जो ‘हैप्पी आवर्स’ की तरह शुरू हुआ, वह खुशगवार दिनों, हफ्तों और महीनों में बदल गया. खुशगवार अंत? अभी नहीं.
जैसे-जैसे खुशनुमा नवंबर करीब आ रहा है, पाकिस्तान कई बेहद जरूरी, बल्कि वजूद से जुड़े मुद्दों से मुकाबला कर रहा है. अगले फौज प्रमुख को लेकर अनिश्चितता, 78 वर्षीय पंजाब के मुख्यमंत्री परवेज इलाही का तथाकथित लंदन हनीमून, लंदन निर्वासित अल्ताफ हुसैन की माफियों के इस मौसम में माफी की गुहार, अमेरिकी साजिश के साइफर नोट की गुमशुदगी की कहानी, इमरान खान की गिरफ्तारी की आशंकाएं, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का पार्लियामेंट 12 लोगों को संबोधन, दुनिया के नेताओं के साथ दिली गुफ्तगू में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का अपने पूर्ववर्ती इमरान खान को ‘नार्सिसिस्ट’ कहना, जैसे मसले-मुद्दे हवा में हैं. फिर, पीएम दफ्तर की ऑडियो रिकॉर्डिंग लीक करने वाले ‘हैकर’ को क्यों भूल रहे हैं, जो और अभी बहुत खुलासे करने का दावा कर रहा है.
सर्दियों की आमद अभी भले न हुई हो, मगर सियासी हलचल का मौसम धूमधड़ाके के साथ आ चुका है और ठहरने वाला है.
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कुछ पुराना
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के घरों में बग डालने की बातें ऐसा राज है जिसे हर कोई राज ही बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. बतौर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सीआईए के निदेशक लियोन पैनेटा को बताया था कि हर सुबह जब वे अपने दफ्तर पहुंचते तो कहते थे, ‘हैलो अहमद.’ वे आईएसआई प्रमुख अहमद शुजा पाशा का जिक्र कर रहे थे, ‘अहमद वह सब कुछ जानता है जो मैं सोचता हूं और जो कहता हूं.’
हाल के दौर में इमरान खान ने आईएसआई की निगरानी के बारे में डींगें मारी और कहा कि यह उनकी अपनी सुरक्षा के लिए था. मगर अब उससे यू-टर्न ले लिया है कि उन्हें एहसास हुआ कि सुरक्षा मौत के आने तक नहीं थी. पुराने में भी कुछ नया है. जैसे बुशरा इमरान का लीक हुआ फोन कॉल, जिसमें वे एक सोशल मीडिया वाले को फरमान जारी करती हैं कि अगर वे उनके और उनकी छुटभैया फराह गोगी के खिलाफ बोलते हैं तो सबको गद्दारी से जोड़ देंगी. फराह गोगी को इमरान का क्राइम मास्टर भी कहा जाता है.
फिर पंजाब में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के वित्त मंत्रियों और खैबर पख्तूनख्वा के बीच लीक हुई फोन पर बातचीत भी है, जो आईएमएफ की डिमांड से इनकार करके बेलआउट सौदे को खत्म करने की योजना बना रहे थे.
ताजा घटनाक्रम प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अपने प्रधान सचिव के साथ बातचीत के ऑडियो लीक से शुरू हुआ, जिसमें वे मरियम नवाज शरीफ के अपने दामाद के लिए भारत से मशीनरी आयात करने की इजाजत देने की गुजारिश की चर्चा कर रहे हैं. उसके बाद प्रधानमंत्री की अपने कैबिनेट साथियों से पीटीआई सांसदों के इस्तीफे के बारे में गुफ्तगू का ऑडियो लीक हुआ. इससे हैरान होकर प्रधानमंत्री ने सुरक्षा चूक की जांच के आदेश दिए. उन्होंने गुस्से में कहा, ‘अब कौन करेगा पाकिस्तान के पीएम के साथ मूलाकात?’ इंतजार करें, जब तक वे यह नहीं पता कर लेते कि पसंदीदा बैठकें आमतौर पर पीएम दफ्तर में नहीं, बल्कि कहीं और होती हैं.
लीक की बरसात
जाहिर है, बेहद खुश इमरान खान अंदाजा लगा रहे थे कि ऑडियो लीक के जरिए से शरीफ परिवार से जुड़ा और न जाने क्या-क्या खुलने वाला है. लेकिन अफसोस! उनके इरादों पर जल्दी ही पानी पड़ गया और कैसे. अचानक ‘हैकर’ की योजनाएं बदल गईं. अब वक्त है ऐसे ऑडियो लीक के सिलसिले की, जो खान के प्रधानमंत्री दफ्तर में रहने की गुफ्तगू हैं.
तीन हिस्से में लीक ऑडियो, जिसे ‘साइफर की साजिशी कहानी’ कहा गया, में इमरान खान ऐसी रणनीति बनाते सुने जाते हैं कि सियासी हलचल पैदा करने वाले साइफर का बेहतर इस्तेमाल कैसे करें, जो उनके दावे के मुताबिक अमेरिका के उनकी सरकार गिराने की साजिश करने का सबूत है.
