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Saturday, 21 December, 2024
होममत-विमतभाजपा का मुसलमान वोटर :अधिक शिक्षित,संपन्न और रूढ़िवादी

भाजपा का मुसलमान वोटर :अधिक शिक्षित,संपन्न और रूढ़िवादी

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पिछले दशक के मुक़ाबले मुसलमान अब बीजेपी को ज़्यादा समर्थन दे रहे है.

ये जग ज़ाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी की मुस्लिम समुदाय से समस्या है. इसलिए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते इंदौर में सैफी मस्जिद का दौरा करने का फैसला किया तो पार्टी विरोधी हैरान थे. यहां मोदी ने बोहरा मुस्लिम समुदाय की एक सभा को संबोधित किया.

और जैसे इतना ही काफी नहीं था, इस सप्ताह के शुरु में नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में बोलते हुए, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि “हिंदुत्व” का अर्थ है सबका साथ और इसमें मुसलमान भी शामिल है और उनकी हिस्सेदारी हो. “हिंदू राष्ट्र का मतलब यह नहीं है कि मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं है. अगर हम मुसलमानों को स्वीकार नहीं करते हैं, तो यह हिंदुत्व नहीं है. ”


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मोदी और भागवत के भाषण और उनके इन दो कार्यक्रमों में इस्तेमाल किए गए प्रतीकवाद ने टीवी स्टूडियो और सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के समर्थकों और उनके विरोधियों के बीच वाकयुद्ध के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध करवा दी है.आलोचकों के लिए, ये घटनाएं केवल प्रतीकात्मक थी , चुनावी तेवर और बेमतलब की बातचीत से ज्यादा कुछ भी नहीं था. लेकिन बीजेपी-आरएसएस के सहानुभूति रखने वालों ने बताया कि बीजेपी ने 2014 का चुनाव मुसलमानों के बिना बड़ी संख्या में वोट दिए जीता था.इस लिए मोदी और भागवत को मुस्लिमों को चुनाव के लिए लुभाने की कोई आवश्यकता नहीं थी. उनके विचार में, हालांकि इससे बीजेपी की मूल वैचारिक स्थिति में बदलाव नहीं आने वाला , ये उन तक पहुंचने के लिए एक ईमानदार कोशिश थी.

सच्चाई हमेशा उन दोनों के बीच कहीं है. मुसलमान बीजेपी के सबसे कम संभावित समर्थकों में से हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण होगा कि पार्टी को 2014 में मुस्लिम समुदाय के हर 10 वोटों में से एक मिला था. प्रस्तुत चित्र 1 के आंकड़ों से पता चलता है कि मुस्लिमों में भाजपा के समर्थन का आधार पिछले दशक की तुलना में बढ़ा है.


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भाजपा को जिस संख्या में मुसलमान समर्थन करते हैं वो एक् स्तर पर पहुंच गया है. और ऐसा तब हुआ है जब कुछ उदाहरणों को छोड़ कर भाजपा आम तौर पर मुसलमान उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने या महत्वपूर्ण पार्टी पदों पर नियुक्त करने या राज्य स्तर पर भी महत्वपूर्ण मंत्रालयों देने से परहेज़ करती है.

मई 2018 में लोकनीति -सीएसडीएस द्वारा किये गए “राष्ट्र के मूड” (एमओटीएन) सर्वे में लगभग 80 प्रतिशत मुस्लिम उत्तर देने वालों ने माना कि वे अपने समुदाय के खिलाफ बढ़ते अत्याचार, अपराध और हिंसा के प्रति मोदी सरकार के रवैये से असंतुष्ट थे.

तो फिर भाजपा के मुस्लिम मतदाता कौन हैं ? राष्ट्रीय चुनाव अध्ययन (एनईएस) 2014 और एमओटीएन 2017 के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि बीजेपी के लिए मुस्लिम समर्थन के कुछ ख़ास स्पष्ट पैटर्न हैं- जैसे की शिया,आर्थिक तौर पर मजबूत, शिक्षित, युवा, धार्मिक, महिलायें,और वे लोग जो अंतर जाति और अंतर-धार्मिक रिश्तों के ज़्यादा ख़िलाफ़ होते है .

हमने 2017 के आंकड़ों का करीब से विश्लेषण किया और पाया की बीजेपी के मुस्लिम मतदाताओं में से 22 प्रतिशत शिया हैं. जबकि अन्य राजनीतिक दलों को 17 प्रतिशत शिया मतदाताओं का वोट मिलता है. भाजपा के मुसलमान मतदाता अन्य दलों के मुसलमान मतदाताओं की तुलना में आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में हैं. बीजेपी के मुस्लिम मतदाताओं का 55 प्रतिशत से अधिक वर्ग शिक्षित हैं, जिन्होंने कक्षा 10 और उससे ऊपर तक पढ़ाई की है.अन्य पार्टियों का यह आंकड़ा 50 प्रतिशत है.

