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Friday, 22 November, 2024
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CBI-NIA के साए में लंबे समय तक गुमनाम रही NCB अब अपनी लोकप्रियता का मज़ा ले रही है

कुछ बॉलीवुड ए-लिस्टर्स और उनकी व्हाट्सएप पर बातचीत की बदौलत नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो अब बहुत से ईवनिंग न्यूज़ कार्यक्रमों के केंद्र में आ गया है.

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अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती कथित तौर पर गांजा खरीदने, उसके लिए पैसा देने और उसका इस्तेमाल करने के आरोप में सलाखों के पीछे हैं और इस केस ने अब दीपिका पादुकोण, सारा अली खान और श्रद्धा कपूर जैसे दूसरे बॉलीवुड सितारों को भी खींच लिया है.

ये सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर उठे विवाद का ताज़ा मोड़ है जिसका कथानक सबूत न मिलने से औंधे मुंह गिर चुकी, ‘साज़िश’ की थ्योरी से हटकर, ‘ड्रग्स का गढ़ बॉलीवुड’ हो गया है.

इस जांच को, जो अब एक बदनामी के प्रचार में बदल चुकी है, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) कामयाबी के साथ अपनी अगुवाई में चला रहा है. नार्कोटिक्स के इस्तेमाल और इसके धंधे की रोकथाम के लिए बनी इस केंद्रीय एजेंसी के बारे में कम ही लोग जानते हैं.

ये एजेंसी लंबे समय तक केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) के साए में रही है. लेकिन नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो अब नई मिली लोकप्रियता का मज़ा ले रहा है जिसका श्रेय न्यूज़ चैनल्स के एक हिस्से की सुशांत की मौत में दिलचस्पी और उसकी लगातार कवरेज को जाता है.

एनसीबी एक ऐसी एजेंसी थी जो अफीम की अवैध खेती की खुफिया जानकारी जुटाने, मनोदैहिक पदार्थों को ज़ब्त करने और तस्करों को पकड़ने के थकाऊ काम में लगी रहती थी और फिर भी किसी की निगाह में नहीं आती थी. लेकिन आज एनसीबी एक ऐसी जांच में सबसे आगे है जिसने पूरे देश को स्तंभित किया हुआ है.

और यही कारण है कि नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, आज दिप्रिंट का न्यूज़मेकर ऑफ द वीक है.


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क्या है एनसीबी?

एनसीबी स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के तहत वजूद में आया था जिसमें केंद्र सरकार को नार्कोटिक पदार्थों के दुरुपयोग और इनके कारोबार को रोकने के लिए, एक अथॉरिटी के गठन के लिए अधिकृत किया गया था.

मार्च 1986 में, एनसीबी राजस्व विभाग (वित्त मंत्रालय) का हिस्सा बन गया और एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों पर अमल कराने के लिए एनडीपीएस एक्ट, कस्टम्स एक्ट, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और किसी भी अन्य कानून के तहत एनसीबी को राज्य सरकारों व अन्य अथॉरिटीज़ के साथ समायोजन का ज़िम्मा दिया गया.

इसका प्रमुख काम है दूसरे देशों से नार्कोटिक्स का आयात रोकना, भारत के अंदर इसके इस्तेमाल और अवैध ड्रग्स के उपभोग व बिक्री को चेक करना तथा भारत को किसी तीसरे देश को जा रही नार्कोटिक्स के लिए, ट्रांजिट प्वॉइंट बनने से रोकना और देसी नार्कोटिक्स के निर्यात को रोकना.

वर्तमान में इस ब्यूरो के मुखिया 1984 बैच के गुजरात काडर के आईपीएस ऑफिसर राकेश अस्थाना हैं, जिन्हें लंबे समय से नरेंद्र मोदी और अमित शाह से जुड़े होने के लिए जाना जाता है. अस्थाना को अक्टूबर 2018 में सीबीआई से बाहर भेजना पड़ा, जब तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से खुलेआम झगड़ा मोल लेने के बाद, एजेंसी ने उनके खिलाफ रिश्वत का मुकदमा दायर कर दिया. जुलाई 2019 में अस्थाना को एनसीबी का महानिदेशक नियुक्त किया गया और इस साल अगस्त में उन्हें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) प्रमुख भी बना दिया गया.


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सबूत हों या न हों

एनसीबी ने 26 अगस्त को रिया चक्रवर्ती और पांच अन्य के खिलाफ, एक आपराधिक मामला दर्ज किया. ये केस उसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मिली तथाकथित व्हाट्सएप चैट्स पर आधारित था, जो एक्टर की मौत के धनशोधन पहलू की जांच कर रहा है. अपनी जांच के दौरान एनसीबी, रिया या किसी अन्य को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं जुटा सकी.

