scorecardresearch
Thursday, 31 October, 2024
होममत-विमतब्लॉगकोरोनावायरस ने बता दिया कि देश में पप्पू कौन है- हाशिए पर खड़ा आदमी

कोरोनावायरस ने बता दिया कि देश में पप्पू कौन है- हाशिए पर खड़ा आदमी

21 दिनों के बाद एक नया हिंदुस्तान नजर आएगा. एक तरफ कालिदास और वराहमिहिर की औलादें होंगी, दूसरी तरफ लाइफ क्रूसेड में बच गये लोग.

Text Size:

हमारे देश में बहुत सारे लोग बहुत बुद्धिमान हैं. शंख की आवाज को तरंगदैर्घ्य और वैज्ञानिक समीकरणों से जोड़कर बताते हैं, उससे विषाणुओं का वध करते हैं. 21 दिनों के लॉकडाउन को भी ग्रह-नक्षत्रों से जोड़ देंगे. लेकिन समाज के एक बड़े वर्ग यानी कि हाशिए पर खड़े इंसान को कभी खुद से नहीं जोड़ पाएंगे.

आज लॉकडाउन की वजह से हजारों मजदूर और गरीब आदमी इधर से उधर जा रहे हैं. कई सौ किलोमीटर की यात्रा करते ये लोग अपने कंधों पर बच्चों को लादकर ले जा रहे हैं. पर इन्हें कोरोना विषाणु के खिलाफ युद्ध की कैजुअल्टी मान लिया गया है. लॉकडाउन करते वक्त किसी ने इस बात की चिंता नहीं की कि इनका क्या होगा.

इनकी चिंता तब भी नहीं की गई जब फरवरी के आखिरी हफ्ते में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की रैली के लिए भारत ने पलक पांवड़े बिछा दिए थे. तब भी रैली में ट्रंप की नजर गरीबों पर ना पड़ जाए, इसलिए इनकी झुग्गियों को दीवार बनाकर ढंक दिया गया था.

इतने से भी संतोष नहीं हुआ. कोरोना विषाणु को लेकर धनी लोग भारत में अवतरित हुए. इनको सरकार ने आने-जाने से नहीं रोका. जब तक इन पर नजर गई, बहुत देर हो चुकी थी. उधर ढेर सारे धनी लोग विदेशों में फंस गये थे. इनको वहां से लाने के लिए सरकार ने ढेर सारे हवाई जहाज उड़ा दिये. जान पर खेलकर बहुत सारे पायलट उनको लाने गये.

पर अपने ही देश में उन गरीब लोगों के लिए हम एक गाड़ी तक का इंतजाम नहीं कर पाए जिन्हें पता भी नहीं चला कि क्या हुआ है. उन्हें कोरोना, क्वारेंटाइन, कोविड-19 और लॉकडाउन का अर्थ भी नहीं पता. उनका कोई दोष भी नहीं है.


यह भी पढ़ें: कोविड-19 से निपटने के लिए 1.7 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज, पेट में खाना और हाथ में पैसे देगी सरकार


30 जनवरी को देश में कोरोनावायरस का पहला केस आया. पर इसके बाद भी सरकार इस वर्ग को लेकर जागरुक नहीं हुई. बस विदेश से आ रहे लोगों के लिए धीरे-धीरे इंतजाम किये जाने लगे. फिर होली का त्यौहार आया. इस त्यौहार में इसी वर्ग ने सबसे ज्यादा यात्राएं की और कोरोना के संक्रमण से बचने का कोई उपाय नहीं कर पाया. क्योंकि इन्हें पता ही नहीं था. ये रोग ही अमीर लोगों से आ रहा था.

उन्हें ये भी समझ नहीं आ रहा कि हुआ क्या है. ताली और थाली बजाने को कह दिया गया, उन्होंने बजा दिया. फिर अचानक कह दिया गया कि वो घर से बाहर नहीं निकलेंगे. सबको घरों पर आटा, चावल और दूध दिया जाएगा.

