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Friday, 18 October, 2024
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अगर आप विश्वास करें तो लॉरेंस बिश्नोई वह कर रहा है जो दाऊद इब्राहिम भी नहीं कर पाया

जब सलमान पर काले हिरण को मारने का आरोप लगा तो बिश्नोई पांच साल का था. तो या तो यह बचपन का एक ऐसा अनुभव था जिसने उसे अपराध की दुनिया में धकेल दिया या फिर यह कहानी झूठी है.

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हमारे देश की राजनीति में यह एक अजीब दौर है जब एक गैंगस्टर कुछ ही दिनों के अंतराल में दो अलग-अलग फ्रंट पेज की खबरों की सुर्खियों में है. 1990 के दशक के बाद से जब दाऊद इब्राहिम सुर्खियों में आया था, तब से किसी भी गैंगस्टर को इस स्तर की प्रसिद्धि नहीं मिली है.

लेकिन लॉरेंस बिश्नोई सार्वजनिक प्रसिद्धि और बदनामी में इब्राहिम के बराबर या उससे भी आगे निकलने के लिए तैयार है. सरकार का कहना है कि मुंबई में राजनीति, रियल एस्टेट और फिल्मों की एक प्रमुख हस्ती बाबा सिद्दीकी की हत्या के पीछे बिश्नोई का हाथ था. सिद्दीकी ने हाल ही में कांग्रेस छोड़ दी थी, जहां वे दशकों से पार्टी के प्रमुख चेहरों में शामिल थे, और महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हो गए थे. (वे सत्तारूढ़ गठबंधन के एक घटक एनसीपी के अजित पवार गुट के सदस्य थे.)

ज़ाहिर है, सिद्दीकी को जान से मारने की धमकियां मिली थीं, जिसके परिणामस्वरूप सरकार ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की. शुरुआती रिपोर्टों से पता चलता है कि उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी, जो काफी असरदार लगता है. लेकिन पुलिस अब पत्रकारों को बता रही है कि सिद्दीकी की सुरक्षा में वास्तव में मुंबई पुलिस के तीन कांस्टेबल शामिल थे, जो बारी-बारी से उनके साथ थे.

सिद्दीकी के हत्यारे, या कम से कम हत्या के लिए पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए लोग या कहें बिल्कुल युवा प्रतीत होते हैं जिन्हों पूछताछ के दौरान बताया कि उन्होंने बंदूक चलाना YouTube से सीखा. निश्चित रूप से, जिस तरह से उन्होंने सिद्दीकी को मारा, उसे देखकर बिल्कुल नहीं लगता कि वे इस काम में एक्सपर्ट थे. उन्होंने सिद्दीकी को सड़क पर तब गोली मारी, जब वह अपनी कार में बैठ रहे थे. हत्या के समय जिस अकेले पुलिस कांस्टेबल की शिफ्ट थी, उसकी आँखों में मिर्च पाउडर झोंक दिया गया जिससे वह कुछ कर पाने लायक नहीं रहा.

हत्या के कुछ ही घंटों के भीतर पुलिस कह रही थी कि हत्या का आदेश लॉरेंस बिश्नोई ने दिया था और जल्द ही उन्होंने खुलासा किया कि जिन लोगों को उन्होंने गिरफ्तार किया था, उन्होंने बिश्नोई को अपना बॉस बताया था. बाद में, बिश्नोई का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया, जिसमें दावा किया गया कि हत्या के पीछे बिश्नोई गिरोह का हाथ है.

सामान्य परिस्थितियों में, जब हत्यारे अपने बॉस के बारे में खुलासा करते हैं, तो एक बड़ा अभियान शुरू किया जाता है और पुलिस डॉन की तलाश में पूरे देश में छानबीन करती है. लेकिन इस मामले में ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं थी. बिश्नोई न केवल गुजरात की जेल में आराम से बंद है, जहां ज़ाहिर तौर पर अन्य पुलिस बल उससे केवल विशेष अनुमति के साथ ही पूछताछ कर सकते हैं, बल्कि वह 2014 से जेल में है, जिस साल केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता में आई थी.

