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Thursday, 25 April, 2024
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वेलेंटाइन डे से पाकिस्तान की विचारधारा को होने वाला नुकसान उसके वजूद पर मौजूद किसी भी खतरे से बड़ा है

लाल गुलाब, गुब्बारे और मखमली खिलौने पाकिस्तान में चुनौती का प्रतीक बन गए हैं. वेलेंटाइन डे के जश्न पर पाबंदियों से बेमतलब खलबली मचती है.

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ये साल का वो समय है जब पाकिस्तान की फिज़ा में प्यार की इजाजत नहीं होती है. खतरनाक वेलेंटाइन डे आ चुका है. ऐसा दिन जो हमारी आने वाली नस्लों को खत्म कर देगा, हमें हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक सिद्धांतों से दूर ले जाएगा. सच कहें तो पाकिस्तान की विचारधारा को 14 फरवरी से होने वाला नुकसान देश के वजूद पर मौजूद किसी भी खतरे से बड़ा है.

इसलिए आइए वेलेंटाइन को लानत भेजने का सालाना खेल शुरू करते हैं: यह हया दिवस है, नहीं यह सिस्टर्स डे है. या इसे काला दिवस कहना कैसा रहेगा? इसे वेलेंटाइन डे के अलावा कुछ भी माना जा सकता है. क्या कम से कम हम इसे एक दिन तो मान सकते हैं? यह जन्मदिन मनाने की हमारी प्राचीन परंपरा के खिलाफ एक पश्चिमी साजिश है. काफिर पश्चिमी दुनिया हमारी औरतों से शरम और हया छीनने की साजिश कर रही है. इस वेलेंटाइन डे के दिन ये सब कथा और भी बहुत कुछ सुनने के लिए तैयार रहें.

ये दौर नहीं है प्यार का

वर्षों से लाल गुलाब, गुब्बारे और मखमली खिलौने पाकिस्तान में चुनौती का प्रतीक बन गए हैं. संस्कृति के ठेकेदारों द्वारा वेलेंटाइन डे मनाए जाने के खिलाफ प्रतिबंध, विरोध प्रदर्शन, और अदालती आदेश केवल बेवजह उथल-पुथल का कारण बने हैं, और समाज के मजहबी और राजनीतिक वर्गों ने अपने फायदे के लिए इसका इस्तेमाल किया है. हया दिवस के इस खेल में जमात-ए-इस्लामी सबसे आगे है. उधर, प्रगतिशील टाइप के लोग भी हैं जो इन सबका विरोध करते हैं और वेलेंटाइन विरोधी दुष्प्रचार की निंदा करते हैं.

मानवाधिकार कार्यकर्ता सबीन महमूद 2013 में वेलेंटाइन डे के समर्थन में सामने आई थीं, और उनके पोस्टरों में से एक में कहा गया था- ‘प्यार होने दें’, और ये जश्न मनाने से लोगों को रोकने के लिए तत्पर दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों की स्पष्ट अवज्ञा में किया गया था. उन्हें धमकियां दी गईं और फिर उन्हें छुपकर रहना पड़ा. दो साल बाद, सबीन महमूद की हत्या कर दी गई. उनके हत्यारे साद अज़ीज़ ने कबूल किया कि उसने सबीन को एक गैर-इस्लामी वेलेंटाइन डे रैली आयोजित करने की वजह से गोली मारी थी.

मुस्लिम परंपरा के खिलाफ़

वेलेंटाइन डे को उत्पीड़न का एक जरिया बनाने में पाकिस्तान सरकार की सक्रिय भूमिका रही है. अपने कार्यकाल के दौरान शायद ही कभी किसी गंभीर मुद्दे पर बोलने वाले पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने 2016 में खुद को वेलेंटाइन-विरोधियों की जमात में शामिल करते हुए युवाओं से आग्रह किया था कि वे वेलेंटाइन डे को नहीं मनाएं, जोकि उनके अनुसार पश्चिमी संस्कृति का हिस्सा है, न कि मुस्लिम परंपरा. उन्होंने छात्रों को अपनी धार्मिक और राष्ट्रीय पहचान बनाए रखने की सीख भी दी थी. उसी वर्ष, पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) सरकार के गृह मंत्री चौधरी निसार ने इस्लामाबाद में वेलेंटाइन से जुड़े तमाम आयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. सिंध सरकार भला क्यों पीछे रहती? उसने वेलेंटाइन डे के दिन कराची के सीव्यू तट पर तैराकी पर रोक लगा दी. हमें नहीं पता कि प्रेमी जोड़ों के तैराकी के लिए निकलने के बारे में सरकार को कोई पूर्वसूचना तो नहीं मिली थी.

