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Friday, 22 November, 2024
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भांग के गढ़ भारत में गांजे को वैध करने का आ गया है समय : शशि थरूर

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विनियमन भांग के खरीददारों को यह जानने की अनुमति देता है कि वे क्या उपभोग कर रहे हैं और यह इसे संयमित रूप ग्रहण करने का बोध भी देता है, ठीक वैसे ही जैसे एक शराबी व्हिस्की और बियर के बीच भेद कर सकता है व चयन कर सकता है।

मैंने कभी भी मनोविनोदी ड्रग्स का सेवन करने की कोशिश नहीं की है। यहाँ तक कि 1970 के दशक की शुरुआत में अपने कॉलेज के दिनों के दौरान भी नहीं, जहाँ कई लोगों ने मजाक उड़ाया कि वे अपने कॉलेज के नाम के अनुरूप आचरणबद्ध थे यानि कि सेंट स्टीफेन के अनुरूप, जो एक संत थे और इस ड्रग के अत्यधिक सेवन के कारण उनकी मृत्यु हो गयी थी। मैंने कभी भी भांग का स्वाद नहीं चखा है, यहाँ तक कि होली में भी नहीं।

और फिर भी मैं आश्वस्त हूँ कि भारत में भांग के उत्पादन, आपूर्ति और उपयोग को कानूनी रूप से विनियमित करने से ड्रग के इस्तेमाल के संभावित नुकसान कम हो जायेंगे, भ्रष्टाचार और अपराध में कमी आयेगी और हमारे देश की आर्थिक स्थिति को बढ़ावा मिलेगा। मेरा भतीजा अविनाश, जो ड्रग नीति के मुद्दे पर काम करता रहा है, ने मुझे इसका कारण बताया कि ऐसा क्यों होगा।

नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंसेस एक्ट की शुरूआत के साथ, भांग को भारतीय कानून में 1985 में पहली बार प्रतिबंधित किया गया था। हालाँकि, देश में यह ड्रग दो दशक से अधिक समय से अवैध था क्योंकि हमारी सरकार ने 1961 में नारकोटिक ड्रग्स संधि पर संयुक्त राष्ट्र के एकल संधिपत्र पर हस्ताक्षर किए थे। अंतर्राष्ट्रीय कानून का यह खंड अपने भावनात्मक शब्दों के कारण विशिष्ट है; अधिकांश संधियों, जो अपने लक्ष्यों की पहचान करने के लिए सटीक और वस्तुनिष्ठ शब्दावली का उपयोग करती हैं, के विपरीत एकल संधिपत्र नशे की लत को संदर्भित करता है कि “यह किसी व्यक्ति के लिए एक गंभीर बुराई है जो मानवजाति के लिए सामाजिक और आर्थिक खतरे से भरी हुई है”।

शराब, तम्बाकू या यहाँ तक की बहुत सारे ड्रग, जिन्हें आप अपनी दवाई की पेटी में भी पा सकते हैं, की तुलना में बहुत कम नुकसान वाले एक ड्रग के कारोबार को रोकने के लिए पूरे विश्व में काले बाज़ार के अनावश्यक उत्पात को थोपते हुए इस अतिशयोक्तिपूर्ण वाक्यांश ने उस आधार का निर्माण किया जिस पर अंतर्राष्ट्रीय भांग निषेध नियम बनाया गया।

इससे पहले कि हम आगे बढ़ें, यह ध्यान रखना जरूरी है कि भांग किसी भी तरह से हानिरहित नहीं है। जबकि इसका उपयोग करने वाले बहुत से लोग गंभीर नुकसान का अनुभव नहीं करते हैं लेकिन शोध से पता चलता है कि यह कुछ लोगों के लिए विशेष मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को अचानक से बढ़ा सकता है। जो लोग किशोरावस्था या युवावस्था के दौरान इसका इस्तेमाल करते हैं, बाद में उनके जीवन में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के विकसित होने की अधिक सम्भावना हो सकती है। कुछ मामलों में यह लोगों को उल्टी, सुस्ती, भुलक्कड़पन, चिंतित या भ्रमित भी महसूस करा सकता है।

