scorecardresearch
Sunday, 23 February, 2025
होममत-विमतप्रकृति लम्साल की आत्महत्या के बाद KIIT यूनिवर्सिटी में नेपाल के छात्रों ने कहा — ‘माफी काफी नहीं’

प्रकृति लम्साल की आत्महत्या के बाद KIIT यूनिवर्सिटी में नेपाल के छात्रों ने कहा — ‘माफी काफी नहीं’

छात्रों ने कहा कि केआईआईटी यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें बेदखल करने के आदेश के बाद उन्हें नेपाल लौटने के लिए उधार लेना पड़ा, जिसके कारण नेपाल के प्रधानमंत्री ने दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को भुवनेश्वर भेजा.

Text Size:

भुवनेश्वर: ओडिशा की राजधानी की एक प्रमुख यूनिवर्सिटी में नेपाल की एक छात्रा की आत्महत्या ने उनके साथी स्टूडेंट्स के बीच गुस्सा, दुख और विरोध पैदा कर दिया है. ‘कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी’ (केआईआईटी) की कठोर प्रतिक्रिया और स्टूडेंट्स के दुख को संवेदनशीलता से संभालने में इसकी विफलता ने भारत और उसके पड़ोसी नेपाल के बीच कूटनीतिक विवाद को बढ़ा दिया है.

बीटेक कंप्यूटर साइंस की थर्ड इयर की छात्रा प्रकृति लम्साल ने कथित उत्पीड़न को असहनीय पाया. 20-वर्षीय छात्रा ने मदद के लिए यूनिवर्सिटी के अंतर्राष्ट्रीय शिकायत प्रकोष्ठ से संपर्क किया और कहा जाता है कि इसके बाद उन्होंने अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली.

उनकी मौत के कुछ ही घंटों के भीतर, KIIT के छात्र न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आए. उनकी चिंताओं को दूर करने के बजाय, यूनिवर्सिटी ने कैंपस से नेपाल के सभी छात्रों को अनिश्चित काल के लिए बेदखल करने का आदेश दिया. छात्रों को जबरन निकाले जाने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुए, जिससे नेपाल सरकार और भी नाराज़ हो गई.

छात्रों ने बताया कि उन्हें नेपाल वापस लौटने के लिए भीख मांगनी पड़ी और उधार लेना पड़ा. नेपाल के प्रधानमंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए उनकी सहायता के लिए दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को भुवनेश्वर भेजा.

हालांकि, भारत में छात्र विरोध प्रदर्शनों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग करना आम बात है, लेकिन केआईआईटी प्रबंधन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के साथ कथित दुर्व्यवहार ने इसे राजनयिक संकट में बदल दिया और यही कारण है कि केआईआईटी में नेपाल की छात्रा की आत्महत्या का मुद्दा दिप्रिंट का न्यूज़मेकर ऑफ द वीक है.

जबकि विरोध प्रदर्शन शांत हो गए हैं और मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, फिर भी ध्यान भुवनेश्वर कैंपस पर केंद्रित है, जो अब पुलिस और ओडिशा स्टेट एक्शन फोर्स द्वारा संरक्षित एक किले में बदल गया है.

बढ़ते विरोध और राजनयिक नतीजों के बीच सुरक्षा कड़ी किए जाने के कारण पुलिस और ओडिशा स्टेट एक्शन फोर्स भुवनेश्वर में केआईआईटी विश्वविद्यालय के बाहर तैनात हैं | फोटो: शुभांगी मिश्रा/दिप्रिंट
बढ़ते विरोध और राजनयिक नतीजों के बीच सुरक्षा कड़ी किए जाने के कारण पुलिस और ओडिशा स्टेट एक्शन फोर्स भुवनेश्वर में केआईआईटी विश्वविद्यालय के बाहर तैनात हैं | फोटो: शुभांगी मिश्रा/दिप्रिंट

KIIT कैंपस में नेपाल की छात्रा की आत्महत्या

16 फरवरी की रात को लम्साल के चचेरे भाई ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि लखनऊ के उनके पूर्व साथी अद्विक श्रीवास्तव ने उन्हें परेशान किया था.

लम्साल की आत्महत्या की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई. नेपाल और भारत दोनों देशों के स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी के पास इकट्ठा हुए और न्याय और श्रीवास्तव की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की.

अगले दिन, एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दो प्रोफेसर्स — मंजूषा पांडे, एक सहायक प्रोफेसर और जयंती नाथ, गर्ल्स हॉस्टल और छात्र मामलों की संयुक्त निदेशक — को नस्लवादी टिप्पणी करते हुए देखा गया. वीडियो में, पांडे छात्रों से कह रही हैं कि यूनिवर्सिटी 40,000 स्टूडेंट्स को मुफ्त में भोजन और शिक्षा देता है, जबकि नाथ ने कहा कि यह आंकड़ा नेपाल के जीडीपी से भी ज़्यादा है.

