भारतीय राजनीति कुछ हफ्तों में एक के बाद एक दो आलाकमानों के फैसले की गवाह बनी है. भारतीय जनता पार्टी आलाकमान ने गुजरात में अचानक ही विजय रूपाणी की जगह पाटीदार जाति समुदाय के आने वाले भूपेंद्र पटेल को सामने लाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया. वहीं, कांग्रेस आलाकमान ने भी पंजाब में अपने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को बदल दिया और सार्वजनिक स्तर पर काफी गहमागहमी और तमाम अटकलों के बीच अचानक ही एक दलित सिख चरणजीत सिंह चन्नी को कमान सौंप दी.
जैसा स्वाभाविक था, दिल्ली के मीडिया में हलचलों, अफवाहों और अटकलों का दौर जारी था. आपको याद ही होगा कि गुजरात में मतदाताओं की प्रतिक्रिया के बारे में जानने के लिए प्रश्नम ने एक त्वरित सर्वेक्षण किया था, जिसमें पाया गया कि अधिकांश पाटीदार भाजपा नेतृत्व की तरफ से भूपेंद्र पटेल को गुजरात के नए मुख्यमंत्री के तौर पर चुने जाने से बहुत उत्साहित नहीं हैं.
प्रश्नम ने पंजाब में भी इसी तरह का सर्वे दोहराया. हमने राज्य के सभी जिलों के 1,240 मतदाताओं से संपर्क किया. सर्वेक्षण में शामिल लोगों का सैंपल साइज इस प्रकार है: 44% जाट सिख, 22% दलित सिख, 19% दलित हिंदू, 16% गैर-दलित हिंदू.
पंजाब की आबादी में जाति के आधार पर हिस्सेदारी देखी जाए तो इसमें लगभग 32% दलित, 30% जाट सिख और 40% अन्य हैं. इसलिए, हमारे सर्वे में जाट सिखों के ज्यादा और हिंदुओं के सैंपल कम रखे गए. सैंपल में इस तरह के अंतर के सही और सटीक आकलन के लिए हमारे विश्लेषण में मानक वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किया गया.
हमने नमूना सर्वेक्षण में शामिल 1,240 मतदाताओं से दो सवाल पूछे.
प्रश्न-1 : कांग्रेस पार्टी ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया है. इस पर आपकी राय क्या है?
1: हां, चन्नी को नया मुख्यमंत्री नियुक्त करने का निर्णय सही है.
2: कैप्टन अमरिंदर सिंह को बदलना सही था, लेकिन चन्नी सही विकल्प नहीं थे.
3: कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाना सही नहीं था.
4: मेरी इस पर कोई स्पष्ट राय नहीं है.
प्रश्न-2 : आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा कौन होना चाहिए?
1: नवजोत सिंह सिद्धू
2: कैप्टन अमरिंदर सिंह
3: चरणजीत सिंह चन्नी
4: मेरी इस पर कोई स्पष्ट राय नहीं है.
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63% पंजाबियों को नेतृत्व में बदलाव पसंद आया
कांग्रेस पार्टी के फैसले को व्यापक समर्थन के तौर पर सर्वेक्षण में शामिल 63 फीसदी लोगों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपे जाने के फैसले को सही माना.
स्वाभाविक तौर पर 73% दलित सिखों और 65% दलित हिंदुओं ने कांग्रेस पार्टी के फैसले पर सहमति जताई. पंजाब में दलित मतदाताओं का वर्ग सबसे बड़ा है.
कुल मिलाकर सर्वे में शामिल 76 फीसदी मतदाताओं ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाने का फैसला सही था. यह बात दिल्ली के मीडिया के लिए चौंकाने वाली हो सकती है लेकिन इस कॉलम के नियमित पाठकों के लिए नहीं.
