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Thursday, 25 April, 2024
होममत-विमतचार मौक़े जब मुझे वाजपेयी जी से डाँट सुनने को मिली: शेखर गुप्ता

चार मौक़े जब मुझे वाजपेयी जी से डाँट सुनने को मिली: शेखर गुप्ता

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एक बार मैंने उनकी बात सुनी, तीन बार मैंने नहीं सुनी और तीनों बार वो बात हमने हंस के टाल दी । मैं तो कहूंगा कि ये उनका बड़प्पन था जो उन्होंने वो बात हंस के टाल दी 

मैं 1982 में अटल जी से पहली बार अटल जी से मिला और तब से जब तक वो राजनीती में सक्रिय रहे तब तक चार बार उनसे मुझे डांट पड़ी  । तो उनकी कहानी मैं बताता हूँ ।

पहली डांट पड़ी की जब वो सिर्फ 13 दिन तक प्रधानमंत्री बन पाए थे । उसके बाद बुलावा आया तो मैं मिलने गया उन्होंने कहा भाई तुम पीछे पड़े हुए हो लगातार ये पंजाब में खालिस्तानियों को बढ़ावा दे रहे है और भिंडरेवाला की तस्वीरें लगने दे रहे है गोल्डन टेम्पल में इसको इतना शोर मत कीजिये ये ठीक हो जायेगा।

मैंने पूछा कि कैसे ठीक हो जायेगा? इसमें तो देश को बहुत बड़ा खतरा है।

अभी बीजेपी ने अकाली दल के साथ समझौता किया है पंजाब में तो उन्होंने जवाब दिया कि भाजपा ने पंजाब में अकाली दल के साथ समझौता किया है

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तो मैंने उनसे कहा कि इसीलिए तो मैं कह रहा हूँ कि आप उनके ऊपर दवाब डालिये और रोकिये तो उन्होंने जवाब दिया सब तरीके से होगा।

उन्होंने मुझे समझाया और बताया बीजेपी और अकाली दल का साथ में काम करने का खास मकसद है। भिंडरेवाला ने पंजाब में क्या शुरु किया था?  यही न हिन्दू और सिख दुश्मन हैं?

अगर बीजेपी हिन्दुओं की पार्टी है और अकाली दल सिख लोगों की पार्टी है, तो अगर दोनों साथ आ जाये और सत्ता में आ जाये तो उससे भिंडरावाले के समय का जहर ख़त्म हो जायेगा

फिर मैंने उनसे पूछा कि अगर ये बात बढ़ गयी तो कौन संभालेगा ?

मुड़कर बगल में देखा तो मदनलाल खुराना (उस समय पंजाब देखते थे) बैठे थे। उनको देखकर उन्होंने कहा खुराना जी है न, वो सब संभाल लेंगे।

उन्होंने कहा दुनिया भर मैं कई समस्याएं है इसको मत छेड़िये।

मुझे बाद में लगा कि यह अच्छी सलाह थी और तब से ये बात समझ आयी की पंजाब में अकाली दल और भाजपा के गठबंधन मतलब गहरा है ।

दूसरी बार तब डांट पड़ी, जब इंडियन एक्सप्रेस में 2001-2002 में एक सीरीज़ चल रही थी जो लोन डिफॉलटेर्स के ऊपर थी और ये लगभग 30-35 पार्ट की सीरीज़ थी

बड़े-बड़े लोन डिफाल्टर जिसे आजकल एनपीए बोला जाता है जो आज भी है

मुझे फ़ोन आया और वाजपेयी जी ने पूछा कि इसके 500 पार्ट्स चलाएंगे ? तो मैंने कहा इसके लिए क्राइटेरिया है जो 500 करोड़ या उससे ज़्यादा की की चोरी की होगी तब ही नाम आएगा ।

तो वे बोले कि अगर 500 करोड़ की चोरी क्राइटेरिया है तो बालू जी को क्यों रखा उसमें? उनका तो बस 37 करोड़ है ?उस समय डीएमके के टी आर बालू उनकी सरकार में शिपिंग मंत्री थे।

तो मैंने उनको कहा कि बालू जी कैबिनेट मंत्री हैं, उनके लिए हमने क्वालिफिकेशन को कम रखा है

तो फिर वो भी हँसे और हम भी हँसे और बात वहां की वहां रह गयी ।

तीसरी बार तब फ़ोन आया जब बिहार में सत्येंद्र त्रिवेदी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण में एक इंजीनियर जो आईआईटी स्नातक थे का मर्डर हुआ था। तो उन्होंने पूछा “शेखर जी आप क्या चाहते किसको जेल भेजना चाहते हैं ?आप किसको फांसी पे लटकाना चाहते हैं? मुझे या बृजेश जी को?” तो मैंने जवाब दिया की मैं जानता हूँ आपने और बृजेश जी ने उसकी हत्या नहीं की है पर किसी ने तो की है ना ।

अब आप किसी को तो पकड़ेंगे न। तो ये उनका सन्देश था की इस मामले को आगे मत आगे ले जाइये मैंने सुन लिया पर माना नहीं। और अच्छी बात यह थी की उन्होंने उसके बाद कोई गिला भी नहीं किया।

एक बार फिर उनका फ़ोन आया जब वो सत्ता में नहीं थे । मेरा इंटरव्यू हुआ उस समय राष्ट्रीय स्वंय संघ सरसंघचालक के.एस. सुदर्शन से उन्होंने इंटरव्यू में अटल जी को और उनके परिवार को भला-बुरा कहा तो तो अटल जी ने मुझे बोला कि आपने उनसे क्या-क्या कहलवा दिया? तो मैंने कहा कि वो कह रहे हैं तो मैं क्या करूँ? वे बोले आपने उनको रोका नहीं ? वो तो सरसंघचालक हैं, अब वो बोले जा रहे हैं, तो मेरी क्या मजाल कि मैं उनको रोकूं?

“आप बहुत शैतानी करते है। आप तो चाहते थे की वो बोले जाये अटल जी बूढ़े हो गए हैं उनसे कुछ नहीं हो सकता है। तो मैंने कहा की वो बोल रहे थे मैं कैसे रोक सकता था। और फिर थोड़ा सा शिकवा किया और थोड़ा हंसे और बोले ठीक है आपको तो बहुत बढ़िया स्टोरी मिल गयी ना हमको थोड़ा नुकसान हो गया उसमें क्या है ? फिर उसके बाद वो बात वहीँ के वहीँ रह गयी।

उसके बाद भी हमारी कई बार बात हुई लेकिन इन चार मौकों पर जब मुझे डांट पड़ी तो सन्दर्भ भी कुछ और था और नतीजे भी कुछ और थे। एक बार मैंने बात सुनी, तीन बार मैंने नहीं सुनी और तीनों बार वो बात हमने हंस के टाल दी और मैं तो कहूंगा कि ये उनका बड़प्पन था जो उन्होंने वो बात हंस के टाल दी।

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