बेंद्रे द्वारा अपनी बीमारी के बारे में किया गया ट्वीट मीडिया की अटकलों से पहले एक सेलिब्रिटी द्वारा ईमानदारी से खुलासे का एक और उदाहरण है।
हिंदी फिल्म अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे ने बुधवार को अपने भावुक बयान में यह खुलासा किया कि वह हाई ग्रेड कैंसर से जूझ रहीं हैं जो ‘मेटास्टाइज’ हो चुका है, यह केवल एक आकस्मिक घटना नहीं थी जो यह साबित करती है कि बीमारियों से कोई भी इंसान अछूता नहीं है। इससे पहले कि उनका स्वास्थ्य मीडिया की अटकलों, विशेषकर सोशल नेटवर्किंग साइटों पर एक विषय (मुद्दा) बन जाता यह एक सेलिब्रिटी द्वारा ईमानदारी पूर्वक खुलासे का एक अन्य उदाहरण भी है।
इलाज के लिए अमेरिका, न्यूयार्क पहुँचकर बेंद्रे उन मशहूर हस्तियों की फेहरिस्त में शामिल हो जाती हैं जो अपनी गोपनीयता को त्याग रहे हैं और अपनी बीमारी के बारे में खुलकर बात कर रहे हैं। इस साल की शुरूआत में, अभिनेता इरफान खान ने अपनी फिल्म ब्लैकमेल के रिलीज होने से कुछ हफ्ते पहले ट्वीट करके अपनी बीमारी के बारे में बताया था।
खान उस ट्वीट के बाद कुछ समय के लिए लोगों की पहुँच से दूर चले गए थे लेकिन पिछले महीने ही उन्होंने एक सुन्दर और दार्शनिक साक्षात्कार दिया, जहां उन्होंने न्यूरोएंडोक्राइन से जूझने और जिंदगी के संघर्ष के बारे में बात की। साक्षात्कार का लहजा खान की बाधाओं से लड़ने की इच्छा को जाहिर कर रहा था। खास बात तो यह है कि बहुत कम ही चीजें छुपी थीं जिसके बारे में अटकलें लगाई जा सकतीं। इसमें खान ने अपने प्रशंसकों और समर्थकों को ईमानदारी से बताया कि – वह नहीं जानते कल क्या होगा लेकिन वह निराश नहीं होंगे।
एक ऐसे उद्योग में जहां शारीरिक दिखावट फिट और स्वस्थ होने पर प्रीमियम के साथ दाम और नाम पैदा करती है, खान और बेंद्रे दोनों ने ही फिल्म उद्योग की इन शर्तों को फिर से परिभाषित कर दिया है।
’कमजोर’ या ’बीमार’ के रूप में देखे जाने का डर अभिनेताओं को चिंतित करता है, ऐसा इसलिए है क्योंकि फिल्म निर्देशक फिर एक ऐक्टर को अपनी फिल्म में लेने से पहले 2 बार सोचते हैं। करोड़ों रूपयों की एक परियोजना पर काम करते हुए निर्माताओं को सबसे बड़ा खतरा परियोजना के रूक जाने का होता है इसीलिए वह निरंतर और न्यायसंगत रूप से यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि कुछ भी गलत न हो।
अनैतिकता एक और ऐसा तत्व है जो हॉलीवुड/बॉलीवुड में कई लोगों को भयभीत करता है, यह सोशल मीडिया और अविवादित परिकल्पनाओं (कहानियों) पर फैलता है तथा व्हाट्सऐप फारवर्ड के माध्यम से इस पर सच्चाई की मुहर लगा दी जाती है। मिसाल के तौर पर, अभिनेत्री श्रीदेवी की मौत पर फैली उग्र अफवाहों और मनगढ़ंत कहानियों ने कई लोगों को सोशल मीडिया की सुर्खियों में रहने के बुरे पक्ष का एहसास कराया था। अस्पष्ट बात करने के बजाय, बात के गलत प्रस्तुतीकरण के मौकों को कम करने या बात को संदर्भ से विचलित किए बिना अपने प्रशंसकों और शुभचिंतकों के साथ सीधे जुड़ने के लिए बड़ी हस्तियाँ एक ही मंच का उपयोग कर रही हैं।
खान और बेंद्रे से पहले, दीपिका पादुकोण ने भी 2015 में अवसाद (डिप्रेशन) से अपनी लड़ाई की बात करके कई लोगों को चौंका दिया था। उनकी इस नाजुक हालत पर लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की थी, कुछ लोगों ने इसको एक लोकप्रियता की पैंतरेबाजी बताया था। दीपिका पादुकोण ने हाल ही में अपने ‘लिव लव लाफ फाउंडेशन’ के जरिए यह बात लिखी की प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर, केट स्पेड और मशहूर अमेरिकी शेफ, एंथोनी बौर्डन ने आत्महत्या नहीं की बल्कि डिप्रेशन ने उनकी जान ली है।
इस साल जनवरी में, मैं एक कार्यक्रम में था जहाँ अमिताभ बच्चन कुछ लोगों को मुफ्त में श्रवण यंत्र की किट बाँट रहे थे। उन्होंने तपेदिक (ट्यूबरक्यूलोसिस) से हेपेटाइटिस बी, और कैसे दूषित रक्त के माध्यम से वह इस बीमारी की चपेट में आए, से लेकर अपनी कई बीमारियों के बारे में खुल कर बात की। वह मुस्कुराए लेकिन जब उन्होंने बताया कि उनका केवल 25 प्रतिशत लीवर (यकृत) ही कार्यात्मक है तब वह उदास हो गए। उनके कमजोर स्वास्थ्य की बातों को सुनते हुए (पौराणिक कथाओं की तरह) वहाँ सन्नाटा छाया हुआ था, लेकिन मैं देख सकता था कि बहुत सारे लोग उनको अपने जैसा देख पा रहे थे।
क्या इस तरह की रहस्यमयी बातों पर खुलकर बात करना यह दर्शाता है कि वह हम जैसे ही एक हैं? क्या यह उनको और अधिक दुखियारा या और अधिक प्यारा बनाता है? या फिर यह उनकी चमक-दमक (लोकप्रियता) को दूर करता है? सच कहूँ तो, इस तरह की गंभीर बीमारी से पीड़ित होना और अपनी बिगड़ती हालत के बारे (उस समय जो महसूस होता है) में बताने में काफी साहस और अकल्पनीय धैर्य की जरूरत होती है। प्रशंसकों को यह समझ आता है और साथ ही जनता को भी।
Read in English : Sonali Bendre’s cancer confession is latest in celeb bids to stop dirty rumour factory