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Friday, 1 November, 2024
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हरियाणा विधानसभा चुनाव में युवाओं के मुद्दों के सहारे दुष्यंत चौटाला की जेजेपी कितना प्रभाव डाल पाएगी

आईएनएलडी में दोनों भाइयों के पारिवारिक झगड़ों के कारण अलग हुए दुष्यंत चौटाला ने 2018 में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बनाई थी.

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में नई पार्टी का तीसरा प्रयोग 2019 में जननायक जनता पार्टी के रूप में हो रहा है. इससे पहले 1991 के चुनाव में हरियाणा विकास पार्टी को सफलता 1996 विधानसभा चुनाव में बंसीलाल के नेतृत्व में मिली और सरकार का गठन किया गया. 2007 में भजनलाल ने हरियाणा जनहित कांग्रेस बनाई और 2009 का विधानसभा चुनाव और 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा. लेकिन वो चुनाव में प्रभाव नहीं डाल पाए.

आईएनएलडी में दोनों भाइयों के पारिवारिक झगड़ों के कारण अलग हुए दुष्यंत चौटाला ने 2018 में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बनाई. जेजेपी ने अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत जींद उपचुनाव से की और अब विधानसभा चुनाव में पूरा जोर लगा रही है.

लोकसभा चुनाव में भारी हार पर दुष्यंत चौटाला ने ट्वीट किया था, ‘जनमत स्वीकार, हार स्वीकार, संघर्ष के लिए हम फिर तैयार, चलते रहेंगे हौसलों के साथ, दिल में लेकर ताऊ के विचार .’

2019 के विधानसभा चुनाव से पहले आईएनएलडी के अधिकतर सीनियर साथी जेजेपी तथा बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं. इसीलिए विधानसभा चुनाव में आईएनएलडी का वोट बैंक अब जेजीपी के पास जाता दिखाई दे रहा है. जमीनी स्तर पर जेजेपी के प्रमुख दुष्यंत चौटाला लोकसभा सदस्य बनने के बाद हरियाणा के युवाओं में अपनी पहचान बनाने के लिए राजनीति कर रहे हैं. चौटाला परिवार के सदस्यों के जेल में जाने के बाद दुष्यंत चौटाला आईएनएलडी का चेहरा बन चुके थे.

अभय चौटाला और अजय चौटाला दोनों भाइयों के पारिवारिक झगड़े ने दुष्यंत चौटाला को अलग पार्टी बनाने के लिए मजबूर कर दिया. 2018 में जेजेपी के बनने के बाद से युवाओं की नौकरियों के मुद्दे विशेषकर प्रदेश के सभी प्राइवेट सेक्टर में 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणवी युवाओं के लिए आरक्षित होने की बात की है. इस समय हरियाणा के पांच से छह जिलों में बड़े उद्योग हैं. खासकर रोहतक, बहादुरगढ़, सोनीपत, गुरुग्राम ,फरीदाबाद, मानेसर आदि.

युवाओं में बेरोजगारी के मुद्दे पर जेजेपी युवा वर्ग में काफी पॉपुलर हो रही है. दुष्यंत चौटाला की जेजेपी अपनी पहचान आईएनएलडी की जाट पार्टी पहचान से अलग युवाओं की पार्टी तथा सभी जातियों की पार्टी के तौर पर स्थापित करने का प्रयास कर रही है, जो कि ताऊ देवीलाल के सपनों को पूरा करने की बात अपने हर चुनाव प्रचार अभियान में कर रहे हैं.

ताऊ देवीलाल ग्रामीण क्षेत्रों, किसानों, गरीब तथा सभी जातियों से जुड़ने वाले शख्सियत के तौर पर याद किए जाते हैं. दुष्यंत चौटाला भी देवीलाल के नीतियों और विचारों को हरियाणा में लागू करने की बात समय-समय पर करते रहे हैं.