मुख्यमंत्रियों की स्वीकार्यता को लेकर रेटिंग के संबंध में 13-राज्यों के हमारे सर्वेक्षण में पंजाब और उत्तराखंड के सीएम देश में सबसे अलोकप्रिय मुख्यमंत्री पाए गए थे. ध्यान देने योग्य बात यह है कि हमारे पहले के सर्वेक्षण के मुताबिक सभी तीन सबसे अलोकप्रिय मुख्यमंत्रियों—उत्तराखंड, पंजाब और गुजरात—को पिछले कुछ हफ्तों में उनके नेतृत्व ने बदल दिया है. शायद यह सर्वेक्षण की वैधता का ही एक प्रमाण है.
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सिद्धू कांग्रेस के लिए सीएम पद का सबसे लोकप्रिय चेहरा
अगले चुनाव में कांग्रेस पार्टी की तरफ से सीएम का चेहरा कौन होना चाहिए, इस पर नवजोत सिंह सिद्धू सबसे लोकप्रिय विकल्प के रूप में उभरे हैं, जिसके बाद नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी का नंबर है. कैप्टन अमरिंदर सिंह इन तीनों में आखिरी नंबर पर रहे लेकिन वह गैर-दलित हिंदुओं की पसंद बने हुए हैं.
दलितों ने चन्नी को अगले सीएम चेहरे के रूप में पसंद किया जबकि जाट सिखों के बीच सिद्धू ज्यादा लोकप्रिय हैं. पंजाब के मतदाताओं में 65 फीसदी के करीब दलित और जाट सिख हैं और इसलिए दोनों को साधना कांग्रेस पार्टी के लिए एक फायदेमंद समीकरण नज़र आता है. दिलचस्प बात यह है कि संभवतः फरवरी-मार्च 2022 में होने वाले चुनाव को लेकर सर्वेक्षण में शामिल लगभग 80% मतदाताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा होना चाहिए.
ये निष्कर्ष दिल्ली के मीडिया प्रतिष्ठानों के लिए हैरत की वजह हो सकते हैं, जो यह नैरेटिव चला रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी का यह दांव अलोकप्रिय साबित हुआ है और संभावित तौर पर उसे उल्टा पड़ सकता है. सर्वेक्षण स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि पंजाब के मतदाताओं के बीच यह एक बेहद लोकप्रिय कदम रहा है और इस लड़ाई के पहले दौर में कांग्रेस का पार्टी नेतृत्व निर्णायक तौर पर जीता हुआ नजर आ रहा है.
स्वाभाविक है कि जिनके विचार इन निष्कर्षों के विपरीत होंगे, वे सर्वेक्षण की विश्वसनीयता और उद्देश्यों पर सवाल खड़े कर सकते हैं. लेकिन प्रश्नम ने हमेशा की तरह सर्वेक्षण के तौर-तरीके और रॉ डाटा को विस्तृत तौर पर सामने रखा है जिससे जो कोई चाहे उसकी सत्यता की जांच कर ले, ऐसा करने का साहस भारत में किसी अन्य सर्वेक्षण एजेंसी के पास नहीं है.
पारदर्शिता और अखंडता के अपने सिद्धांतों पर कायम रहते हुए प्रश्नम ने इस सर्वेक्षण का संपूर्ण रॉ डाटा विश्लेषकों और शोधकर्ताओं की तरफ से पुष्टि और आगे विश्लेषण किए जाने के लिए यहां उपलब्ध कराया है.
नोट: इस कॉलम को प्रश्नम की टीम के सदस्यों की मदद से लिखा गया है.
यह लेख दिप्रिंट-प्रश्नम वॉक्स पॉप सीरीज़ का हिस्सा है.
(राजेश जैन, एआई टेक्नॉलजी स्टार्ट-अप, प्रश्नम के संस्थापक हैं, जिसका उद्देश्य रायशुमारी (ओपिनियन गैदरिंग) को अधिक वैज्ञानिक, आसान, तेज और किफायती बनाना है. उनका ट्विटर हैंडल @rajeshjain है. व्यक्त विचार निजी हैं.)
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