scorecardresearch
Friday, 27 December, 2024
होममत-विमतअरशद शरीफ की हत्या के पीछे छिपा है ISI का सबसे गहरा राज, पूर्वी अफ्रीका में हेरोइन कारोबार से जुड़े हैं तार

अरशद शरीफ की हत्या के पीछे छिपा है ISI का सबसे गहरा राज, पूर्वी अफ्रीका में हेरोइन कारोबार से जुड़े हैं तार

यह कहानी काफी दिलचस्प है कि आईएसआई की कमान संभालने वाले सैन्य अधिकारियों ने वैश्विक जिहादियों के वित्त पोषण के साथ-साथ खुद को मालामाल करने के लिए किस तरह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के ड्रग्स गिरोहों के साथ मिलकर काम किया

Text Size:

सालों ड्रग्स कारोबार के बेताज बादशाह रहे इब्राहिम अब्दुल्ला अकासा को मौत मिली एम्सटर्डम के रेड लाइट जिले की ब्लड स्ट्रीट पर, जहां एक हिटमैन ने चार गोलियों से उसका चेहरा छलनी कर दिया और तीन गोलियां उसके सीने में उतार दीं. पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र के एक लंबे-चौड़े दायरे में फैला इब्राहिम का आपराधिक साम्राज्य केन्या के रास्ते पाकिस्तान से यूरोप में हेरोइन और मारिजुआना की तस्करी पर केंद्रित था. कभी-कभार असल जिंदगी भी एकदम फिल्मों सरीखी लगती है. कुछ ऐसा ही हुआ इब्राहिम अकासा के साथ, सड़क के किनारे खून से लथपथ पड़े इस ड्रग माफिया ने मिस्र में जन्मी अपनी दूसरी बीबी गाजी हयात की बांहों में दम तोड़ा.

पिछले महीने, इमरान खान समर्थक एक पाकिस्तानी पत्रकार अरशद शरीफ की नैरोबी के बाहर एक सुनसान सड़क पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, और यह पता नहीं लग सका कि घटना किन परिस्थितियों में हुई. माना जा रहा है कि खुद शरीफ के दोस्तों ने इस घटना को अंजाम दिया ताकि पाकिस्तानी सेना में शीर्ष स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर पड़ताल को रोका जा सके.

आधिकारिक तौर पर कुछ आवाजें इन आरोपों का समर्थन कर रही हैं. पाकिस्तान की विशिष्ट आई स्ट्राइक कोर के पूर्व कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल तारिक खान ने लिखा है कि ‘भाड़े के एक अज्ञात बदमाश’ ने शरीफ की हत्या को अंजाम दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि हत्यारे ने ‘उन कथित देशभक्तों के इशारे पर हत्या की है, जिन्हें किसी को मार डालना मंजूर है, पर अपनी कलई खुलना नहीं.’

22 साल बाद, ड्रग माफिया और पाकिस्तानी पत्रकार की हत्या की कड़ी एक ही तार से जुड़ी नजर आ रही है. यह कहानी काफी दिलचस्प है कि इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की बागडोर संभालने वाले सैन्य अधिकारियों ने कैसे वैश्विक जिहादियों को वित्त पोषित करने और खुद भी मालामाल होने के लिए अफगानिस्तान और पाकिस्तान के ड्रग्स गिरोहों के साथ मिलकर काम किया.

ISI का हेरोइन साम्राज्य

मैगनम अफ्रीका लिमिटेड भले ही चावल के साधारण कारोबार में सक्रिय थी, लेकिन कंपनी अपने डेटा की सुरक्षा किसी ऑफशोर बैंक की तरह करती थी. उसके रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड में सिर्फ एक पोस्ट ऑफिस बॉक्स नंबर था, जबकि निदेशकों की राष्ट्रीयता संबंधी कॉलम खाली पड़ा था. कंपनी के मालिक अनवर मुहम्मद के पास एक पाकिस्तानी पासपोर्ट था, लेकिन यह न तो उसका असली नाम था, न ही सही राष्ट्रीयता. मैगनम अफ्रीका का असली मालिक मुनाफ हलारी था, जो 1993 के मुंबई बम धमाकों में इस्तेमाल तीन वाहनों को उपलब्ध कराने के मामले वांछित है. इन हमलों में 257 लोगों की मौत हो गई थी.

