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Wednesday, 25 December, 2024
होममत-विमत'अच्छा मित्र खो दिया', PM मोदी ने DMDK के फाउंडर-लीडर विजयकांत को दी श्रद्धांजलि, बोले- सभी के ‘कैप्टन’ थे

‘अच्छा मित्र खो दिया’, PM मोदी ने DMDK के फाउंडर-लीडर विजयकांत को दी श्रद्धांजलि, बोले- सभी के ‘कैप्टन’ थे

मोदी ने अपनी वेबसाइट www.narendermodi.in पर लिखा कि विजयकांत, अभिनेता-राजनेता जिनका पिछले सप्ताह निधन हो गया, उनकी अच्छाई और काम हमेशा उनके प्रशंसकों के दिलों में जिन्दा रहेगी.

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कुछ दिन पहले हमने एक बेहद ही सम्मानित और प्रतिष्ठित आइकॉन तिरु विजयकांत जी को खो दिया. वह वास्तव में सभी के लिए एक कैप्टन थे – एक व्यक्ति जिसने अपना जीवन दूसरों की भलाई के लिए जिया, जरूरतमंद लोगों को नेतृत्व और हीलिंग टच दिया. व्यक्तिगत रूप से कैप्टन एक बहुत ही प्रिय मित्र थे, एक ऐसे व्यक्ति जिनके साथ मुझे कई अवसरों पर बातचीत और निकटता से काम करने का मौका मिला.

कैप्टन बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. भारतीय सिनेमा जगत में बहुत कम सितारों ने विजयकांत जी जैसी अमिट छाप छोड़ी है. उनके प्रारंभिक वर्षों और सिनेमाई कार्यों से प्रेरित होने के लिए बहुत कुछ है. साधारण शुरुआत से लेकर तमिल सिनेमा की ऊंचाइयों तक का उनका सफर सिर्फ स्टारडम की कहानी नहीं है, बल्कि अथक प्रयास और अटूट समर्पण की कहानी है. उन्होंने प्रसिद्धि के लिए सिनेमा की दुनिया में कदम नहीं रखा. उनकी यात्रा जुनून और दृढ़ता से प्रेरित थी. उनकी प्रत्येक फिल्म ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि अपने समय के सामाजिक लोकाचार को भी दर्शकों के व्यापक वर्ग के साथ गहराई से प्रतिबिंबित किया.

कैप्टन की भूमिकाएं और उन्होंने उन भूमिकाओं को कैसे निभाया, यह आम नागरिक के संघर्षों के बारे में उनकी गहरी समझ को उजागर करता है. उन्होंने अक्सर ऐसे चरित्रों को चित्रित किया जो अन्याय, भ्रष्टाचार, हिंसा, उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ लड़े और वंचितों के लिए खड़े हुए. इन गुणों को उन्होंने वास्तविक जीवन में भी अपनाया.

यह कहना उचित होगा कि उनकी फिल्में समाज का दर्पण होती थीं, जो उसके गुणों और दोषों को दर्शाती थीं. मनोरंजन और सामाजिक संदेश के इस अनूठे मिश्रण ने उन्हें दूसरों से अलग खड़ा कर दिया.

यहां मैं ग्रामीण जीवन और संस्कृति के प्रति उनके प्रेम को विशेष रूप से उजागर करना चाहता हूं. अपार प्रसिद्धि पाने और दुनिया भर में यात्रा करने के बाद भी, ग्रामीण जीवन और पारंपरिक लोकाचार के प्रति उनका प्रेम बना रहा. ऐसा लगता है कि उनकी फ़िल्में उनके ग्रामीण अनुभव को बारीकी से दर्शाती हैं . उन्होंने ग्रामीण परिवेश के बारे में शहरी लोगों की समझ को बेहतर बनाने के लिए अक्सर अनुकरणीय प्रयास किए.

