मध्य प्रदेश की 18-वर्षीय विधि सूर्यवंशी ने जब 2020 की नीट-यूजी परीक्षा में केवल 6 स्कोर हासिल किए, तो उन्होंने निराशा में खुद को फांसी लगा ली. बाद में सच सामने आया कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने उनके परिणामों को गलत तरीके से रिपोर्ट किया था और उन्हें असल में 590 स्कोर मिले थे. फिर, 2021 में एक रूसी नागरिक द्वारा सॉफ्टवेयर को हैक किए जाने के कारण JEE मेन्स परीक्षा से समझौता किया गया, जिससे छात्रों को नकल करने का मौका मिला, क्योंकि अन्य लोग उनके कंप्यूटर तक दूर से ही पहुंच बनाने और उनकी ओर से परीक्षा देने में सक्षम थे.
कई वर्षों और कई परीक्षाओं के बाद, लाखों युवा उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करने वाली नोडल परीक्षा संस्था NTA को फिर से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. NEET में बढ़ी हुई रैंकिंग और ग्रेस मार्क्स से लेकर बिहार और गुजरात में पेपर लीक मामले, UGC-NET का रद्द होना और वाणिज्य मंत्रालय के तहत सरकारी भर्ती परीक्षा में विसंगतियां, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी छात्र परीक्षण संस्था इस सप्ताह कई मुद्दों पर उलझी हुई है.
एजेंसी ने अपने एक्स हैंडल, प्रेस कॉन्फ्रेंस और सुप्रीम कोर्ट में पेशी के जरिए कईं विवादों का सामना करने की कोशिश की है, जिसमें दावा किया गया है कि NEET कट-ऑफ में भारी वृद्धि परीक्षा की प्रतिस्पर्धात्मकता को दर्शाती है न कि ईमानदारी के मुद्दों को. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि NCERT की किताबों में बदलाव और खोए हुए समय के लिए ग्रेस मार्क्स ने भी हाई स्कोर में योगदान दिया. हालांकि, NTA के तर्क, स्पष्टीकरण और बयान हर गुज़रते दिन के साथ बेमानी होते दिख रहे हैं. जो सामने आ रहा है, वो भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के तरीके में होने वाली हर गड़बड़ी की कहानी बयां करता है और यही वजह है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी इस हफ्ते दिप्रिंट की न्यूज़मेकर है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर विजेंद्र चौहान ने कहा, “NTA अपने मानव संसाधनों के लिए निजी कंपनियों और अनुबंधों पर निर्भर है, जिससे जवाबदेही की कमी होती है. एक और बड़ा मुद्दा है तेजी से संगठित निहित स्वार्थ जो कोचिंग उद्योग और धोखाधड़ी के पारिस्थितिकी तंत्र के बीच एक मजबूत संबंध बनाते हैं. इस पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना, पेपर लीक और अविश्वसनीय परीक्षाएं समस्या बनी रहेंगी.”
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एनटीए और उसका प्रभाव
एनटीए की भूमिका, जिम्मेदारी और कार्यप्रणाली का भारत में दूरगामी प्रभाव है, जहां लाखों छात्र अपना करियर बनाने के लिए उच्च शिक्षा में प्रवेश करते हैं. इसलिए, जब बिहार में कहीं पेपर लीक होता है, जैसा कि NEET (UG) 2024 के मामले में हुआ, तो इसका असर पूरे भारत पर पड़ता है.
इस साल लगभग 24-लाख छात्रों ने मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए NEET परीक्षा के लिए अप्लाई किया था. इसी तरह लगभग 11 लाख छात्रों ने रिसर्च फेलोशिप और सहायक प्रोफेसर पात्रता हासिल करने की उम्मीद में UGC-NET के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. ये NTA द्वारा आयोजित कई परीक्षाओं में से सिर्फ दो परीक्षाएं हैं, जिनमें CUET, JNUET, GPAT और JEE (मेन्स) भी शामिल हैं.
एस्पिरेंट्स इन परीक्षाओं के लिए महीनों तक तैयारी करते हैं, कोचिंग पर पैसे खर्च करते हैं और हॉस्टल में रहते हैं. रद्द की गई परीक्षा या कट-ऑफ स्कोर में अचानक और इतनी वृद्धि उनके पूरे जीवन को उलट सकती है.
केंद्र सरकार द्वारा, 2017 में स्थापित NTA केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करता है. इसका कार्य उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश और फेलोशिप के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करना है.
एजेंसी 5 सितंबर 2018 को प्रभाव में आई, जिसके पहले साल के लिए इसका प्रारंभिक बजट 25 करोड़ रुपये था. इसने अपने कामकाज के पहले वर्ष में केवल UGC-NET परीक्षा आयोजित की, 2019 से धीरे-धीरे अन्य परीक्षाओं की जिम्मेदारी संभाली. यह वर्तमान में 2,546 से अधिक केंद्रों का प्रभारी है.
वर्तमान में एजेंसी का नेतृत्व यूपीएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप कुमार जोशी कर रहे हैं. इसके शासी निकाय में अध्यक्ष जोशी सहित 14 लोगों की एक टीम शामिल है. आईएएस अधिकारी सुबोध कुमार सिंह इसके महानिदेशक के रूप में कार्य करते हैं.
