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Friday, 26 April, 2024
होममत-विमतवो कौन सी दो बड़ी भूलें थीं जो इन पाकिस्तानी जासूसों पर पड़ीं भारी, पहुंचाया फांसी के तख्ते तक

वो कौन सी दो बड़ी भूलें थीं जो इन पाकिस्तानी जासूसों पर पड़ीं भारी, पहुंचाया फांसी के तख्ते तक

वसीम अकरम और ब्रिगेडियर राजा रिज़वान, जिन्हें पाकिस्तान की सेना ने पिछले हफ्ते जासूसी के आरोप में फांसी दी थी, जिनको पकड़े नहीं गए होंगे लेकिन दो चीजें गलत हो गईं.

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सोशल मीडिया पोस्ट के अनुसार पाकिस्तानी सेना के ब्रिगेडियर राजा रिज़वान को इस रविवार पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने फांसी दी थी. सीआईए के लिए जासूसी के आरोप में वसीम अकरम नाम के सेवानिवृत्त अधिकारी और डॉक्टर को भी सजा दी गयी है और मौत की सजा रहस्यमय बनी हुई है.

लेकिन आज, मैं विशेष रूप से इन दोनों की गिरफ्तारी के पीछे पाकिस्तान में मेरे सूत्रों द्वारा मुझे दी गई जानकारी के आधार पर बता सकता हूं, इनमें से एक को अपने फांसी का इंतज़ार में है.

वसीम अकरम का मिसाइल कौशल

कहानी की शुरुआत वसीम अकरम की नमकहरामी से हुई है, जिसे पाकिस्तान की मिसाइलों को विकसित करने के लिए इस्लामाबाद स्थित नेशनल इंजीनियरिंग एंड साइंटिफिक कमीशन (नेस्कॉम) ने नियुक्त किया था. यह एजेंसी पाकिस्तान में मिसाइलों को विकसित करती है, विशेष रूप से यह पता चला है कि अकरम शाहीन-II और शाहीन-III बैलिस्टिक मिसाइलों को बनाने के लिए अहम थे, जिसकी परिचालन सीमा 2,000 किमी और 2,750 किमी के बीच है.

अकरम शाहीन-II को विकसित करने के दौरान अपने कौशल के दम पर शाहीन-III के इंजन और मोटर को विकसित करने के लिए बनाई गयी टीम के लीडर बन गए. वे पाकिस्तानी सेना की कोर ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एक प्रोफेसर के रूप में नियुक्त थे. संभवतः इस परियोजना के लिए उनकी केंद्रीय भूमिका को देखते हुए उन्हें एक यात्रा पर अमेरिका भेजा गया था. कुछ स्रोतों का दावा है कि यह अंतर्राष्ट्रीय सैन्य नेतृत्व नेटवर्किंग/शिक्षा कार्यक्रमों में से एक के लिए एक आधिकारिक पोस्टिंग थी जो कि अमेरिकी सेना चलाती है, लेकिन अन्य ने इसो लेकर सख्ती से विरोध जताया.

जब अमेरिकी जासूस के रूप में अकरम में आया बदलाव

हालांकि, अकरम ने संभवतः बिना किसी चिंता के जानकारी एकत्र करने नियमित रूप से न्यू मैक्सिको (जहां दो मुख्य अमेरिकी परमाणु प्रयोगशालाएं – सांडिया और लॉस अल्मोस – स्थित हैं) की यात्रा करना शुरू कर दिया, मैक्सिको के अल्बुकर्क परिसर में छात्रों के लिए एक परमाणु रिएक्टर का प्रयोग किया जाता है. हालांकि यह कैंपस न्यू मैक्सिको में था जहां अकरम को पता चला कि वह एक जुए की चपेट में है और वह अक्सर इसमें लिप्त रहता है. हम बस यही जानते हैं कि वह वहां किसी छोटे-मोटे अपराध में शामिल थे, चाहे वह जुआ हो या कुछ और. भले ही, उन्होंने कानूनी वैधता की रेखा को पार किया और उन्हें अमेरिकी कानून प्रवर्तन ने उन्हें गिरफ्तार किया.

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पाकिस्तान के पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि यह तब हुआ जब अकरम अमेरिका के एजेंट बन गए थे. आरोप साफतौर पर ‘मामूली’ था (हम अभी भी नहीं जानते कि वास्तव में क्या कारण है क्योंकि गिरफ्तारी दर्ज नहीं हुई थी), लेकिन यह पैसे का लालच था जिसने उसको बदल दिया था. पाकिस्तान लौटने पर, उन्होंने अमेरिका को सूचना प्रदान करना शुरू कर दिया. विशेष रूप से उन्हें शाहीन के (परमाणु) युद्ध तंत्र के बारे में अमेरिका के साथ-साथ परमाणु एजेंसी से संपर्क के नाम पर और मिसाइल को डिजाइन करने के लिए सीमित विवरण दिए थे.