गुजरात पुलिस का आरोप है कि धमाकों के बाद हलारी केन्या जाकर बस गया था, अंडरवर्ल्ड सरगना इब्राहिम ‘टाइगर’ मेनन ने पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से उसके लिए पासपोर्ट का बंदोबस्त किया था. केन्या में हलारी ने चावल का कारोबार शुरू किया, जिसकी आड़ में वह पाकिस्तान से हेरोइन मंगवाता था. और यह हेरोइन यूरोपीय बाजारों में भेजी जाती थी.

1979 में अफगानिस्तान में जिहाद की शुरुआत के बाद से ही आईएसआई मुजाहिद्दीन संगठनों को हेरोइन बेचकर धन कमाने के लिए प्रेरित करती थी. बड़े जमींदार और ड्रग्स तस्कर गिरोह कराची बंदरगाह तक अफीम की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने में मुजाहिद्दीनों की पूरी मदद करते. विशेषज्ञ ग्रेचेन पीटर्स के मुताबिक, मुजाहिद्दीन कमांडर, मुल्ला नसीम अखुंदजादा उन किसानों को नसबंदी करने की धमकी देता था, जो अफीम की फसल उगाने से इनकार करते थे. नतीजा यह हुआ कि अफीम की खेती जमकर फलने-फूलने लगी.

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की ओर से प्रकाशित एक अध्ययन में विशेषज्ञ डेविड विंस्टन ने कहा कि पाकिस्तानी सैन्य शासक मुहम्मद जिया-उल-हक की हुकूमत ‘बड़े पैमाने पर हेरोइन के कारोबार में शामिल थी.’ विंस्टन के मुताबिक, जनरल जिया ने ‘हेरोइन तस्करों को सरकारी संरक्षण देने वाली पूरी व्यवस्था ही बना दी थी, उनके शासनकाल में सरकारी अधिकारियों ने हेरोइन व्यापार से मुनाफा कमाया और सरकार में हेरोइन सिंडिकेट के सियासी प्रभाव में इजाफा हुआ.’ जनरल जिया की हत्या के बाद आईएसआई ने कश्मीर में अपनी गतिविधियों के वित्त पोषण के लिए हेरोइन के कारोबार से अर्जित रकम का इस्तेमाल करना जारी रखा.

पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बाद में आरोप लगाया कि सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मिर्जा असलम बेग और आईएसआई महानिदेशक असद दुर्रानी ने ‘गुप्त सैन्य अभियानों के संचालन के लिए धन की सख्त जरूरत का हवाला देते हुए’ बड़े पैमाने पर ड्रग्स सौदों को अधिकृत कराने के वास्ते उनसे संपर्क किया था.

अमेरिका ने आईएसआई के ड्रग्स कारोबार को नजरअंदाज कर अफगानिस्तान में अपना ध्यान तत्कालीन सोवियत संघ को पराजित करने पर केंद्रित किया. सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के अफगानिस्तान अभियान के निदेशक, चार्ल्स कोगन ने बाद में पत्रकार लॉरेटा नेपोलियोनी से कहा था कि अमेरिका ने शीत युद्ध में जीत के लिए ड्रग्स के खिलाफ अपनी लड़ाई को ताक पर रख दिया.


यह भी पढ़ें: पाकिस्तानियों को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की जरूरत है: इमरान खान ने मार्च के छठे दिन कहा


अफीम के कारोबारी

दो किलोग्राम हेरोइन से भरा सूटकेस लेकर एक लंबा-सा नौजवान ट्रांजिट उड़ान के जरिये फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट में दाखिल हुआ. एक आजाद खयाल अमेरिकी सोशलाइट और एक पाकिस्तानी ब्रॉडकास्टर के बेटे डेविड कोलमैन हेडली—जिसकी एक आंख नीली और दूसरी भूरी थी, और जो उसकी मिश्रित नस्ल का सबूत भी थी—को उम्मीद थी कि पाकिस्तान से अमेरिका तक ड्रग्स की ढुलाई से उसकी तमाम वित्तीय समस्याओं का समाधान हो जाएगा. हालांकि, वह मादक पदार्थ नियामक एजेंसी (डीईए) के हाथों पकड़ा गया, जिसने 1988 में उसे चार साल कैद की सजा सुनाई.

