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Friday, 19 April, 2024
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इमरान खान के चंगुल में अब फंस चुका है पाकिस्तान, पर मैं तो बच निकली

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मुझे आश्चर्य नहीं है कि इमरान खान पाकिस्तान का नेतृत्व करने वाले हैं। यही कारण है कि मैंने किताब लिखी।

पाकिस्तान चुनावों के दौरान अपनी आत्मकथा जारी करने के पीछे प्रेरणा के बारे में मुझ पर संदेह किया गया था। जब मैंने कहा कि मेरी पुस्तक किसी के सपनों को नष्ट करने के लिए नहीं लिखी गई थी और न ही किसी की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए लिखी गई थी, उस वक़्त में झूठ नहीं कह रही थी। जो कुछ मैंने अपने जीवनकाल में देखा और सुना था उसे केवल दस्तावेज करने का विचार था।

यह एक अप्रकाशित, असंयमित आँखों देखा वृत्तांत था। किताब ने केवल कई तकलीफ़देह सच्चाइयों को बयाँ किया लेकिन आम तौर पर सच्चाई कड़वी होती हाई है । इस पर विश्वास करना और सामना करना मुश्किल है।

कई अन्य लोगों की तरह, मैंने भी दुनिया को रंगीन चश्मे के माध्यम से देखने की कोशिश करी। जब तक मैंने अपने पूर्व पति इमरान खान को कई मौकों पर रंगे हाथों नहीं पकड़ा, तब तक मैं इन चेजों पर भरोसा नहीं करती थी। समस्या यह है कि पाकिस्तान में हर किसी को एक हीरो चाहिए और जिस देश में कुछ गर्व करने लायक नहीं था वहाँ इमरान खान पिछले 40 सालों से अकेले ही ऐसे व्यक्ति थे। 2013 में, मैंने उन्हें पाकिस्तान का सबसे अच्छा निर्यात बताया था।

2018 तक, मेरी किताब के मार्केट में आने के काफ़ी पहले, हमने इस नायक के दुखद पतन को देखा। सुंदरता, जिसने उन्हें भारतीय प्रशंसकों को जीतने में मदद की, उनकी चरमपंथी वाक्पटुता की कुरूपता को छिपा नहीं सकी। जिस चीज़ ने उन्हें सम्मान दिलाया था अब वह भारत के खिलाफ घूमने वाला था, जिसने उन्हें बहुत प्रेम किया था। जब पश्चिम मुल्कों की तरफ से आलोचनाओं के लेखों की दैनिक गणना बढ़ी, तो इमरान ने घोषणा की कि पश्चिमी समुदाय एक एजेंडा के तहत काम कर रहा है।

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सेना को खुश करने के आरोप, चरमपंथी तत्वों के साथ काम करने और ‘प्रधानमंत्री के चयन’ होने के आरोपों ने परिणाम घोषित होने के समय तक तूल पकड़ लिया था। लेकिन जिसे सबसे गंदा चुनाव कहा जा रहा है उसके परिणाम आने पर, हर किसी को आश्चर्यचकित किया। पाकिस्तानी मतदाता और चुनावी पंडित भी ऐसे परिणाम से इनकार कर रहे थे, वैसे ही जैसे मैंने उनसे शादी के समय किया था।

जैसे ही परिणाम आये मैं हवाओं में अविश्वास की गंध को महसूस कर सकती थी। चुनावी पंडितों ने पूछा कि वे इतने स्पष्ट रूप से चुनाव में हेर-फेर कैसे कर सकते हैं। वह ही क्यों? क्या वे नहीं देख सकते थे कि किस तरह चीनी, सऊदी अरब के लोगों और यहाँ तक कि ईरानियों को भी उनके साथ समस्या थी? मैंने ट्वीट्स में एवं व्हाट्सएप समूहों प्रयोग होने वाले शब्दों को देखा और उनके सदमे की स्थिति पर चकित महसूस किया।

मुझे आश्चर्य नहीं है। क्योंकि मुझे पता था कि यह क्यों हो रहा था। यही कारण है कि मैंने किताब लिखी।मैंने इस किताब को चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के लिए नहीं लिखा, मैंने इसे सही तरीके से लिखा क्योंकि कोई भी इस योजना को रोक नहीं सकता था।

इमरान की कही हुई बातों में मैं कुछ का ही समर्थन करती हूँ, लेकिन उनका यह कहना कि मैं उनके जीवन की सबसे बड़ी ग़लती थी बिलकुल सही है। हम इससे ज़्यादा अलग नहीं हो सकते हैं। मैं अपने दिल की सुनती हूँ लेकिन इमरान हर चीज़ बड़ी चतुराई के साथ करते हैं।

जिस इमरान के साथ मैं एक साल रही वह ना तो निराशापूर्ण थे और ना ही अतिशीघ्र।

इमरान ने सोचा था कि मुझे एक सेलिब्रिटी पत्नी बनने में खुशी होगी। हकीकत में, मैं राजनेता की पत्नी बनने के लिए नहीं बनी थी, जो नजरे मिलाकर बात न कर पाए और अपनी सलाह अपने पास रखे।

और इसलिए, इमरान खान की ख़बर पर मेरी प्रतिक्रिया क्या है जब उनको वह मिल रहा है जो उनको चाहिए था? राहत की बात यह है कि मैं उनके साथ नहीं हूँ। उन्हें उस व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा जिसने लोगों के जनादेश को चुरा लिया था। मेरे लिए, ऐसे व्यक्ति के साथ होना महत्वपूर्ण है जो अपनी बुद्धि या क्षमता के कारण सम्मान प्राप्त करे। मेरा किसी ऐसे व्यक्ति के साथ होना असंभव है जो अपनी ईमानदारी से समझौता करता हो और मजाक का एक जरिया बन जाता है। लेकिन पाकिस्तान, हालांकि, अब उनके साथ फंस गया है। उनके पास अपने प्रधानमंत्री से दूर जाने का कोई विकल्प नहीं है, जैसा मैंने किया था।

हम एक ऐसा राष्ट्र हैं जो शर्मिंदा हो जाते है जब उसका प्रधानमंत्री व्हाइट हाउस में अपने नोट्स से पढ़ता है। जब हमे ज़िया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ जैसे तानाशाहों की याद दिलाई जाती है तो हम इस चर्चा के विषय को ही बदल देते हैं।

हम एक ऐसे प्रधानमंत्री का बचाव कैसे करेंगे जो यह नहीं जानता कि मतदान कैसे किया जाता है और जो बेशर्मी के साथ कानून तोड़ता है? एक तरफ़ अपने उपयोगिता बिलों को आग लगाना और दूसरी तरफ़ राज्य टीवी चैनल में ब्रेक-इन का समर्थन करना – इससे यह पता चलता है कि इमरान खान की छवि सबके समक्ष कुछ ख़ास नहीं है।

एक ऐसे व्यक्ति, जिसकी ड्रग्स की आदत है, को हमारे देश का नेतृत्व एक नाज़ुक समय पर करने के लिए चुना गया है। पसंद साधारण है। यहाँ पर इतिहास का केवल एक सही पक्ष है। मैं भाग्य की आभारी हूँ कि मैं सही ओर खड़ी हूँ।

रेहम खान एक पत्रकार, बाल अधिकार कार्यकर्ता और पाकिस्तान में एकल माता-पिता हैं। उन्होंने एक आत्मकथा ‘रेहम खान’ लिखी है।

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