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इसी तरह 2017 में, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने वेलेंटाइन डे मनाने पर रोक लगा दी थी. न्यायमूर्ति शौकत सिद्दीक़ी ने उस दिन देश भर के सार्वजनिक स्थलों पर और सरकारी कार्यालयों में किसी भी तरह के जश्न पर पाबंदी लगा दी थी. उन्होंने मीडिया को भी किसी भी तरह के प्यार को प्रसारित नहीं करने की हिदायत दी थी क्योंकि ‘प्यार बांटे जाने की (मीडिया द्वारा) कवरेज़ अनैतिकता, नग्नता और अभद्रता को बढ़ावा देती है, जो हमारी समृद्ध संस्कृति के खिलाफ है.’

मानवाधिकार कार्यकर्ता अस्मा जहांगीर ने फैसले की आलोचना करते हुए कहा था कि यह किसी भी कानून के अनुरूप नहीं है. उन्होंने ये भी कहा था कि जस्टिस सिद्दीक़ी न्यायाधीश के पद के लायक नहीं हैं और उन्हें किसी स्थानीय मस्जिद में ख़तीब होना चाहिए था. इसके बाद 2018 में, पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण ने टेलीविजन चैनलों को वेलेंटाइन डे को बढ़ावा नहीं देने की नसीहत दी थी.

सिस्टर्स डे का आयोजन

अति-दक्षिणपंथी धार्मिक पार्टी तहरीक-ए-लबैक के नेता खादिम हुसैन रिज़वी ने लड़कियों को लाल गुलाब देने वाले लड़कों के प्रति नफरत उगलते हुए कहा है: फूल देने वाले पे भी लानत और फूल लेने वाले पे भी लानत. तो ये है वेलेंटाइन डे पर आपके लिए फरमान.

पिछले साल फ़ैसलाबाद स्थित कृषि विश्वविद्यालय ने 14 फरवरी को सिस्टर्स डे मनाया था. अपने परिसर में एक बेवकूफ़ाना समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति ने महिला छात्रों को ‘सम्मान स्वरूप’, स्नेह स्वरूप नहीं, 800 अबाया या हिजाब बांटे थे. हालांकि बेहतर होता इसे बेटियों का दिन कहा जाता क्योंकि कुलपति जिन लड़कियों को सम्मानित कर रहे थे, जो उनकी बेटियां हो सकती थीं, बहनें नहीं.

एक पुरुष और एक महिला के बीच संबंधों से इनकार नहीं किया जा सकता है. सिस्टर्स डे मनाने का का मतलब ये नहीं है कि ये संबंध मौजूद नहीं हैं. हां, प्रेम को लेकर पाकिस्तान में असहजता है, और प्यार का जश्न मनाने के लिए एक दिन निर्धारित करना बहुत बड़ा मसला हो जाता है. लेकिन प्रेम के एक खास दिन के विचार का विरोध करने वाले भूल जाते हैं कि पाकिस्तान कोई अलग-थलग बड़ा टापू नहीं है. वहां भी दुनिया के बाकी हिस्सों में होने वाली घटनाओं का असर दिखेगा. जो लोग वेलेंटाइन डे मनाना चाहते हैं, वे किसी की अनुमति का इंतजार नहीं करेंगे. लेकिन जो लोग इस जश्न का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं, उनको कोई अधिकार नहीं है कि वे अपना विचार दूसरों पर थोपें. वेलेंटाइनगर्दी अब भी दहशतगर्दी से कहीं बेहतर है.

(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. वह @nailainayat से ट्वीट करती हैं. व्यक्त विचार उनके निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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