1997 में डीईए ने हेडली को एक बार फिर गिरफ्तार किया लेकिन इस बार उसे तभी रिहा किया गया, जब उसने एक मुखबिर बनने की हामी भरी. यह हामी उसे पाकिस्तान के जिहादियों और 26/11 के मुंबई हमलों की अंधेरी दुनिया में ले गई.

अफीम कारोबारियों की एक नई पीढ़ी तैयार होने लगी थी. हेडली लगभग उसी समय अपना कारोबार फैलाने में जुटा था, जब 1993 के मुंबई धमाकों के बाद भारत छोड़कर भागने वाले दाऊद इब्राहिम का प्रमुख सिपरसालार हलारी इस दिशा में सक्रिय था.

सिमोन हेसम के मुताबिक, कराची के साथ कारोबारी और रोटी-बेटी का रिश्ता रखने वाले और अक्सर सोने या इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की तस्करी में लिप्त रहने वाले जातीय एशियाई इस कारोबार के विस्तार की रीढ़ बने. पूर्वी अफ्रीका तट पर ड्रग्स कारोबार के छोटे-छोटे साम्राज्य पनपने लगे. इनमें केन्या में अकासा और ताहिर शेख सईद परिवार, तंजानिया में अली खतीब हाजी हसन और मोजाम्बिक में गुलाम रसूल मोती और मोम्मद रसूल प्रमुख थे.

अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत आने के बाद हेरोइन की पैदावार में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला. शुरुआती दौर में यूरोप में तस्करी का मार्ग उत्तर में ईरान से होते हुए पूर्वी तुर्की और मध्य एशिया से गुजरते हुए रूस तक जाता था. दाऊद गिरोह ने पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ के मुखर समर्थक मीर याकूब बिजेंजो जैसे तस्करों की सेवाएं लेकर दक्षिण में हिंद महासागर के रास्ते तस्करी शुरू कर दी. बिजेंजो को दुनिया के शीर्ष चार ड्रग्स गिरोहों में से एक का मुखिया माना जाता है.

अमेरिका के बढ़ते दबाव के बीच पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो समय-समय पर मोहम्मद अनवर खट्टक और मिर्जा इकबाल बेग जैसे कुख्यात तस्करों को प्रत्यर्पित कर अमेरिका का भरोसा जीतने की कोशिश करती रहीं.

हालांकि, इस्लामाबाद नशीले पदार्थों के कारोबार में डूबता चला गया. भुट्टो द्वारा कबायली मामलों के मंत्री बनाए गए वारिस खान अफरीदी को बाद में हेरोइन की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. कभी नवाज शरीफ की इस्लामी जम्हूरी इत्तेहाद के कद्दावर नेताओं में शुमार हाजी अयूब अफरीदी ने भी नशीले पदार्थों के नेटवर्क को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई.

आईएसआई से संरक्षण की गारंटी ने ड्रग्स गिरोहों के फलने-फूलने में मदद की. पिछले साल कुछ तकनीकी कारणों से अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने से बाल-बाल बचने वाले कराची के कारोबारी जबीर ‘मोतीवाला’ सिद्दीक के बारे में माना जाता है कि उसने ड्रग्स कारोबार से अर्जित धन का निवेश कराची स्टॉक एक्सजेंच में किया है और साथ ही दुबई व पूर्वी अफ्रीका में इसी से संपत्तियां खरीदीं और व्यवसाय भी खड़ा किया. भारतीय खुफिया अधिकारियों के मुताबिक, ड्रग्स कारोबार से अर्जित रकम का एक बड़ा हिस्सा वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को भी मुहैया कराया गया था. यही वजह है कि पाकिस्तान सरकार ने सादिक की रिहाई के लिए कहीं ज्यादा गंभीरता से लॉबिंग की.