दलितों के हितों की वकालत

लेकिन कैप्टन का असर सिल्वर स्क्रीन तक ही सीमित नहीं रहे. उन्होंने राजनीति की दुनिया में कदम रखा और अधिक व्यापक तरीके से समाज की सेवा करना चाहते थे. उन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में तब प्रवेश किया जब तमिलनाडु की राजनीति पर दो दिग्गजों – अम्मा जयललिता जी और कलैग्नार करुणानिधि जी का वर्चस्व था. ऐसे में तीसरा विकल्प प्रस्तुत करना अद्वितीय तो था ही, लेकिन यह विंटेज कैप्टन ही थे जो अपनी शर्तों पर काम करते थे! राष्ट्रवाद और सामाजिक न्याय पर उनका अपना जोर, देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (DMDK) की विचारधारा में प्रतिबिंबित हुआ, जिसकी स्थापना उन्होंने 2005 में की थी.

जब भी वह बोलते थे तो कोई भी उनके ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व के साथ समानताओं को देख सकता था, जो अक्सर दलितों के हितों की वकालत करते थे. तमिलनाडु की अत्यधिक द्विध्रुवीय और प्रतिस्पर्धी राजनीति में, उनकी पार्टी के गठन के अपेक्षाकृत कम समय में ही वह 2011 में प्रमुख विपक्षी नेता बन गए.

मैंने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान कैप्टन के साथ काम किया था जब हमारी पार्टियां गठबंधन में लड़ी थीं और 18.5% से अधिक वोट हासिल किए थे – जो कि 1989 के चुनावों के बाद किसी भी मुख्य क्षेत्रीय पार्टी के बिना किसी भी राष्ट्रीय गठबंधन को मिले सबसे अधिक वोट थे! मुझे सलेम में की गई हमारी संयुक्त रैली अच्छी तरह से याद है – जहां मैंने उनकी ओजस्वी वाकपटूता (Oratory) कला और लोगों के साथ उनका जुड़ाव देखा था. 2014 में जब एनडीए की सरकार बनी तो वह सबसे खुश लोगों में से थे. मैं सेंट्रल हॉल में उनकी खुशी को कभी नहीं भूल सकता जब 2014 की चुनाव जीत के बाद एनडीए नेता मिले थे.

युवाओं को बहुमूल्य सीख

प्रोफेशनल उपलब्धियों के परे विजयकांत जी का जीवन युवाओं को बहुमूल्य सीख देता है. सबसे विशेष रूप से – रेजिलिएंस की शक्ति, कभी हार न मानने वाला रवैया और पूर्ण समर्पण के माध्यम से किसी भी चुनौती पर काबू पाने की क्षमता. उनका विशाल हृदय वाला स्वभाव भी उतना ही प्रेरणादायक है.

वह परोपकार के लिए जाने जाते थे – उन्होंने अपनी प्रसिद्धि और संसाधनों का उपयोग कई तरीकों से समाज को वापस देने के लिए किया. वह हमेशा चाहते थे कि तमिलनाडु और पूरा भारत हेल्थकेयर और एजुकेशन में अग्रणी बने.

विजयकांत जी के निधन से कई लोगों ने अपना सबसे पसंदीदा सितारा खो दिया और कई लोगों ने अपना प्रिय नेता खो दिया, लेकिन मैंने एक प्रिय मित्र खो दिया है – एक ऐसा मित्र जिसकी गर्मजोशी और बुद्धिमत्ता अद्भूत थी. वह अपने पीछे एक ऐसा शून्य छोड़ गए हैं जिसे भरा नहीं जा सकता. ‘कुरल’ इस बारे में बात करता है कि कैसे साहस, उदारता, बुद्धि और उत्साह, एक सफल नेता के चार आवश्यक गुण हैं. कैप्टन ने वास्तव में इन गुणों को मूर्त रूप दिया और यही कारण है कि उनका इतना व्यापक सम्मान है. उनकी विरासत उनके प्रशंसकों के दिलों, तमिल सिनेमा के इतिहास और सार्वजनिक सेवा के गलियारों में जीवित रहेगी और हम सभी के लिए प्रगति और सामाजिक न्याय के उनके विजन को साकार करने के लिए काम करते रहेंगे.


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