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इन नामों ने अमेरिका को अपने खुफिया प्रयासों पहुंचने की इजाजत दी, जबकि डिजाइन के विवरण ने अमेरिकियों को पाकिस्तानी परमाणु वारहेड्स के कुछ वजन और गतिशीलता को समझने में मदद की- विशेष रूप से इसके वजन ने मिसाइलों की अधिकतम सीमा को प्रभावित किया. (उदाहरण के लिए, 2,000 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइल ले जाना इसके पूर्ण पेलोड में इसकी सीमा घटकर आधी हो जाएगी) इसने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को भविष्य के विकास के प्रक्षेपवक्र को सही ढंग से चार्ट करने (और इस प्रक्रिया में समझौता करने) की अनुमति दी.

अकरम की गलती, ब्रिगेडियर रिजवान की एंट्री

सामान्य परिस्थितियों में जासूसी के इन कृत्यों का पता नहीं चला होगा. हालांकि, दो चीजें बुरी तरह से गलत हो गईं. पहला प्रयास अमेरिका द्वारा पाकिस्तानी मिसाइल कार्यक्रम को धीमा करने की उम्मीद थी. दूसरा, अकरम की खुद की लापरवाही थी. शाहीन-III ने 2015 में दो सफल परीक्षण पूरे किए थे. फिर भी, जनवरी 2016 में जब एक नियमित परीक्षण किया गया, तो यह एक शानदार नाकामी मिली थी (पाकिस्तान असफल परीक्षणों की घोषणा नहीं करता है) जांच में ढेरों ‘गलतियां’ मिलीं, जिसे टाला जाना चाहिए था लेकिन मानक संचालन प्रक्रिया का पालन किया गया.

अप्रत्याशित रूप से भारत के विपरीत, पाकिस्तान द्वारा तुरंत एक सुरक्षा जांच का आदेश दिया गया था. शुरुआत में, जांच में कुछ नहीं मिला, लेकिन अकरम के नए घर की कीमत 70 मिलियन (450,000 यूएस डॉलर) थी. अकरम ने अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम घर खरीदने की बजाय अपने नाम पर घर खरीद कर बड़ी गलती कर दी थी. हालांकि, इस पर भी अकरम का जासूसी अपराध साबित नहीं हो सका था और वह केवल भ्रष्टाचार के संदेह को बढ़ाने में कामयाब रहा था.

इस घटना में निगरानी के जरिए उनके ब्रिगेडियर राजा रिज़वान से संपर्क करने का पता लगाया गया. सेवानिवृत्त अधिकारी के मामले में बहुत सी चीजें सामने आने लगीं- उनके तीन बच्चों में से दो (बड़े बेटे और एक बेटी) संयुक्त राज्य अमेरिका में थे, वे कॉलेज में पढ़ते हैं, यह अकरम को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त था और यातना के दौरान उसने विवरणों को उजागर किया और ब्रिगेडियर राजा के साथ अपने संचार का प्रमाण भी प्रदान किया, फिर निरंतर यातना के बाद उसने 2012 में बर्लिन के दिनों से अमेरिका को दी जाने वाली जानकारी को भी बताया.


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यह भारत के लिए एक सबक है. एक मजबूत सुरक्षा कार्यक्रम जो शीर्ष पर मौजूद लोगों को संदेह से बाहर नहीं रखता है, यह सबसे प्रभावी काउंटर खुफिया उपकरणों में से एक है. अफसोस की बात है कि भारत में ‘सेवा निष्ठा’ और एक व्यापक ‘वीआईपी संस्कृति’ अक्सर इन महत्वपूर्ण सुरागों को भूल जाती है. तथ्य समान रूप से यह खुलासा करता है कि भले ही आधिकारिक आईएसपीआर बयान में उस एजेंसी का नाम नहीं है जो इस जासूसी से जुड़े थे, पाकिस्तानी अनौपचारिक ट्विटर दावा कर रही है कि ब्रिग्रेडियर राजा और वसीम अकरम रॉ के एजेंट थे.

स्पष्ट रूप से एक अमेरिकी एजेंट होने के नाते आपको कुछ प्रकार की सुरक्षा मिलती है, लेकिन एक भारतीय एजेंट होने पर फांसी सुनिश्चित है.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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