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Sunday, 22 December, 2024
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मोदी सरकार 14 एम्स बनाने की घोषणा कर चुकी है, बने कितने?

क्या एम्स का निर्माण भी एक जुमला है? नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद जिन एम्स की घोषणा हुई, उनमें से एक का भी काम पूरा नहीं हो पाया.

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देश में कोई गरीब या मध्यवर्गीय व्यक्ति और कई बार अरुण जेटली और सुषमा स्वराज जैसे नेता-मंत्री भी बीमार पड़ते हैं तो इलाज के लिए अक्सर उनकी पहली पसंद एम्स यानी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान होता है. पहले देश में एक ही एम्स दिल्ली में था. लेकिन अब देश में छह और एम्स कार्यरत हैं, जिनका निर्माण पिछली सरकारों के समय हो गया था. एम्स अपनी क्वालिटी और सस्ते इलाज के लिए जाने जाते हैं. प्राइवेट अस्पतालों का इलाज ज्यादातर लोगों की पहुंच के बाहर होने के कारण इनके महत्व को समझा जा सकता है.

नरेंद्र मोदी सरकार ने 17 दिसंबर, 2018 को कैबिनेट की बैठक में, तमिलनाडु के मदुरई और तेलंगना के बीवीनगर में नए एम्स के निर्माण को मंजूरी दी. प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत मंज़ूर हुए दोनों एम्स पर क्रमशः 1264 और 1028 करोड़ रुपये खर्च होंगे. लेकिन दिलचस्प बात है कि तमिलनाडु में एम्स के गठन की घोषणा अरुण जेटली ने 2015-16 के बजट में ही कर दी थी. तो आखिर सरकार एक ही एम्स की घोषणा कितनी बार करना चाहती है? और बजट की घोषणा और कैबिनेट की मंजूरी के बीच तीन साल का फासला क्यों?

एम्स मदुरई के निर्माण के लिए 45 महीने की मियाद तय हुई है. बीबीनगर एम्स के बारे में तो इतना ब्यौरा भी सुलभ नहीं है. हालाँकि, मोदी कैबिनेट ने तेलंगाना एम्स को सैद्धांतिक मंज़ूरी अप्रैल 2018 में दे दी थी. अभी तो सिर्फ़ 1,028 करोड़ रुपये की लागत और शहर का नाम ही तय हो पाया है.

दरअसल, नए एम्स को लेकर सरकार इतनी बार इतनी तरह की घोषणाएं कर चुकी हैं कि शायद किसी को भी याद नहीं है कि देश में आखिर कितने एम्स बनने हैं और उनकी स्थिति क्या है.

मई 2018 में अपनी चौथी सालगिरह से ऐन पहले, मोदी कैबिनेट ने देश में 20 नये एम्स यानी आखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान बनाने का ऐलान किया. इससे पहले मोदी राज के गुज़रे चार सालों में 14 एम्स बनाने की घोषणा हो चुकी थी. इसकी प्रगति के बारे में सूचना के अधिकार के तहत जून 2018 में मोदी सरकार ने बताया कि 13 में से एक भी एम्स शुरू नहीं हो पाया है!’ उससे पहले 4 मार्च 2018 को, बीजेपी ने मोदी राज का महिमामंडन करते हुए ट्वीट किया कि ‘परिवार राज से स्वराज: 2014 तक 7 एम्स स्थापित किये गये, लेकिन मोदी सरकार के 48 महीने में 13 एम्स जैसे संस्थाओं को मंज़ूरी दी है.’

ऐसे में ये देख लेना जरूरी होगा कि देश में कितने एम्स बन रहे हैं और उनकी स्थिति क्या है. ये आंकड़ा केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के उस जवाब से लिया गया है, जो उन्होंने 7 अगस्त, 2018 को राज्यसभा में सांसद अहमद पटेल के एक सवाल के जवाब में दिया.

(1) गोरखपुर एम्स: घोषणा का साल- 2014, जमीन तय, 1,011 करोड़ रुपये की लागत, मार्च 2020 का लक्ष्य, रुपये जारी- 98 करोड़. (अंदाजा लगाइए कि 7 अगस्त 2018 तक अगर 100 करोड़ से भी कम रुपये इस एम्स को मिले हैं, तो उसका निर्माण कब तक जाकर पूरा होगा.)