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17 अक्टूबर 2019 को चंडीगढ़ में जेजेपी ने अपने घोषणा पत्र जिसका नाम जनसेवा पत्र रखा है. उसमें प्रमुख मुद्दों के तौर पर 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणा के युवाओं के लिए, 2000 से 5100 रूपए मासिक पेंशन वृद्धावस्था, विधवा व विकलांग के लिए, पंचों सरपंचों- पंचायत समिति- जिला परिषद सदस्य नंबरदार सभी का मासिक वेतन बढ़ाने का फायदा, किसानों, छोटे दुकानदारों का सहकारी बैंकों का कर्जा माफ, शिक्षित युवाओं को 11000 रुपए का बेरोजगारी भत्ता, कुरुक्षेत्र में संत रविदास का देश का सबसे बड़ा मंदिर, तीन लाख तक ब्याज मुक्त लोन, शहरों के सेक्टरों में रहने वाले लोगों पर एन्हासमेंट का भार सरकार खुद पेमेंट करेगी जैसे मुद्दों पर हरियाणा में चुनाव प्रचार में लगी हुई है.

निजी उद्योगों में स्थानीय युवाओं को नौकरी देने के मुद्दे पर इस समय कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां बात कर रही है. लेकिन, राष्ट्रीय पार्टी होने के कारण युवाओं का भरोसा इस मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस पर थोड़ा सा कम नजर आ रहा है. युवाओं का ऐसा मानना है कि जेजेपी क्षेत्रीय पार्टी होने के कारण इस प्रकार के मुद्दों पर कार्य करने की योजना बना सकती है, क्योंकि जुलाई 2019 को आंध्र प्रदेश देश का पहला राज्य हो गया, जिसने प्राइवेट उद्योगों में 75 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को नौकरी कोटा बिल पास विधानसभा में कर दिया है. इसको लागू करने वाली भी वहां की क्षेत्रीय पार्टी और युवा मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी रहे हैं. भारत में स्थानीय मुद्दों को लेकर हर राज्य में लोगों का विश्वास अपनी क्षेत्रीय पार्टियों पर ही में ज्यादा रहा है.

जेजीपी इस समय नई चुनावी रणनीति और नई पार्टी पहचान की पैकेजिंग के साथ हरियाणा में कार्य कर रही है. अभी तक ओम प्रकाश चौटाला परिवार और आईएनएलडी की पहचान 1987 की सरकार तथा 1999 की सरकार के दौर में महम कांड, ग्रीन ब्रिगेड की हिंसा, जाट समुदाय की पार्टी और पंजाबी बनिया विरोधी दल के रूप में हो चुकी थी. स्थानीय छोटे व्यापारियों को परेशान करना तथा उद्योग धंधों से अवैध वसूली करने के किस्से रोज आईएनएलडी की सरकारों के समय सुनने को मिलते थे. इसी सब पहचान के कारण 15 सालों से आईएनएलडी की सरकार हरियाणा में नहीं बन पाई.


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राजनीति में चुनाव के समय दिन-प्रतिदिन घटनाक्रम बदलते रहते हैं. इसी क्रम में 16 अक्टूबर 2019 को हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने जेजीपी को खुलकर समर्थन देने की घोषणा की. इससे जेजेपी को हिसार, सिरसा, जींद, फतेहबाद सीटों पर बढ़त मिल सकती है. अशोक तंवर का प्रभाव दलितों, पिछड़ों और युवा वर्ग में ज्यादा रहा है. अक्टूबर 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी लहर में आईएनएलडी को 19 सीटों पर जीत मिली थी.

आईएनएलडी के कमजोर होने के कारण इस समय इन कुछ जाट बहुल सीटों पर भी जेजेपी का प्रभाव बढ़ रहा है. चर्चा जोरों पर है की बीजेपी विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण कांग्रेस की जगह पर जेजेपी के पक्ष में हो सकता है. इसका बड़ा कारण यह है कि कांग्रेस की स्थिति 2014 से भी कमजोर स्तर पर इस समय चल रही है, क्योंकि कांग्रेस के सीनियर नेतृत्व में तथा जिला स्तरों पर आपसी गतिरोध, तालमेल का अभाव तथा जमीनी स्तर पर कमजोर संगठन को माना जा सकता है. कांग्रेस का कुछ सालों से जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर किसी प्रकार का कोई संगठन का ढांचा नियुक्त नहीं हो पाया है.

जेजेपी के पक्ष में यदि वोटों की बढ़ोतरी हुई तो दुष्यंत चौटाला मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर भी उभर सकते हैं.

(डॉ संजय कुमार जाकिर हुसैन इवनिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं, यह लेख उनके निजी विचार हैं)

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