एक अंतर्राष्ट्रीय गिरोह

भारत और कनाडा के बीच बढ़ती दरार का मुख्य कारण बिश्नोई भी हैं. कुछ दिन पहले, इस लड़ाई ने एक नया आयाम तब ले लिया जब दोनों देशों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए और वरिष्ठ राजनयिक अपने पद छोड़कर स्वदेश लौट गए. यह झगड़ा 2023 में कनाडा में सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़ा है.

पहले तो इस हत्या को गैंगवार का हिस्सा माना गया, लेकिन बाद में कनाडा के लोगों ने दावा किया कि हत्यारों को भारत की जासूसी एजेंसियों ने निज्जर की हत्या के लिए भेजा था. उनका दावा है कि हत्या की सुपारी लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को दी गई थी.

निज्जर हत्याकांड पर आपके जो भी विचार हों, इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस घटना का कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बेशर्मी से फायदा उठाया है, ताकि वे कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों का समर्थन जीत सकें, जिनके चुनावी समर्थन पर वे निर्भर हैं. भारत ने अक्सर कनाडा से खालिस्तानियों को दी जाने वाली सुरक्षित पनाहगाह, भारतीय राजनयिकों को दी जाने वाली धमकियों और पंजाब में नफरत का संदेश वापस भेजने के खालिस्तानियों के प्रयासों के बारे में शिकायत की है.

इसलिए, कनाडा की कहानी को सच नहीं माना जाना चाहिए. लेकिन यह अजीब है कि इस हत्या में बिश्नोई का नाम फिर से सामने आया है. और उम्मीद है कि कनाडा के लोग जल्द ही इसके गवाह बनेंगे.

यह सब जितना अजीब है, उससे कहीं ज़्यादा अजीब यह है कि बिश्नोई भारतीय जेल में बैठकर दाऊद इब्राहिम का 21वीं सदी का प्रतिरूप बनने में कामयाब रहा है. 2014 में जब उसे जेल भेजा गया था, तब बिश्नोई 22 साल का था. अगर भारत सरकार का संस्करण सही है, तो वह 32 साल की उम्र में ही अंतर्राष्ट्रीय गैंगस्टर बन गया, जबकि वह पूरे समय जेल में रहा. अधिकारियों का कहना है कि उसने 700 शूटर्स का एक नेटवर्क बनाया और जेल की कोठरी में रहते हुए ही दुनिया भर में अपने गिरोह के आउटपोस्ट बनाए हैं.

आम धारणा यह है कि बिश्नोई का सलमान खान से झगड़ा है, क्योंकि एक बार उन पर काले हिरण को मारने का आरोप लगा था. बिश्नोई समुदाय के लिए हिरण पवित्र है.

जब कई महीने पहले सलमान खान की हत्या की कोशिश की गई थी, तब इसके पीछे बिश्नोई का हाथ बताया गया था. जब सिद्दीकी की हत्या हुई, तब भी एक बार फिर कहा गया कि बिश्नोई ने काले हिरण की हत्या का बदला लिया है, क्योंकि सिद्दीकी और सलमान दोस्त थे.

जब सलमान पर काले हिरण की हत्या का आरोप लगा, तब बिश्नोई पांच साल के थे. तो या तो यह बचपन का एक ऐसा अनुभव था, जिसने उन्हें अपराध की दुनिया में धकेल दिया या फिर यह कहानी झूठ है.

हर अपराध के लिए जिम्मेदार

बिश्नोई इतने सारे हाई-प्रोफाइल हत्या मामलों के केंद्र में क्यों है? और वह भारत सरकार की निगरानी में एक अपराधी कैसे बन गया, जो उसे हिरासत में रखती है?

सरकार का कहना है कि बिश्नोई के पास जेल में मोबाइल फोन की सुविधा है, वह दुनिया भर में वीडियो कॉल करता है (उसने एक वीडियो इंटरव्यू भी दिया) और सब कुछ टेलीफोन के जरिए चलाता है. यह संभव है, लेकिन बॉलीवुड की गैंगस्टर मूवीज़ की दुनिया से बाहर, पूरी तरह से संभव नहीं है.