(2) नागपुर एम्स: घोषणा का साल- 2014, जमीन तय, 1,577 करोड़ रुपये की लागत, अक्टूबर 2020 का लक्ष्य, रुपये जारी- 231 करोड़ रु.

(3) गुवाहाटी एम्स: घोषणा का साल- 2015, जमीन तय, 1,123 करोड़ रुपये की लागत, अप्रैल 2021 का लक्ष्य, रुपये जारी- 5 करोड़ (रकम पर गौर कीजिए)

(4) देवघर एम्स: घोषणा का साल- 2017, जमीन तय, 1,103 करोड़ रुपये की लागत, 2021 का लक्ष्य, रुपये जारी- शून्य

(5) गुजरात एम्स: विधानसभा चुनाव के वर्ष 2017 में घोषणा, कहां बनेगा तय नहीं, लागत 1200 करोड़, कोई डेडलाइन तय नहीं, रुपये जारी- शून्य

(6) बिहार एम्स: 2015 के चुनावी साल में बजट में ऐलान, तीन साल बाद भी स्थान तय नहीं, लागत 1200 करोड़ रु. कोई डेडलाइन तय नहीं, कोई फंड जारी नहीं

(7) मंगलागिर, आंध्र प्रदेश एम्स: घोषणा का साल- 2014, जगह तय, 1,618 करोड़ रुपये की लागत मंज़ूर, अक्टूबर 2020 का लक्ष्य, रुपये जारी- 233 करोड़ रु.

(8) कल्याणी, पश्चिम बंगाल एम्स: घोषणा का साल- 2014, जगह तय, 1,754 करोड़ रुपये की लागत मंज़ूर, अक्टूबर 2020 का लक्ष्य, रुपये जारी- 278 करोड़ रु.

(9) बठिंडा, पंजाब एम्स: घोषणा- 2015, जगह तय, 925 करोड़ रुपये की लागत, जून 2020 का लक्ष्य, रुपये जारी-128 करोड़ रु.

(10) साम्बा, जम्मू-कश्मीर एम्स: घोषणा का साल- 2015, जमीन तय, लागत 1668 करोड़ रु., फरवरी, 2022 का लक्ष्य, रुपये जारी- 48 करोड़ रुपये .

(11) पुलवामा, जम्मू-कश्मीर एम्स: घोषणा का साल- 2015, जमीन तय, लागत- 1837 करोड़, फरवरी 2024 का लक्ष्य, रुपये जारी-42 करोड़ रु.

(12) मदुरई, तमिलनाडु एम्स: घोषणा- 2015 में, लागत-1200 करोड़ रुपये , लक्ष्य- 2022, रुपये जारी- शून्य.

(13) बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश एम्स: घोषणा- 2015 में, लागत – 1351 करोड़ रु., सितंबर 2021 तक बनने का लक्ष्य, रुपये जारी- 10 करोड़ रुपये

(14) बीवीनगर, तेलंगाना एम्स: घोषणा- 2018 में, लागत -1200 करोड़, लक्ष्य- 2022, रुपये जारी- शून्य.

स्वास्थ्य मंत्रालय के जवाब से ये बात निकलकर आती है कि -:
– केंद्र सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में एक भी नए एम्स का काम पूरा करने वाली नहीं है
– कई एम्स के लिए अभी तक जमीन का आबंटन तक नहीं हो पाया है
– प्रस्तावित एम्स के लिए अभी तक जितनी कम रकम जारी हुई है, उससे साफ़ है कि किसी भी एम्स का तय वक़्त में पूरा होना असम्भव है
– नये एम्स की बजट में हुई घोषणा और कैबिनेट से उसकी मंजूरी को अलग-अलग रखने का तुक़ क्या हो सकता है, क्योंकि आख़िर बजट भी तो कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद लोकसभा पारित करती है

यह मोदी सरकार के कामकाज और दावों की हक़ीक़त बयाँ करती है. ऐसा लगता है कि एम्स की घोषणा भी हर जेब में 15 लाख रुपए आने की घोषणा की तरह जुमला ही है.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक प्रेक्षक हैं.)

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3 टिप्पणी

  1. सरकार इस महामारी काल में चिंतन करे, यदि समय से बना होता तो आज कितना काम आता, सो आज भी यदि राज्य व केंद्र सरकार जिम्मेदारी शीघ्र अतिशीघ्र कार्य प्रारंभ कराएं ताकि जन जीवन को बचाया जा सके।

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