इस बार के बजट से उम्मीदें इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पिछली बार की तुलना में कहीं अधिक उत्साहित हैं और वह उनके आर्थिक सर्वेक्षण में झलकता भी है. हर साल होने वाला यह सर्वेक्षण देश की अर्थव्यवस्था का आईना होता है. इस बार यह बता रहा है कि इस बार जीडीपी विकास दर 8.5 फीसदी रहेगी जबकि 2021-22 में यह 7 फीसदी थी. इससे मतलब निकलता है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाला देश रहेगा. आईएमएफ ने भारत की अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी की बात कही है और अपने पहले अनुमान से उसे अब ज्यादा कर दिया है. इस के पीछे का कारण यह बताया जा रहा है कि सरकार की टैक्स वसूली उम्मीद से ज्यादा बढ़ी है और कोविड का उतना बुरा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ा है.
कॉर्पोरेट टैक्स वसूली 2021-22 के अप्रैल से नवंबर की अवधि में बढ़कर 3.5 लाख करोड़ रुपए हो गई. जीएसटी में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इसके साथ-साथ देश में सामानों की खपत भी 7 फीसदी बढ़ी है. यहां यह गौर करने वाली बात है कि हमारी अर्थव्यवस्था खपत पर आधारित है और अगर खपत में अच्छी बढ़ोतरी होती है तो देश में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलता है जिसका सीधा असर जीडीपी दर पर पड़ता है.
भारतीय अर्थव्यवस्था में आई तेजी में कृषि क्षेत्र का बड़ा योगदान है. इस बार इसमें 3.9 फीसदी और औद्योगिक क्षेत्र में 11.8 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है. यह बहुत उत्साहजनक है. सच तो है कि कृषि ने हमें कोविड काल में बचा लिया. 130 करोड़ जनता के लिए भरपूर अनाज इस क्षेत्र ने दिया और किसानों को भी इसके एवज में एमएसपी और सामान्य बिक्री से धन मिला.
एक और सेक्टर है जिसने उम्मीदें जगाई हैं और वह है सर्विस सेक्टर जिसमें पिछले वित्त वर्ष में काफी गिरावट आई थी लेकिन अब इसमें 8.2 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है. इसके अलावा इस बार हमारे निर्यात में भी काफी बढ़ोतरी दिख रही है. कोविड काल के कठिन समय में भी हमारा चालू खाता सरप्लस में रहा और पूंजी का प्रवाह भी यथोचित बना रहा. इसके अलावा हमारा विदेशी मुद्रा भंडार भी 634 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा हुआ है जो सरकार को एक भरोसा दिला रहा है.
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स्टार्ट अप कर रहे हैं कमाल
आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी दावा किया गया है कि देश में रोजगार में बढ़ोतरी हुई है और वह कोविड काल के पहले की स्थिति में आ गया है. इससे आगे के लिए एक उम्मीद बंधी है. इसमें देश में आए स्टार्ट अप कल्चर की भी सराहना की गई है और कहा गया है कि यह आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था को गति देगा. इस समय देश में 14,000 नए स्टार्ट अप हैं जो अमेरिका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर हैं. इनमें से 44 की एक अरब डॉलर या इससे अधिक का वैल्यूशन है. इससे ठोस संकेत मिल रहा है कि उनके लिए सरकार कोई सकारात्मक कदम उठा सकती है.
आर्थिक सरवेक्षण में एक दिलचस्प बात यह है कि पहली बार रेलवे को तेजी का सूत्रधार बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि इसके बूते अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद की जा सकती है. बताया जा रहा है कि रेलों द्वारा माल की ढुलाई 26-27 फीसदी से बढ़कर 40-45 फीसदी तक हो सकती है. सरकार इसे भविष्य के लिए तैयार करना चाहती है. इसका मतलब यह हुआ कि सरकार इस बार इसे ज्यादा धन देना चाहती है ताकि इसका चहुंमुखी विस्तार हो और यह तेजी से आगे बढ़े.
चुनौतियां
अर्थव्यवस्था के सामने अभी कोविड की चुनौती बनी हुई है और उससे निबटने के लिए सरकार का सारा जोर वैक्सीन देने की रफ्तार पर है. कोविड ने अर्थव्यवस्था को बहुत क्षति पहुंचाई थी लेकिन अब इस पर वैक्सीन के जरिए अंकुश लगाने की बात कही जा रही है. कोविड के कारण अर्थव्यवस्था के कई सेक्टर खासकर टूरिज्म खतरे में हैं. ये अर्थव्यवस्था में कोई खास योगदान नहीं कर पा रहे हैं.
दूसरी बड़ी चुनौती है दालों और तेलों के ऊंचे दाम. खाने वाले और कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ती रही हैं. देश में खाने के तेल का बड़ा हिस्सा इम्पोर्ट करना पड़ता है तो दूसरी ओर हमारा देश कच्चे तेल के आयात पर पूरी तरह से निर्भर है. इस कारण से महंगाई बढ़ी है. कच्चे तेल की कीमतें अभी बढ़कर 91 डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंची है जिससे अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. इसका गिरना जरूरी है तभी महंगाई पर नियंत्रण हो सकेगा. इस आर्थिक सर्वेक्षण को पढ़-सुनकर यही लगता है कि सरकार इस बजट में कई राहतों और टैक्स में कटौती की घोषणा कर सकती है. इसकी जरूरत भी है और यूपी सहित पांच राज्यों में चुनाव भी है जिस पर सत्तरूढ़ दल की पैनी नज़र है.
मधुरेंद्र सिन्हा वरिष्ठ पत्रकार और डिजिटल रणनीतिकार हैं. व्यक्त विचार निजी हैं.
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