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Monday, 23 December, 2024
होममत-विमतआंटी गोरमिंट से लेकर आंटी हकूमत मर गई है तक मीम्स में पाकिस्तानी महिलाएं छाई हुई हैं

आंटी गोरमिंट से लेकर आंटी हकूमत मर गई है तक मीम्स में पाकिस्तानी महिलाएं छाई हुई हैं

जिस समाज में ‘अच्छी महिलाएं गुस्सा नहीं करतीं’ की सीख दी जाती हो, वहां भला किसी क्रोधित महिला की बातों को कौन नहीं सुनना चाहेगा.

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आप महिलाओं को शक्तिशाली मानते हैं? अब आप इस ताक़त को 100 से गुना कर उसके सोशल या अन्य संदेशों का रूप लेने और मीम बनने की कल्पना करें. पाकिस्तान में मीम वाली ये महिलाएं शक्तिहीनों की आवाज़ बन रही हैं और सत्ता के गलियारों में बैठे लोगों को चुनौती दे रही हैं.

इन मीमों में सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक टिप्पणियां होती है. कई बार ये सिर्फ मज़े के लिए होते हैं. लेकिन कई बार भाग्य ने साथ दिया, तो ये आक्रामक महिलाएं इंटरनेट को हिलाकर रख देती हैं. जिस समाज में ‘अच्छी महिलाएं गुस्सा नहीं करतीं’ की सीख दी जाती हो, वहां भला गुस्से में भरी किसी महिला की बातों को कौन नहीं सुनना चाहेगा. पाकिस्तान में, महिलाओं की भागीदारी वाले मीम एक नए प्रतिरोध का प्रतीक बन गए हैं.

गोरमिंट जनता की, जनता के लिए

‘बिक गई है गोरमिंट’ के परम सत्य का उद्गार करने वाली आंटी राजनीतिक टिप्पणीकारों के लिए आदर्श हैं, बात पाकिस्तान की हो, भारत की या अमेरिका की. उसके बाद ‘ये सारे मिल के हमको पागल बना रहे हैं’ और ‘सन ऑफ ए गन’ का आंटी वाला संस्करण चलता है, जिसमें अपशब्दों की भरमार है और बाकी तो, जैसा कि कहा जाता है, इतिहास बन चुका है. लोग कहते हैं कि आंटी गोरमिंट समय से आगे हैं, पर मुझे लगता है वह बिल्कुल सही समय पर अवतरित हुई हैं- इंटरनेट के जमाने में. आंटी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के खिलाफ राजनीतिक रैलियों में भी दिख चुकी हैं. वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्वासपात्र भी हैं.

स्वदेश में, वह नवाज़ शरीफ़ की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए इमरान ख़ान की प्रेरणा बनीं. लेकिन उन्होंने ये चेतावनी भी दी थी- ख़ान के नए पाकिस्तान में ‘आपने घबराना है’. आंटी प्रतिरोध की प्रेरणा हैं यहां तक कि अब नवाज़ शरीफ़ के लिए भी. वह अब्राहम लिंकन के मूल्यों में भरोसा करती हैं और जनता की एवं जनता के लिए गोरमिंट में विश्वास करती हैं.

वाओ, दैट्स ग्रेप

एक मीम जेद्दा स्थित एक पाकिस्तानी स्कूल की अतिउत्साही प्रिंसिपल और उनके छात्रों का है. सहर कमरान, पूर्व प्रिंसिपल, जो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता भी हैं, ने स्वतंत्रता दिवस के आयोजन के दौरान ये दिखाने की कोशिश की कि उनके छात्र कितने ‘ग्रेप’ हैं. देशभक्ति का ये ‘क्लास’ कुछ इस तरह वायरल हुआ. कतार में लगे छात्र एक-एक कर बताते हैं कि वे पाकिस्तान के लिए क्या कर सकते हैं. लेकिन इंटरनेट में ये लोकप्रिय हुआ उत्साहित प्रिंसिपल के चिल्लाने की अदा के कारण. जब एक छात्र कहता है कि ‘मैं एक पायलट बनने की शपथ लेता हूं’, तो प्रिंसिपल चिल्लाती हैं, ‘अरे, ये तो पायलट है, ग्रेप’. ग्रेट!


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जब एक छात्र ने कहा कि वह ‘सेना का जवान बनकर पाकिस्तान को बचाना और भारत को खत्म करना’ चाहता है, तो प्रिंसिपल जोश से भर गईं- ‘वाह, मज़बूत सेना वाह, ग्रेप’. उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि बच्चे दूसरे देश के प्रति घृणा का इजहार कर रहे हैं. देशभक्ति में सब जायज़ है. एक छात्र जब चिल्लाकर कहता है कि ‘मैं पाकिस्तान के लिए अपनी ज़िंदगी कुर्बान कर दूंगा’ तो प्रिंसिपल कामरान कहती हैं: ‘दैट्स ए ग्रेट ग्रेप.’

इस मीम के प्रशंसक दुनिया भर में हैं और ये आमतौर पर ‘पाकिस्तान इन द बैग’ के रूप में चर्चित है. इसे आप 2020 में दुनिया के लिए हमारे योगदान के तौर पर देख सकते हैं. ऐसा साल जिसने कोई खुशी नहीं दी है. ये बहुत ही ‘ग्रेप’ बात है.