18 फरवरी को केआईआईटी कैंपस में एक स्टूडेंट ने प्रकृति लम्साल की मौत की घटनाओं पर व्यक्तिगत आक्रोश व्यक्त करते हुए विरोध प्रदर्शन किया | फोटो: शुभांगी मिश्रा/दिप्रिंट
18 फरवरी को केआईआईटी कैंपस में एक स्टूडेंट ने प्रकृति लम्साल की मौत की घटनाओं पर व्यक्तिगत आक्रोश व्यक्त करते हुए विरोध प्रदर्शन किया | फोटो: शुभांगी मिश्रा/दिप्रिंट

इस टिप्पणी ने तनाव को और बढ़ा दिया. नेपाल के सांसदों ने लम्साल की मौत को रहस्यमय बताया और संसद के दोनों सदनों में स्वतंत्र जांच की मांग की.

नेपाल के एक सांसद माधव सपकोटा ने सरकार पर भारत में अपने छात्रों को अपमान से बचाने में विफल रहने के लिए अक्षमता का आरोप लगाया और दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय राजनीतिक वार्ता का आग्रह किया.

इसके बाद यूनिवर्सिटी को माफी मांगने और बेदखली के आदेश को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन कई लोगों के लिए बहुत देर हो चुकी थी; ज़्यादातर नेपाली छात्र पहले ही कैंपस छोड़ चुके थे, बसों, ट्रेनों और टैक्सियों में सवार होकर घर लौट रहे थे.

KIIT स्टाफ को गिरफ्तारी के दिन ही मिली ज़मानत

ऐसे दर्दनाक और हिंसक दिन के बाद, कई छात्र सख्त कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं, उनका तर्क है कि केवल माफी मांग लेना काफी नहीं होगा.

नेपाल के स्टूडेंट ने टेक्स्ट मैसेज में कहा, “मेरे कई दोस्त गंभीर रूप से घायल हैं. उन्हें कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए. ऐसे इंसानों के लिए सिर्फ माफी मांगना काफी नहीं है, जो इंसानियत भूल गए हैं.”

पुलिस ने 18 फरवरी को श्रीवास्तव के साथ-साथ केआईआईटी के पांच कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया; कर्मचारियों को गिरफ्तारी की रात ही ज़मानत दे दी गई.

18 फरवरी को यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्रों ने उत्पीड़न और कुप्रबंधन के आरोपों के बाद नेपाली छात्रा प्रकृति लम्साल के लिए न्याय की मांग करते हुए रैली निकाली | फोटो: शुभांगी मिश्रा/दिप्रिंट
18 फरवरी को यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्रों ने उत्पीड़न और कुप्रबंधन के आरोपों के बाद नेपाली छात्रा प्रकृति लम्साल के लिए न्याय की मांग करते हुए रैली निकाली | फोटो: शुभांगी मिश्रा/दिप्रिंट

इस बीच, 17-18 फरवरी को विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले छात्रों ने बताया कि उनके टीचर्स और वार्डन ने उन्हें शामिल होने से मना किया और उनके फोन की गतिविधियों पर नज़र रखी. हालांकि, लगभग 200 छात्रों ने 18 फरवरी को न्याय की मांग करते हुए रैली की, लेकिन अगले दिन केवल मुट्ठी भर स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी के बाहर धरना दिया.

छात्र संघ की अनुपस्थिति का मतलब था कि छात्रों के बीच कोई समन्वय नहीं था, जिससे विरोध प्रदर्शन कम हो गया. इसने बजरंग दल जैसे संगठनों को 20 फरवरी को कैंपस में आने और केआईआईटी के संस्थापक अच्युत सामंत का पुतला जलाने का मौका दिया.

नेपाली छात्रा प्रकृति लम्साल की दुखद आत्महत्या के बाद राजनयिक तनाव के बीच बजरंग दल के प्रदर्शनकारियों ने यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन किया, संस्थापक अच्युत सामंत का पुतला जलाया | फोटो: शुभांगी मिश्रा/दिप्रिंट
नेपाली छात्रा प्रकृति लम्साल की दुखद आत्महत्या के बाद राजनयिक तनाव के बीच बजरंग दल के प्रदर्शनकारियों ने यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन किया, संस्थापक अच्युत सामंत का पुतला जलाया | फोटो: शुभांगी मिश्रा/दिप्रिंट

अराजकता के बीच, विकासशील देशों के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए उभरते केंद्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को भारी नुकसान पहुंचा है.

(व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)

(इस न्यूज़मेकर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: भारी सुरक्षा के बीच KIIT कैंपस के बाहर बजरंग दल का प्रदर्शन, संस्थापक अच्युत सामंत का पुतला फूंका


 

share & View comments