सकती.
नहीं, इस बार कुफ़्र ‘शहीद’ ओसामा बिन लादेन पर नहीं टूटा है, न ही ऐसी कोई अफवाह है कि प्रधानमंत्री को दरकिनार किया जा रहा है, न ही उनके वजीरों के बीच कोई अंदरूनी जंग छिड़ी है.
इस बार मामला मुल्क की नेशनल एयरलाइन और उसके पायलटों के बारे में सरकार के अपने ही खुलासे का है, जिसे अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मारना कहा जाएगा. एक दोपहर उड्डयन मंत्री गुलाम सरवर खान ने नेशनल एसेम्बली में यह खुलासा कर दिया कि मुल्क के करीब 40 फीसदी पायलट फर्जी लाइसेंस वाले हैं, जो योग्यता हासिल किए बिना हवाई जहाज उड़ा रहे हैं. सरवर खान ने बताया कि 262 पायलटों ने इम्तहान पास करने के लिए अपनी जगह दूसरों को पैसे देकर बैठाया था.
उड्डयन मंत्री के इस खुलासे से पाकिस्तान ही नहीं, दूसरे मुल्कों में खलबली मच गई. यह अहम घपला 22 मई को कराची में पाकिस्तान इंटेरनेशनल एअरलाइन्स (पीआइए) के हादसे में 97 लोगों के मारे जाने की वारदात की सरकारी जांच के सिलसिले में सामने आया.
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कठघरे में सरकारी जांच रिपोर्ट
हर बयान का अपना असर तो पड़ता ही है. सरवर खान के इस खुलासे ने दुनिया भर के मीडिया का ध्यान खींचा, तो ‘फर्जी’ लाइसेंस ‘संदिग्ध’ लाइसेंस में बदल गया. यही नहीं, फर्जी लाइसेंस वाले जिन पायलटों के नामों की लिस्ट जारी की गई, वही बाद में संदिग्ध निकली क्योंकि उन नामों में कुछ तो इस दुनिया में अब हैं ही नहीं और कुछ रिटायर कर चुके हैं. इम्तहान के कुल पेपरों, और बहाली के ब्योरों में भी गड़बड़ियां पाई गईं. जाहिर है, मंत्रालय ने अधकचरी जांच के आधार पर ही शुरुआती खुलासे कर दिए.
इमरान खान की सरकार ने अंदरूनी पूछताछ पूरा किए बिना हड़बड़ी में खुलासे किए तो इसकी वजह आखिर क्या हो सकती है?
ऐसा तभी होता है जब किसी सरकार का सारा ध्यान गड़बड़ियों के लिए दूसरों को जिम्मेदार बताने, प्रधानमंत्री को बेदाग साबित करने, और सुर्खियां बटोरने पर केन्द्रित होता है. जाहिर है, जांच रिपोर्ट पूरी तरह तैयार किए बिना सारी वाहवाही बटोरने के लिए इमरान खान की सरकार ने यह खुलासा कर डाला. ऐसा लगता है कि उनकी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ पार्टी के लिए सियासी शगूफे ही एकमात्र समाधान हैं, भले ही इससे सुधारों को नुकसान पहुंचता हो. एक ऐसे मंत्री से भला और क्या उम्मीद की जा सकती है, जो कभी तुर्की जाने के लिए हवाई अड्डे पर अपनी पत्नी का पासपोर्ट लेकर पहुंच गया था और हवाई जहाज में बैठने की ज़िद कर रहा था. यह भी न भूलें कि मंत्री महोदय खुद अपनी फर्जी डिग्री के लिए मुश्किल में पड़ चुके हैं.
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दुनिया भर में पाकिस्तानी पायलट मुश्किल में पड़े
लेकिन दुनिया उस तरह तो नहीं चलती जिस तरह पाकिस्तान की सरकार चलती है. यूरोपीय यूनियन एविएशन सेफ़्टी एजेंसी जैसे अंतरराष्ट्रीय उड्डयन रेगुलेटरों ने यूरोप में पीआइए के विमानों की आवाजाही छह महीने के लिए स्थगित कर दी. उसका कहना था कि पाकिस्तान अपने हवाई ऑपरेटरों को प्रमाणित करने और चलाने में सक्षम नहीं है. इसके बाद ब्रिटेन ने पीआइए को लंदन, बर्मिंघम और मैनचेस्टर हवाई अड्डों का इस्तेमाल करने की अनुमति वापस ले ली. इसी तरह यूएई की एविएशन ऑथरिटी ने उसे पत्र लिखा कि वह उन 50 पाकिस्तानी पायलटों और चार्टर्ड फ्लाइट ऑपरेशन अफसरों के लाइसेंसों को प्रमाणित करे, जो यूएई एअरलाइन्स में काम कर रहे हैं. इस सप्ताह वियतनाम ने भी अपने नेशनल एअरलाइन में काम कर रहे 11 पाकिस्तानी पायलटों को फर्जी लाइसेंस के शक में निष्क्रिय कर दिया.
उड्डयन विशेषज्ञों का कहना है कि यह तो अभी शुरुआत ही है. पीआइए को दुनिया भर में अपना कारोबार तो बंद करना ही पड़ेगा, आशंका यह है कि कई ऐसे पाकिस्तानी उड्डयन प्रोफेशनलों को अपनी नौकरी खोनी पड़ेगी, चाहे उन्होंने अपने लाइसेंस फर्जी तरीके नहीं भी हासिल किए हों.
नया पाकिस्तान, नये तौरतरीके
अपनी सरकार को तोहमतों से बचाने और जांच के मामले में खुद पाक-साफ बताने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान कह रहे हैं कि उनके आलोचक इस जांच को बंद करवाना चाहते हैं. फर्जी पायलट बच निकलें यह तो कोई नहीं चाहता, लेकिन सरकार अपनी नाक के नीचे हो रहे घपलों की जिम्मेदारियों से बच नहीं सकती. अगर पुराने पाकिस्तान में नवाज़ शरीफ के राज में कोई विमान हादसा होता तो क्या इमरान खान उनसे इस्तीफा नहीं मांगते?
क्या वे एक पोत के हादसे के कारण इस्तीफा देने वाले दक्षिण कोरियाई प्रधानमंत्री की मिसाल देते हुए शरीफ से गद्दी छोड़ देने की मांग नहीं करते? लेकिन नये पाकिस्तान में तो नए तौरतरीके चल रहे हैं. इसमें केवल पायलटों को जवाबदेह ठहराया जाता है.
व्यापार संघों और माफियाओं से लड़ने की बात की जाती है लेकिन असलियत में कुछ किया नहीं जाता. इमरान सरकार ने चीनी माफिया के मामले में ऐसा ही किया है, जो शासक खेमे का मजे से हिस्सा बना हुआ है.
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कोविड-19 महामारी के कारण एतिहाद एयरवेज, अमीरात और फ़्लाइदुबई जैसे अंतरराष्ट्रीय एअरलाइनों ने पाकिस्तान से पहले ही कारोबार बंद कर रखा है. और मानो यही काफी नहीं था, अब नेशनल एअरलाइन को स्थगित करने का मतलब यही है कि हम पाकिस्तानियों को अब निकट भविष्य में पाकिस्तान में ही अटके रहना होगा. याद कीजिए कि इमरान खान किस तरह यह दुआ मांगा करते थे कि डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तानियों को वीसा देने से इनकार कर दें ताकि ये लोग अपने मुल्क को बेहतर बनाने पर ध्यान दें. ऐसा लग रहा है कि जो काम ट्रंप नहीं कर सके वह इमरान खान ने कर दिखाया है.
(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त विचार उनके निजी हैं)