गेम शो और ‘प्रदर्शन को लेकर चिंता’

वैसे तो इसमें कुछ नहीं था. लेकिन सोशल मीडिया पर ये कुख्यात हो गया. एक लाइव टीवी गेमशो में एक इजाज़ साहब टोकरी में गेंद डालने की भरसक कोशिश कर रहे थे ताकि पुरस्कार मिल सके. लेकिन जब उनकी बेगम ने गेंद को टोकरी में डालने का निर्देश देना शुरू किया तो मीम बनाने वालों ने उसमें डबल-मिनींग की संभावनाएं देखी और देखते ही देखते मियां-बीवी वायरल हो गए. ‘इजाज़ साहब आराम से… इजाज़ साहब जल्दी डालें… इजाज़ साहब दरम्यान में डालें, आराम से… इजाज़ साहब..’ अवाम ने सीन को सेक्सुअल संदर्भ में बिठाने में कोई गुरेज नहीं किया. अब पूरा मामला इजाज़ साहब के ‘परफॉर्मेंस एंजाइटी’ पर केंद्रित हो चुका था. उनका समय निकलता जा रहा था और बेगम रुकने का नाम नहीं ले रही थी.

आंटी गोरमिंट 2.0

आंटी गोरमिंट के बाद आंटी हकूमत मर गई है का नंबर आया. आंटी हकूमत बिजली की मारी हैं- बढ़ा हुआ बिजली बिल, लेकिन बिजली नदारद. अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए वह बड़बड़ा रही होती हैं. जब उनसे गाली नहीं देने का आग्रह किया जाता है तो ‘मैं तो दूंगी गाली’ पर अड़ जाती है. वह ‘ठग लाईफ’ फिल्टर की हकदार हैं.


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यदि बात पानी की करें तो एक और आंटी हैं जो बताती हैं कि शहर में पानी की कितनी किल्लत है और कैसे उन्हें अपने पोते का धोने के लिए भी पानी नहीं मिलता.

ब्राइट करें इसको, ब्राइट

ये वाकया एक टीवी शो में पर्दे के पीछे हुआ था, जो लीक किए जाने के बाद मीम का विषय बन गया. पीटीवी के सुबह के एक शो में प्रस्तुतकर्ता आयशा सना को लगा कि कोई स्टेज की लाइटिंग से छेड़छाड़ कर रहा. अब बिना ढंग की लाइटिंग के कौन टेलीविजन पर आना चाहेगा? उसे गुस्सा आ गया और किसी साजिश की बू आने लगी. ये भारतीय या इज़रायली किस्म की साजिशों से भी अधिक बड़ी हो सकती थी. वह चिल्ला पड़ीं, ‘ब्राइट करें इसको, ब्राइट’. लेकिन जब परिणाम अपेक्षानुरूप नहीं रहा तो उसने कहा, ‘ये बहुत ब्राइट है, डार्क करें’. तनाव के उन क्षणों में उसे ‘साजिशकर्ताओं’ की फुसफुसाहट सुनाई पड़ती है, और वह उन्हें ललकारती है, ‘मुझे सब पता है क्या चल रहा है’. क्लिप प्रस्तुतकर्ता द्वारा एक प्रचलित देसी गाली देने के साथ खत्म होता है.

वह मीम का विषय बन गई, और कइयों को लगा कि ‘ब्राइट करें इसको’ के मामले में वह डोनल्ड ट्रंप को भी पीछे छोड़ गई. ट्रंप ने 2016 में अटलांटा की एक चुनावी रैली में बिजली गुल होने पर ‘टर्न ऑफ़ द लाइट्स’ का शोर मचाया था. जब बिजली सप्लाई दोबारा शुरू कर दी गई, तो ट्रंप को लाइटिंग कुछ ज़्यादा ही तेज़ लगी. ऐसा लगता है कि लाइट की ब्राइटनेस साजिश का हिस्सा बन चुकी है.

बिल्ली बनने वाला बंदा

ऐसे कितने नेता होंगे जिन्होंने गर्व के साथ खुद पर कैट फिल्टर का इस्तेमाल किया हो? पाकिस्तान में कम से कम ऐसे दो नेता हैं, भले ही उन्होंने गलती से ऐसा किया हो. खैबर पख्तूनख्वा सूबे के संस्कृति मंत्री शौकत युसुफज़ई फेसबुक पर लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, कि अचानक कैट फिल्टर ऑन हो गया. इसी बात पर वह हमेशा के लिए मीम का एक विषय बन गए. लाइव प्रसारण में हुई गलती का परिणाम भी तत्काल दिखता है. मंत्री को गलती का तुरंत एसहास हो गया जब पेज पर ‘फिल्टर हटा लो, बंदा बिल्ली बना हुआ है’ और ‘खुदा पीटीआई वालों को हिदायत दे’ जैसे मैसेज आने लगे. लेकिन युसुफज़ई खैबर पख्तूनख्वा के बाहर भी चर्चित हो गए और बिल्लियों के साम्राज्य ने उन्हें अपने कबीले की मानद नागरिकता दे दी.

(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. ये उनके निजी विचार हैं.)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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