इसके बाद छापे मारे गए लेकिन रिया या उसके भाई शोविक चक्रवर्ती के घर से कुछ बरामद नहीं हो सका. फिर एक दूसरा केस दायर किया गया (पहली एफआईआर के दो दिन बाद) और एनसीबी ने दावा किया कि इसका मकसद ‘मुंबई खासकर बॉलीवुड में ड्रग्स के गढ़ को उखाड़ फेंकना है’.

इस केस ने मीडिया और दर्शक दोनों को सुशांत राजपूत के केस से बांध दिया और जल्द ही हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के एक हिस्से को, ‘ड्रग्स का आदी’ कहा जाने लगा. इस बीच, एनसीबी हर दिन कुछ नए नाम सामने लाती है जिनमें फिल्म इंडस्ट्री के लोग शामिल होते हैं.

एनसीबी की जांच, जिसमें अब तक रिया और उसके भाई शोविक समेत 19 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, अब अपना फोकस सुशांत राजपूत की मौत के ‘साज़िश’ के पहलू से हटाकर, ‘बॉलीवुड के विस्तृत ड्रग नेक्सस’ पर केंद्रित करने में कामयाब हो गई है.

अपनी दूसरी एफआईआर के सिलसिले में एनसीबी ने कथित ड्रग विक्रेताओं से 590 ग्राम हशीश, 0.64 ग्राम एलएसडी शीट्स, 304 ग्राम गांजा, गांजे के आयातित ज्वायंट्स और कैपस्यूल्स, 1,85,200 रुपए नकदी और 5,000 इंडोनेशियाई रुपिया बरामद किए.


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दीपिका और श्रद्धा की एंट्री

ऐसा लगता है कि दीपिका पादुकोण सरकार की ताज़ा तरीन आलोचक हैं जो किसी केंद्रीय एजेंसी के निशाने पर आई हैं. वो जेएनयू में एक विरोध बैठक में शरीक होने के बाद पहली बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आलोचना का शिकार हुई थीं.

वो जनवरी में, विरोध कर रहे छात्रों के साथ एकजुटता ज़ाहिर करने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के परिसर में आईं थीं, जिन छात्रों पर हथियारों से लैस भीड़ ने हमला किया था. दीपिका जल्द ही सोशल मीडिया ट्रोल्स और बीजेपी समर्थकों के निशाने पर आ गईं जिनमें से बहुतों ने उसी समय आई उनकी फिल्म, छपाक के बहिष्कार की मुहिम भी छेड़ दी.

अब एनसीबी ने उन्हें अपनी पहली एफआईआर के सिलसिले में तलब किया है जिसमें रिया एक मुख्य अभियुक्त थी लेकिन जिसमें कोई गिरफ्तारी या बरामदगी नहीं हुई है.

श्रद्धा कपूर और सारा अली खान को भी तलब किया गया है लेकिन दूसरे केस में, जिसमें रिया और 18 अन्य लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.

एनसीबी ने दावा किया है कि पहले केस में जांच के दौरान, इसे सुशांत राजपूत की टेलेंट मैनेजर जया साहा के फोन से कुछ चैट्स मिली हैं, जिनका संबंध ड्रग्स खासकर गांजे की खरीद और उपभोग से है.

एनसीबी का कहना है कि ये चैट्स कथित रूप से दीपिका पादुकोण और उनकी मैनेजर करिश्मा के बीच हैं और ये 2017 बल्कि 2015 तक की हैं. एनसीबी का कहना है कि इनमें दीपिका का बतौर ‘डी’ ज़िक्र किया गया है जो फिलहाल ब्यूरो के पास अकेला सबूत है.

लेकिन दूसरे मामले में एनसीबी का दावा है कि उसके पास सबूत है कि सारा अली खान और श्रद्धा कपूर ड्रग विक्रेताओं से ड्रग्स खरीदने की बात कर रही हैं.

एनसीबी अपने दावों की पुष्टि में सबूत जुटा पाएगी या नहीं, ये अभी देखा जाना बाकी है. इस बीच, ऐसा लगता है कि एजेंसी ने इंडस्ट्री के कुछ लोगों के खिलाफ जंग छेड़ दी है और उन्हें बदनाम करने के लिए ऐसा प्रचार छेड़ दिया है कि वो ‘निर्दोष साबित होने तक दोषी’ नज़र आएं. ये काम टाइम्स नाउ, इंडिया टुडे और रिपब्लिक टीवी जैसे चैनलों को चुनिंदा लीक्स के ज़रिए किया जा रहा है जो हर उस वाहन के पीछे भागने में खुश हैं जिसमें कोई बॉलीवुड हस्ती बैठी हो सकती है.

(व्यक्त विचार निजी हैं)

(इसे अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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