दिलचस्प बात यह है कि मुस्लिम महिलाओं की भाजपा के लिए वोट करने की संभावना अधिक होती है. भाजपा के मुस्लिम समर्थन आधार की बात करें तो महिलाएं 56 फीसदी हैं, जबकि पुरुष मात्र 44 प्रतिशत हैं. हालांकि कई टिप्पणीकारों ने तर्क दिया है कि भाजपा के लिए मुस्लिम महिलाओं का समर्थन ट्रिपल तालक मुद्दे पर पार्टी के मत के कारण है, लेकिन इस तरह तर्क के प्रमाण बहुत ही कमज़ोर है. हालांकि, जो लोग ट्रिपल तलाक़ की परम्परा का विरोध करते हैं शायद वे भाजपा को वोट करें.

उसी प्रकार 35 साल से कम आयु वाले मतदाताओं ने अन्य पार्टियों के लिए वोट दिया था उनकी संख्या 46 प्रतिशत है, वही ऐसे 52 प्रतिशत मतदाता है जिन्होंने भाजपा को वोट दिया है.

बीजेपी के मुस्लिम मतदाता उनके दृष्टिकोण में अधिक धार्मिक हैं: वे प्रार्थना करते हैं, धार्मिक सभाओं में भाग लेते हैं, उत्सव मनाते हैं और मस्जिदों में जाते हैं। वे थोड़ा अंतर जाति और अंतर-धार्मिक विवाह का विरोध भी रखते है.जबकि 55 और 68 प्रतिशत मुस्लिम उत्तर देने वोलों ने जिन्होंने अन्य दलों के लिए मतदान किया, कहा कि अंतर-जाति और अंतर-धार्मिक विवाह अस्वीकार्य है, भाजपा के मुस्लिम मतदाताओं का अनुपात क्रमश: 62 और 73 प्रतिशत था.

इन मुस्लिमों का भाजपा को मतदान करने का मुख्य कारण क्या हो सकता है? सबसे पहले इस पर बहस करना थोड़ा जल्दबाज़ी हो सकती है ,डाटा से पता चलता है कि मुसलमानों का महत्वाकांक्षी वर्ग भाजपा के लिए वोट करेगा इसकी संभावना अधिक है. दूसरा, कुछ अनुमानों के मुताबिक, शिया भारत की मुस्लिम आबादी का छठा हिस्सा हैं और वे उन राज्यों में बहुत महत्व रखते हैं जहां बीजेपी को अपने मुस्लिम वोटों का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त करती है.

2014 में, भाजपा ने गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक में मुस्लिम वोटों का एक बड़ा हिस्सा जीता था. जबकि छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा ने मध्यम स्तर का समर्थन (बीजेपी के लिए मुस्लिम वोट हिस्सेदारी का राष्ट्रीय औसत) हासिल किया था.

क्या बीजेपी मुसलमानों से समर्थन जीतना जारी रख पायेगी ? मोदी और भागवत के भाषणों से क्या संदेश लिया जा सकता है: क्या यह सिर्फ चुनाव पूर्व का तेवर है या उनके लिए और भी कुछ है? अगर यह केवल राजनीतिक स्टंट था, तो यह मुस्लिम समुदाय के भीतर पार्टी के पदचिह्न का विस्तार करने के लिए बहुत कुछ नहीं करेगा.


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हालांकि, अगर यह लोगों तक पहुंचने की गंभीर रणनीति थी, तो यह स्वागतयोग्य कदम है . लेकिन यह सिर्फ पहला कदम है. पार्टी और सरकार को मुस्लिम समुदाय के विश्वास को जीतने के लिए और कुछ भी करना होगा. प्रधानमंत्री मोदी के लिए इस योजना को शुरू करने का एक राजनीतिक कारण है क्योंकि किसी एक समुदाय को लगातार व्यवस्था से बाहर रखना जिनकी आबादी 15 करोड़ है, का औचित्य समझ नहीं आता. ऐसा करना सामाजिक आपदा से कुछ कम भी नहीं होगा.

राहुल वर्मा कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में राजनीति विज्ञान में पीएचडी अभ्यार्थी हैं. शाश्वत धर वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय, नैशविल में राजनीति विज्ञान विभाग में स्नातक छात्र हैं.

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