भांग के संभावित जोखिम बताते हैं कि इस ड्रग को कानूनी रूप से विनियमित करना हमारा कर्तव्य क्यों है। एक अनियमित आपराधिक बाजार के हाथों में भांग के व्यापार को छोड़ने की बजाय इस ड्रग को सुयोग्य किसानों द्वारा सुरक्षित रूप से उत्पादित किया जाना चाहिए, उचित सुविधाओं में परीक्षण किया जाना चाहिए और पैक किया जाना चाहिए तथा प्रतिष्ठित एवं लाइसेंस प्राप्त विक्रेताओं द्वारा बेचा जाना चाहिए।

वर्तमान में कई खरीददार अपने आप को अवर्णित चरस के एक तोले (भार की इकाई) की तरफ घूरते हुए पाते हैं, जिसके बारे में उनके सप्लायर उन्हें आश्वस्त कर सकते हैं कि यह उच्च गुणवत्ता का है और मनाली से ताजा-ताजा लेकर आया गया है। खरीददार को इसकी टीएचसी स्ट्रेंथ, भांग का मुख्य साइकोएक्टिव घटक जो नशे के शिखर पर ले जाता है, का कोई ज्ञान नहीं होता है और वह खरीददारी पर कोई कर शुल्क नहीं देता है। विनियमन भांग के खरीददारों को यह जानने की अनुमति देता है कि वे क्या सेवन कर रहे हैं और यह इसे संयमित रूप से ग्रहण करने का बोध भी देता है, ठीक वैसे ही जैसे एक शराबी व्हिस्की और बियर के बीच भेद कर सकता है व चयन कर सकता है। भांग की बिक्री पर कर लगाने से राजस्व पैदा हो सकता है जिसे लोगों को भांग के सेवन के जोखिमों के बारे में शिक्षित करने पर खर्च किया जा सकता है जैसा कि हम शराब और तम्बाकू पर सार्वजानिक सेवा की जानकारी के साथ करते हैं।

जो लोग भांग का सुरक्षित सेवन करना चाहते हैं, विनियमन उनके लिए न सिर्फ फायदेमंद है बल्कि यह समाज के लिए सुरक्षा भी बढ़ाता है क्योंकि यह आपराधिक बाजारों को कमजोर करने में मदद करता है। ड्रग की अवैधता के कारण वर्तमान में भांग की बिक्री एक व्यापक आपराधिक अंडरवर्ल्ड में विभिन्न शख्शियतों की जेबें भरती है, शायद उनमें से कुछ इससे कहीं अधिक घृणित अपराध करते हों।

इस दरमियान,भांग का व्यापार प्राधिकरण के भ्रष्टाचार पर निर्भर करता है, चाहे यह सड़क किनारे धूम्रपान करने वाला व्यक्ति हो जो अभियोजन से बचने के लिए स्थानीय अधिकारी को 100 रुपये देता है या यह तस्करी समूह हो जो रिश्वत और ब्लैकमेलिंग द्वारा राज्यों और कस्बों के जरिये कई किलो मात्रा के लिए सुरक्षित मार्ग बनाकर रखता है। भांग का विनियमन इन सभी समस्याओं को हल नहीं करेगा लेकिन इसके विस्तार को कम कर देगा।

पिछले 50 वर्षों से चल रही “वार ऑन ड्रग्स” की श्रृंखला अब ख़त्म हो चुकी है; जो दुनिया भर के हजारों गैर सरकारी संगठनों, राजनेताओं और वैज्ञानिकों द्वारा निकाला हुआ एक निष्कर्ष है जिसमें राष्ट्र के कई पूर्व प्रमुख, कोफ़ी अन्नान और नोबेल साहित्य विजेता मारियो वर्गास लोसा शामिल थे।

प्रतिबन्ध दुनिया भर में अवैध ड्रग बाजारों को दृढ़ करता है और संगठित अपराध के लिए अविश्वसनीय लाभ सुनिश्चित करता है। फिर भी उच्च कर राजस्व के लिए कुछ विशेष ड्रग्स की बिक्री के वैधीकरण की अनुमति दी जा सकती है फिर उस राजस्व के साथ तम्बाकू और शराब जैसे वैध ड्रग्स की तरह ही जागरूकता और रोकथाम के कार्य को वित्त पोषित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, इस कदम से अवैध ड्रग व्यापार और इसके साथ पैदा होने वाली आपराधिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण रूप से कमी आएगी।