امریکی سازش کی اصل کہانی ۔۔۔۔ سائفر سے کھیلنا ۔ پارٹ تھری pic.twitter.com/SsVV3zBfWZ
— Saleem Safi (@SaleemKhanSafi) October 7, 2022
खान अपने प्रमुख सचिव से कहते हैं, ‘हमने बस खेलना है, नाम नहीं लेना.’ उसके बाद प्रमुख सचिव सलाह देते हैं कि एक फर्जी बैठक आयोजित करके साइफर की बातों को मिनट्स में डाल देते हैं. बातचीत में कई बार सचिव शेखी बघारते हैं कि वे अपी मर्जी से मिनट्स बना लेते हैं. मतलब कि सियासी एजेंडे के मुताबिक कुछ भी मिनट्स में डाल दो और अमेरिकी साजिश की कहानी गढ़ दो. इमरान खान की जासूसी लहजा हास्यास्पद लगता है, ‘हमने तो अमेरिका का नाम लेना है नहीं.’ काश! वे जेम्स बॉन्ड की अगली ऑडिशन पर ये लाइने बोल रहे होते. फिर वे शाह महमूद कुरैशी, असद उमर और शिरीन मजारी जैसों की अपनी किचन कैबिनेट से कहते हैं, ‘मैंने किसी की मुंह से ना सुना कि लेटर किस मुल्क से आया है.’
इस साइफर को ही अपनी भविष्य की सियासत की पूंजी बनाने के बाद इमरान खान उस दस्तावेज को खो बैठे और मौजूदा सरकार का कहना है कि वह पीएम दफ्तर में नहीं है. यह कम से कम तीन साल की जेल की सजा वाला संगीन जुर्म है. कल्पना करें कि करीब चार साल तक ऐसे देश में यह जोकर शो मजे से जारी था, जो अपने को एटमी ताकत होने पर फख्र करता है. कोई तो हमारे बमों की खोज-खबर करे, कहीं वे भी गयब तो नहीं. जैसे डोनाल्ड ट्रम्प ने गृह राज्य के दस्तावेज ले लिए और एफबीआई को छापा मारना पड़ा, कौन जाने कि इमरान खान ने पीएम दफ्तर से मिनरल वाटर की दो हजार से कुछ ज्यादा बोतलें उठा ली हों.
سوال : لیٹر ہے کہاں، وہ تو بنی گالہ پر چھاپہ مارنے کا کہہ رہے ہیں
عمران نیازی : ایک میرے پاس تھا، اور وہ غائب ہوگیا، کہیں ہوگیا، مجھے نہیں پتہ. لیکن ایک آرمی چیف اور صدر کے پاس ہے pic.twitter.com/GjoKKw7pcV
— 𝔍𝔞𝔳𝔢𝔡 ℑ𝔮𝔟𝔞𝔩 (@javedeqbalpk1) October 1, 2022
खान की एक गाइड बुक इस बारे में भी है कि कैसे लोगों को फर्जी खबरों की घुट्टी पिलाई जाए और कैसे पक्के विरोधियों को मीर जाफर और मीर सादिक बताया जाए. जैसा कि हम सुनते हैं, ‘जमीन अभी उपजाऊ है.’ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान, जब इमरान खान ने आसिफ जरदारी और नवाज शरीफ पर सांसदों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया, मगर अब ऑडियो लीक से पता चलता है कि महान नेता खुद पकौड़े नहीं बल्कि सांसदों को खरीदने में मशगूल थे. विरोधियों पर गलत करने का आरोप मढ़कर खुद गलत करना, यही क्लासिक इमरान खान हैं. आखिरकार, अविश्वास प्रस्ताव पर वोट जिहाद की तरह था, अच्छाई और बुराई के बीच की लड़ाई, जब तक इमरान खान वार झेलने की जद में थे.
मौजूदा प्रधानमंत्री लीक से साफ-साफ बच गए क्योंकि न कुछ गैर-कानूनी हुआ, न कोई वादा. मगर पूर्व प्रधानमंत्री ने तो खुद को ही फंसा लिया है.
पाकिस्तान का अपना स्नोडेन
असली एडवर्ड स्नोडेन के उलट, यह 2.0 संस्करण रूसी नहीं है. या क्या वह है? शेख रशीद ने खुलासा किया कि हैकर को ढूंढना आसान नहीं, क्योंकि हैकर अंग्रेजी नहीं जानता. यह शुरुआत भर है. हैकर ने यह कहकर देशभक्ति का ठोस इजहार कर रहा है कि वह ऐसा कुछ नहीं लीक करेगा, जिससे देश को नुकसान पहुंचे. हालांकि ‘पॉपकॉर्न खाओ, ठंड रखो’ की सलाह देकर तबदीली मंत्रियों के ‘हैप्पी आवर्स’ का लीक करने से उन्हें कोई ऐतराज नहीं.
और क्या है? भविष्य के लीक वयस्क रेटिंग वाले हो सकते हैं. हैकर इशारा जो छोड़ रहा है कि इमरान खान के ‘अश्लील’ वीडियो को छोड़ दिया. वही वीडियो जिनकी चर्चा मेनस्ट्रीम टेलीविजन पर होती रही है. वही वीडियो, जिसे सभी और उनके ऊपरी अंकलों ने देखी है. वही वीडियो जिसके बारे में इमरान खान पीएम दफ्तर से बाहर होने के बाद से चेतावनी दे रहे हैं और डीप-फेक बता रहे हैं. यह बहुत हद तक उस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए हकीकी आजादी मार्च की तरह है, जो अब हकीकत नहीं है. हालांकि डीप-फेक यह नहीं है कि इस हैकर के पास अपना नेटफ्लिक्स लॉन्च करने और चिल करने का पर्याप्त मसाला है!
नयला इनायत पाकिस्तान की फ्रीलांस पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त विचार निजी हैं.
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