scorecardresearch
Wednesday, 6 November, 2024
होममत-विमतक्या अपने 'सुपरमैन' हरभजन पर भरोसा ना करना धोनी को पड़ा भारी?

क्या अपने ‘सुपरमैन’ हरभजन पर भरोसा ना करना धोनी को पड़ा भारी?

शार्दुल ठाकुर ने जब क्रुनाल पांड्या को आउट किया तो कॉमेंट्री में लगातार इस बारे में चर्चा हो रही थी कि धोनी किस कदर अपने खिलाड़ियों पर भरोसा करते हैं.

Text Size:

आईपीएल 2019 का अंत सांसे रोक देने वाला था. फाइनल में मुंबई इंडियंस के खिलाफ आखिरी ओवर में चेन्नई सुपरकिंग्स को जीत के लिए 9 रन चाहिए थे. लड़ाई आखिरी गेंद पर 2 रन तक पहुंची. जहां लसिथ मलिंगा ने शार्दुल ठाकुर को आउट करके अपनी टीम को एक रन से जीत दिला दी. इस जीत के बाद जब कैमरे ने चेन्नई सुपरकिंग्स का ‘डगआउट’ दिखाया तो वहां एक खिलाड़ी के पैरों में ‘पैड’ बंधे हुए थे. उसके हाथ में ‘बैट’ था और हार के बाद चेहरे पर झुंझलाहट. उस मायूस खिलाड़ी ने बल्ले को झटका. उसके पास इस हार को स्वीकार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था. वो खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि हरभजन सिंह थे. मैच के तुंरत बाद इस बात पर सोशल मीडिया में चर्चा शुरू हो गई कि शेन वॉटसन के आउट होने के बाद क्या धोनी को बल्लेबाजी करने के लिए हरभजन सिंह को भेजना चाहिए था.

हरभजन सिंह शार्दुल ठाकुर के मुकाबले कहीं ज्यादा अनुभवी हैं. अपने लंबे करियर में उन्होंने कई ऐसे मैच खेले हैं जहां खिलाड़ियों की सांसे रुकी रहती हैं. उनके खाते में ऐसे मैच भी हैं जहां उन्होंने आखिरी ओवर में अपने बल्ले से जीत दिलाई है. और तो और धोनी इसी हरभजन सिंह को अपना ‘सुपरमैन’ मानते हैं. धोनी और भज्जी आईपीएल के अगले सीजन में मैदान में दिखाई देंगे ये बात अभी कोई दावे से नहीं कह सकता है. धोनी 38 साल के होने वाले हैं और भज्जी 39 के.

क्या है भज्जी को सुपरमैन मानने की कहानी

भारतीय टीम श्रीलंका के दौरे पर थी. एशिया कप खेला जा रहा था. धोनी टीम के कप्तान हुआ करते थे. पाकिस्तान के खिलाफ रोमांचक मुकाबले में आखिरी ओवर में भारतीय टीम को जीत के लिए 7 रन चाहिए थे. ये लक्ष्य वैसे तो मुश्किल नहीं था लेकिन सुरेश रैना के आउट होते ही कहानी उलटी होती दिखने लगी. क्योंकि गेंदबाजी मोहम्मद आमिर कर रहे थे और बल्लेबाजी प्रवीण कुमार और भज्जी कर रहे थे. आखिरी दो गेंद पर तीन रन चाहिए थे. भज्जी ने ओवर की पांचवी गेंद पर शानदार छक्का लगाया और टीम को जीत दिला दी.

इस जीत के बाद धोनी से प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा गया कि क्या भज्जी टीम इंडिया के सुपरमैन हैं. धोनी ने कहा- बिल्कुल. ये पहला मौका नहीं था जब भज्जी ने बल्ले से कमाल किया हो. टेस्ट और वनडे क्रिकेट को मिलाकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भज्जी के खाते में करीब साढ़े तीन हजार रन हैं. वो दो टेस्ट शतक लगा चुके हैं. इससे उलट शार्दुल ठाकुर को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अभी एक साल का तजुर्बा है. ऐसा भी नहीं कि उनकी पहचान बड़े हिट खेलने वाले खिलाड़ी के तौर पर होती है. लेकिन धोनी ने उन्हें मौका दिया जो दांव भारी पड़ा.

शार्दुल ठाकुर को भेजने की वजह भी जान लीजिए

चेन्नई की टीम जब गेंदबाजी कर रही थी तब कॉमेंट्री सुनिए. शार्दुल ठाकुर ने जब क्रुनाल पांड्या को आउट किया तो कॉमेंट्री में लगातार इस बारे में चर्चा हो रही थी कि धोनी किस कदर अपने खिलाड़ियों पर भरोसा करते हैं. इस बात के पक्ष में दो उदाहरण फाइनल मैच से ही रखे गए. तीसरे ओवर में क्विंटन डीकॉक ने दीपक चाहर के एक ही ओवर में तीन छक्के लगाए लेकिन धोनी ने छठा ओवर फिर उन्हीं को दिया. दीपक चाहर ने रोहित शर्मा को पवेलियन भेजा. इतना ही नहीं उन्होंने पूरे मैच के अपने 4 ओवर के कोटे में 26 रन देकर 3 विकेट लिए. इसमें एक मेडन ओवर भी शामिल था. कुछ ऐसा ही शार्दुल ठाकुर के साथ भी हुआ. उन्होंने भी जब दोबारा गेंद थामी तो क्रुनाल पांड्या का शानदार विकेट लिया. इससे पहले वो क्विंटन डीकॉक को भी आउट कर चुके थे.

कॉमेंट्री में लगातार इसी बात पर चर्चा होती रही कि धोनी अपने खिलाड़ियों को हमेशा आत्मविश्वास देते हैं. धोनी ने जब शार्दुल ठाकुर को बल्लेबाजी के लिए भेजा तो उनके दिमाग में यही बात रही होगी कि शार्दुल ठाकुर गेंदबाजी के बाद ‘पॉजिटिव’ हैं और 2 गेंद पर 4 रन बना लेंगे. धोनी शायद दो बातें भूल गए. पहली कि हरभजन सिंह ने फाइनल में विकेट भले ही ना लिए हों लेकिन उनकी किफायती गेंदबाजी की तारीफ हर कोई कर रहा था. दूसरी कि हरभजन सिंह सिर्फ ‘पॉजिटिव’ खिलाड़ी नहीं बल्कि एक ‘फाइटर’ भी हैं. धोनी के शब्दों में ‘सुपरमैन’.

(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं. यह लेख उनका निजी विचार है.)

share & View comments