पत्रकार गुलाम हसनैन ने 2001 में लिखा था कि दाऊद ने कराची में आलीशान जिंदगी जीने के लिए इस संरक्षण का फायदा उठाया है. उन्होंने बताया था कि अंडरवर्ल्ड डॉन की शामें काफी रंगीन बीतती हैं, जिसमें शराब, मुजरा और जुआ शामिल होता है. हसनैन के मुताबिक, ‘दाऊद और उसके साथी रातभर मस्ती करने के बाद भोर में ही बाहर आते और फिर सामूहिक रूप से नमाज अदा करते थे.’

एक के बाद एक हत्याएं

ब्लड स्ट्रीट पर एक के बाद एक कई हत्याएं हुईं. पहला निशाना बना मिस्र में जन्मा गिरोह का एक सदस्य मगदी यूसुफ, जिसके साथ इब्राहिम अकासा ने कॉफी पीने और लंबे समय से अटके 25 लाख डॉलर के भुगतान पर चर्चा करने की योजना बनाई थी. 2004 में मगदी के भाई मुनीर की हत्या कर दी गई डच तस्कर सैम क्लेपर और उसके सहयोगी जॉन फ्लेमर को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. क्लेपर पर मगदी बंधुओं का बकाया था. अकासा के दूसरे बेटे कमालदीन भी भुगतान को लेकर एक परिवारिक विवाद में मारा गया.

इब्राहिम अकासा की हत्या के 15 साल बाद विशेष बलों की एक क्रैक टीम ने मोम्बासा के बाहर ताड़ के पेड़ों से घिरी उसकी हवेली को घेर लिया. अमेरिका की अगुआई में इस स्टिंग ऑपरेशन के दौरान अकासा के बेटों बक्ताश और इब्राहिम के साथ-साथ उसके भारतीय सहयोगी विजयगिरी गोस्वामी की भी गिरफ्तारी संभव हो सकी. इसके बाद दोनों भाई ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के आरोप में अगले दो दशक जेल में बिताने वाले थे.

हालांकि, हत्याओं और गिरफ्तारियों के इस दौर का हेरोइन कारोबार पर कोई खास असर नहीं पड़ा. संयुक्त राष्ट्र ने इसी महीने चेताया कि तालिबान हुकूमत में अफगानिस्तान में अफीम का उत्पादन बढ़ा है. हिंद प्रशांत क्षेत्र में जब्ती के मामलों में भी वृद्धि दर्ज की गई है.

पुलिस सूत्रों का कहना है कि कराची में दाऊद गिरोह अपने आका की मौत के बाद सुव्यवस्थित उत्तराधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है, जिसका नियंत्रण संयुक्त रूप से उसके बेटे मोईन और भाइयों अनीस व मुस्तकीम के साथ-साथ आईएसआई के हाथों में होगा.

अरशद शरीफ की हत्या इस बात का एक और प्रमाण है कि आईएसआई अपने गहरे काले राजों को छिपाने के लिए किस हद तक जा सकती है. ड्रग्स माफिया बिजेंजो पर खबरें प्रकाशित करने वाले जातीय बलूच पत्रकार साजिद हुसैन संदिग्ध परिस्थितियों में मृत मिले थे. आईएसआई के सबसे मुखर आलोचकों में से एक, पत्रकार वकास गोराया एक सरकार-प्रायोजित हमले में बाल-बाल बचे. स्कॉलर आयशा सिद्दीका और पत्रकार ताहा सिद्दीकी को भी जान से मारने की धमकियां मिली हैं.

अफीम की जहरीली गंध शायद खून के धब्बे छिपाने में सैन्य अधिकारियों की बहुत मदद करती है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में जिन्न जनरलों से ज्यादा ताकतवर साबित हुए हैं, जादुई लड़ाई का मैदान तैयार


share & View comments