पुलिस प्रशासन के खर्चों और भांग से सम्बद्ध अपराधों के लिए कैद किये जाने वाले व्यक्तियों पर बचाए गये पैसे के साथ कानूनी विनियमन हमारी अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा, यानि कि एक पूरी तरह से वैध नए उद्योग का निर्माण। अमेरिका के कोलोराडो राज्य में भांग चार सालों से वैध है। वहां 2017 में $1.5 बिलियन से अधिक की बिक्री हुई थी (संयोग से, कोलोराडो की जनसंख्या भारत की 0.4 प्रतिशत है)। भारत खेतों से लेकर कारखानों तक हजारों नौकरियां पैदा करते हुए एशियाई भांग विनियमन में अगुवाई कर सकता है।

और इस प्रगतिशील छलांग के लिए भारत से बेहतर जगह और क्या है? भांग के पौधे, हालाँकि अब दुनिया भर में उगाये गए हैं, लेकिन इस उपमहाद्वीप के लिए स्वदेशी हैं। वास्तव में, पौधे की दो मुख्य प्रजातियों में से एक, कैनबिस इंडिका का नाम हमारे देश के नाम पर रखा गया है। प्राचीन भारतीय ऐतिहासिक और धार्मिक ग्रंथों में, ब्रिटिश आक्रमणकारियों और पुर्तगाली आगंतुकों के वर्णनों में भांग के पौधे को संदर्भित किया गया है और देश भर में हिन्दू रीति रिवाजों में बहुधा भांग के रूप में इसका इस्तेमाल जारी है।

एक तरफ हम एक संधिपत्र, जो अंतर्राष्ट्रीय ड्रग कानूनों की रीढ़ की हड्डी है जो भारत में भांग के प्रतिबन्ध के कारण अराजकता को प्रेरित करती है, का हिस्सा बने रह सकते हैं और दूसरी तरफ हम संधि में संशोधन किए बिना घरेलू रूप से ड्रग को कानूनन विनियमित करने में सक्षम हो सकते हैं। कनाडा (जहाँ कानूनी रूप से विनियमित भांग उद्योग इस वर्ष के अंत तक शुरू किया जायेगा) में कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में विनियमन की अनुमति है क्योंकि दस्तावेज एक अस्पष्ट परिभाषित उद्देश्य “चिकित्सा और वैज्ञानिक अनुसन्धान” के लिए ड्रग्स के इस्तेमाल और बिक्री की अनुमति देता है। कानूनी विनियमन के प्रभावों की अनुमति देते हुए और आंकलन करते हुए वे तर्क देते हैं कि यह अपने आप में “वैज्ञानिक अनुसन्धान” है।

जिस किसी भी देश ने भांग के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबन्ध को लागू करने का प्रयास किया है, असफल रहा है। नशीली दवाओं के सेवन को रोकने के बजाय भांग पर प्रतिबन्ध ने हिंसा और आपराधिकता को बढ़ावा दिया है, स्वास्थ्य क्षति में वृद्धि की है और समाज को इसकी हद से ज्यादा और अथाह कीमत चुकानी पड़ी है।

अब, जैसा कि कनाडा, उरुग्वे और कई अमेरिकी राज्य भांग के प्रतिबन्ध को ख़त्म कर रहे हैं और ड्रग को कानूनन विनियमित करने जा रहे हैं, भारत को इस पर गौर करना चाहिए। यह भारत के लिए स्वास्थ्य, व्यापार और व्यापक सामाजिक लाभों, जो भांग को कानूनन विनियमित करने से प्राप्त हो सकते हैं, को गले लगाने का सही समय है।

शशि थरूर तिरुवनंतपुरम से सांसद हैं। उनके भतीजे अविनाश थरूर यूके ड्रग्स चैरिटी रिलीज में नीति और संचार अधिकारी हैं।

Read in English : High time India, the land of bhang, legalises marijuana: Shashi Tharoor

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