अपनी स्थापना के तुरंत बाद राज्य स्तरीय परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाओं को परेशान करने वाली समस्याओं ने NTA का पीछा किया, जिसके कार्यकाल के दौरान कई विवाद और गड़बड़ियों के आरोप लगे. एक मामले में 2020 के NEET के इच्छुक मृदुल रावत ने दावा किया कि उन्हें कम स्कोरर घोषित किया गया था, लेकिन वास्तव में उन्होंने ST श्रेणी में टॉप किया था. हालांकि, NTA ने इसका खंडन किया. हाल ही में JEE (मेन्स) 2022 परीक्षा को तकनीकी समस्याओं, Answer Key की गड़बड़ियों और प्रतिक्रिया पत्रक समस्याओं के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप अंततः कुछ स्टूडेंट्स के स्कोर कम हो गए.
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं
एनटीए का चार्टर प्रवेश और भर्ती के लिए “उम्मीदवारों की योग्यता” का आकलन करना है. आज, इसकी अपनी योग्यता सवालों के घेरे में है और इसे देश की सर्वोच्च अदालत में एक महत्वपूर्ण परीक्षा से गुज़रना है.
नीट के नतीजों में अभूतपूर्व रैंक वृद्धि के मद्देनज़र — पेपर लीक, परीक्षा केंद्रों पर कुप्रबंधन और ग्रेस मार्क्स जैसे कारकों को दोषी ठहराया गया — सुप्रीम कोर्ट के दरवाज़े पर जनहित याचिकाओं की बाढ़ आ गई है. नीट उम्मीदवारों और कोचिंग संस्थान के मालिकों से लेकर आरटीआई कार्यकर्ताओं ने ग्रेस मार्क्स को हटाने और परीक्षा को फिर से आयोजित करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है.
दो जजों की अवकाश पीठ ने मंगलवार को एनटीए और केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकीलों से कहा, “अगर किसी की ओर से 0.001 प्रतिशत भी लापरवाही हुई है, तो उससे पूरी तरह निपटा जाना चाहिए.”
इससे पहले, 13 जून को एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि वह 1,563 उम्मीदवारों को दिए गए “ग्रेस मार्क्स” को वापस ले लेगा और उन्हें दोबारा परीक्षा देने या ग्रेस मार्क्स के बिना अपने मूल स्कोर से संतुष्ट होने का मौका देगा.
इससे भी कोर्ट के समक्ष यह दलील आई थी कि इनमें से 700 से अधिक छात्र परीक्षा में असफल हो गए थे और उन्हें दोबारा परीक्षा देने का विकल्प नहीं दिया जाना चाहिए.
हालांकि, शुक्रवार को कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए काउंसलिंग स्थगित करने या 23 जून को निर्धारित 1,563 उम्मीदवारों की दोबारा परीक्षा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी नई याचिकाओं को लंबित याचिकाओं के साथ जोड़कर और उन्हें 8 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
इस बीच, अन्य विवाद भी सामने आ रहे हैं, जिसमें छात्रों का विरोध भी तेज़ हो रहा है.
बुधवार को शिक्षा मंत्रालय ने इस आधार पर यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द करने की घोषणा की कि इसकी सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है. इसी समय, बिहार में नीट पेपर लीक होने के बारे में पुख्ता सबूत मिल रहे हैं.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पहले पेपर लीक के आरोपों से इनकार किया था, लेकिन गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए उन्होंने एनटीए की ओर से “संस्थागत विफलताओं” को स्वीकार किया. प्रधान ने कहा, “सरकार एक उच्च स्तरीय समिति बनाने जा रही है. एनटीए, इसकी संरचना, कार्यप्रणाली, परीक्षा प्रक्रिया, पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को और बेहतर बनाने के लिए उस उच्च स्तरीय समिति से सिफारिशें अपेक्षित होंगी.”
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‘कभी भरोसा नहीं’
अदालतों और राजनेताओं द्वारा छात्रों के मुद्दे पर अपना समर्थन देने से बहुत पहले, सोशल मीडिया असहमति का स्थान बन गया था जो अब पूरे देश में फैल गया है.
एक्स, टेलीग्राम, रेडिट और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म एनटीए की विफलताओं, गड़बड़ियों और कुप्रबंधन से लेकर पेपर लीक तक को उजागर करने के केंद्र बन गए हैं. स्टूडेंट्स और अन्य लोग परीक्षाओं के संचालन की आलोचना करने वाले पोस्ट और मीम्स के माध्यम से अपनी शिकायतें, चिंताएं और निराशा व्यक्त कर रहे हैं.
एक इंस्टाग्राम यूज़र ने व्यंग्यात्मक रूप से एनटीए को “कभी भरोसा नहीं करेंगे” के रूप में परिभाषित किया. एक अन्य एक्स यूज़र ने एनटीए को नसीहत देते हुए कहा, “अब तो सच बोल दे”.
Whole India to NTA president :- #NEET #Paperleaks pic.twitter.com/LsXpq7ZdAY
— खुरपेंच (@khurpenchh) June 20, 2024
सोशल मीडिया यूज़र्स एनटीए को खत्म करने, धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं और नीट रद्द न किए जाने पर अपना गुस्सा ज़ाहिर कर रहे हैं.
नोडल परीक्षण निकाय को निष्पक्ष, कुशल और त्रुटि रहित तरीके से प्रवेश परीक्षा आयोजित करनी चाहिए. इसके बजाय, 15 दिन से भी कम समय में, यह धोखाधड़ी, कुप्रबंधन और अनियमितताओं का पर्याय बन गया है.
एनटीए भारत को पेपर लीक और मोबाइल फोन का उपयोग करके परीक्षा प्रणाली को धोखा देने वाले “मुन्ना भाइयों” से मुक्त करने के लिए एक सुधारात्मक आशा थी. आज, यह अपनी सबसे बड़ी परीक्षा का सामना कर रहा है और छात्र ही इसके निरीक्षक हैं.
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