दो अन्य सिद्धांत पेश किए गए हैं. पहला यह है कि उसने जेल में अधिकारियों के साथ घनिष्ठता बना ली है और हर एक क्राइम की ज़िम्मेदारी अपने सर पर लेने के लिए सहमत हो गया है. जब भी कोई हत्या या कोई हाई-प्रोफाइल अपराध होता है, तो पुलिस बिश्नोई पर इसका आरोप लगाती है. वे कहते हैं कि वे उससे पूछताछ करने में असमर्थ हैं, लेकिन वह मुख्य संदिग्ध बना हुआ है. यह पुलिस के लिए भी सुविधाजनक है क्योंकि जो अपराध वैसे अनसुलझे माने जाते थे, वे अब बिश्नोई के माथे मढ़ दिए जाते हैं. बिश्नोई के अधिकारियों के साथ इतने घनिष्ठ संबंध हैं कि उन्हें इन आरोपों से इनकार करने का कोई कारण नहीं दिखता. वास्तव में, वह बदनामी का स्वागत भी कर सकते हैं.

दूसरा सिद्धांत यह है कि सरकार ने बिश्नोई को अपने साथ मिला लिया है. यह सुनने में जितना अजीब लगता है, उतना नहीं है. पूरे इतिहास में, जासूसी एजेंसियों ने अपराधियों का इस्तेमाल किया है. रूस के FSB के देश के माफिया से गहरे संबंध हैं. कांग्रेस के समक्ष गवाही से पता चलता है कि CIA ने क्यूबा के मामलों में हस्तक्षेप करने और फिदेल कास्त्रो को मारने की कोशिश करने के लिए माफिया का इस्तेमाल किया.

यहां तक ​​कि भारत में भी यह बात स्पष्ट है कि जब दाऊद इब्राहिम को गिराने की कोशिशें अपने चरम पर थीं, तब एजेंसियां ​​उसके विरोधी गैंगस्टरों के साथ निकट संपर्क में थीं.

इसलिए भले ही कनाडाई यह कहते हुए झूठ बोल रहे हों कि भारतीय एजेंसियों ने बिश्नोई के माध्यम से निज्जर की हत्या का आदेश दिया था, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उनका यह कहना गलत है कि बिश्नोई का भारतीय एजेंसियों के साथ संबंध है.

और फिर सोशल मीडिया पर सरकार समर्थक अकाउंट से बिश्नोई की प्रशंसा या महिमामंडन करने वाले पोस्टों की अचानक बढ़ोत्तरी का मामला है. जेल से एक साक्षात्कार में बिश्नोई ने दावा किया कि वह एक राष्ट्रवादी है जो पाकिस्तान और खालिस्तानियों से नफरत करता है. यह एक ऐसा रुख है जो उसके पक्ष में लिखे गए कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में भी दिखता है.

यह अजीब बात है कि, जबकि सरकार का आधिकारिक रुख यह है कि बिश्नोई जनता का दुश्मन नंबर एक हैं, सोशल मीडिया पर सरकार का समर्थन करने वाले कुछ लोग मानते हैं कि वह एक नायक हैं.

मुझे नहीं पता कि हम कभी यह तय कर पाएंगे कि बिश्नोई किसकी तरफ है. लेकिन एक बात तो साफ है. अगर सरकार सच बोल रही है और वह बिना किसी सरकारी संरक्षण वाला एक सामान्य कैदी जैसा है, तो बिश्नोई इस सदी या किसी भी दूसरी सदी का सबसे बड़ा अपराधी है. वह 32 साल की उम्र में जेल की कोठरी के अंदर से ही एक अंतर्राष्ट्रीय गिरोह की भर्ती करने में सक्षम हो गया है और सरकार की हिरासत में रहते हुए पूरी दुनिया में हत्याओं का आयोजन करता है.

यहां तक ​​कि दाऊद इब्राहिम भी ऐसा कभी नहीं कर पाया.

(वीर सांघवी एक प्रिंट व टेलीविजन पत्रकार और टॉक शो होस्ट हैं. उनका एक्स हैंडल @virsanghvi है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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