पर जो लोग रोज एक किलो आटा, दो रुपये की चायपत्ती और दो रुपये की चीनी खरीदते हैं, उनके लिए तो ये रामराज जैसा हो गया. सब कुछ घर पर मिलेगा. पर उन्हें पता था कि रामराज भी सिर्फ अयोध्या में ही आएगा. हस्तिनापुरवासियों के लिए जीवन कुरुक्षेत्र ही है. वो चल पड़े, जहां से आए थे. पर ये इतना आसान नहीं है. बीच में जितने राज्यों की पुलिस मिलेगी वो इन्हें ऐसे ही ट्रीट करेगी जैसे कि यही कोरोनावायरस लेकर घूम रहे हों.

21 दिनों के लॉकडाउन में समाज का एक वर्ग खुद को सुशिक्षित कर लेगा. वो घर पर तरह-तरह की डिश बनाते हुए अपनी स्किल्स विकसित कर रहा है. वो तमाम किताबें पढ़ रहा है, फिल्में देख रहा है, ऑनलाइन कोर्स कर रहा है और एक्सरसाइज कर रहा है. वहीं समाज का एक बड़ा वर्ग आटा और चावल की तलाश में इधर से उधर जा रहा है, पुलिस की मार खा रहा है. 21 दिनों के बाद एक नया हिंदुस्तान नजर आएगा. एक तरफ कालिदास और वराहमिहिर की औलादें होंगी, दूसरी तरफ लाइफ क्रूसेड में बच गये लोग.

पीएम भी कोरोना के खिलाफ युद्ध में महाभारत का जिक्र कर रहे हैं. सही ही है. संभवतः ये लोग महाभारत की उन अक्षौहिणी सेनाओं का हिस्सा हैं, जिन्हें जानता कोई नहीं है. बस इतना पता है कि ये सेनायें युद्ध में काम आई थीं.


यह भी पढ़ें: देश के आईएएस-आईपीएस सोशल मीडिया पर आम लोगों को ट्रोल कर रहे हैं या जागरूक


भगवान ना करे कि कोरोना फैले. ये यहीं पर रुक जाए. वरना फैलने के बाद ये अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि किसकी जान ज्यादा कीमती है. मेडिकल सुविधाएं किसे दी जाएंगी और किसे नहीं.

share & View comments

14 टिप्पणी

  1. So what to do or do nothing …it’s india madam nothing so simple here. There a song …kuchh to log kahenge logon ka kam hai kahana?

  2. Why people will comment on this article…some people term this author as communist or naxal sympathiser or congress stooge….they are busy in lauding the efforts of their hero…..no measure taken to rehabilitate this poor people before clamping complete lockdown….even after 3 days some tv channels are showing, migrant worker walking back to their hometowns…some 200 to 500 KM

  3. After reading trolls on Shekhar Gupta’s Twitter, I feel what happening to this country and it’s people. How can be people so naive and blind folded…in every issue they bring religion and people who are critical to their hero…are we going China way.

  4. सटीक विश्लेषण ।असली जरूरत तो इन्हीं गरीब , असहाय लोगों को है।

  5. Jyoti ji you always bring out ground realities and sufferings of people. I always question is not who wrote the articles either from left or right as immediately a few people brand but issue is if brought out fact is genuine or perceived. If perceived it should be ignored but if found genuine remedial measures be taken with available resources universally ! I truly appreciate your bringing out the facts concerning humanitarian angles!

  6. एक दम सही…. किसी को भी इनके दिक्कतों का अनुमान नहीं।

  7. When the government does not lockdown and millions infected by the virus then the same article would be against the government. Balance criticism acceptable.

  8. ?? भाजपा सरकार ने ३१ जनवरी के बाद फ़ौरन क़दम क्यों नहीं उठाए ?? ??
    वजह – १. फ़रवरी में ट्रम्प का इवेंट करना था !
    २.दिल्ली के चुनाव जीतने का १००% विश्वास था !
    ३. “गोली मारो सालों को” जैसे नारे तय्यार हो चुके थे! उनका उपयोग भी करना था !!
    ४.मध्य प्रदेश में कोंग्रेस सरकार को गिराने का टाइम टेबल बन चुका था !!

Comments are closed.