scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होममत-विमतपाकिस्तान में इमरान खान से लेकर अफरीदी तक कोई भी कोरोनावायरस के बहाने फोटो खिंचवाने का मौका नहीं चूक रहा

पाकिस्तान में इमरान खान से लेकर अफरीदी तक कोई भी कोरोनावायरस के बहाने फोटो खिंचवाने का मौका नहीं चूक रहा

वजीरे आज़म इमरान खान को एक बड़े समाजसेवी के बेटे से मुलाक़ात करने के बाद कोविड टेस्ट कराना पड़ा क्योंकि उस लड़के को बाद में कोविड पॉज़िटिव पाया गया.

Text Size:

पाकिस्तान में कोरोना टूरिज़्म अपने चरम पर है और ऐसा लगता है कि हर कोई इस ‘मौके’ को अच्छी तरह ‘कैद’ करने पर आमादा है. ऐसा लगता है कि आज-कल यहां यह कहने का फैशन चल पड़ा है कि ‘अपनी तस्वीर दिखाओ वरना हम नहीं मानेंगे कि तुम कोरोना के वक्त लोगों की मदद कर रहे हो’. सरकारी अफसरों से लेकर एक्टरों, क्रिकेटरों और फ़ौजियों तक हर कोई अपने उस ‘बंदे’ के हाथ में पैसे या खाने के सामान के साथ अपनी फोटो खिंचवा रहा है जिसे उसने मदद दी है. शालीनता की परवाह कौन करता है! यह तो जरूरतमंदों के बहाने अपना प्रचार करने का समय है!

राशन के डिब्बों के साथ इमरान

ऊपर से ही शुरू करें. प्रधानमंत्री इमरान खान कोरोनावायरस रिलीफ़ फंड में दान देने वालों का खुद स्वागत कर रहे हैं. ऐसे ही एक मौके पर उन्होंने समाजसेवी अब्दुल सत्तार ईधी के बेटे फैजल ईधी से पिछले सप्ताह अपने दफ्तर में मुलाक़ात की. वे इस फंड के लिए 1 करोड़ रुपये का चेक देने आए थे. इस मौके की तस्वीर जारी हुई तो पता चला कि इमरान या फैजल, किसी ने ना तो मास्क पहना था और ना दस्ताने. बाद में पता चला कि फैजल कोविड-19 वायरस से संक्रमित हैं. जाहिर है, इमरान को भी टेस्ट कराना पड़ा, हालांकि वह निगेटिव निकले.

अब प्रधानमंत्री काफी सावधानी बरत रहे हैं. दान देने वाले दस्ताने पहनकर आते हैं और चेक लिफाफे में रखा होता है. जाहिर है, फोटो खिंचवाना बदस्तूर जारी है.

इमरान राशन के डिब्बे बांटते हुए भी फोटो खिंचवा रहे हैं, हालांकि उन डिब्बों पर उनकी फोटो छपी होती है और यह काम कोई काउंसलर भी कर सकता है. ऐसा लगता है कि इमरान भूल गए हैं कि वे एक समय पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज़ शरीफ की इसलिए आलोचना कर चुके हैं कि शरीफ ने यूथ लैपटॉप प्रोग्राम के तहत बांटे गए लैपटॉप पर अपने चेहरे की तस्वीर चस्पा की थी. लेकिन वह तो पुराने पाकिस्तान की बात थी, अब तो नये पाकिस्तान का दौर चल रहा है.

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी भी पीछे नहीं हैं. वे कुलियों के बीच राहत वितरण के मौके पर चीफ गेस्ट बने नज़र आए. इस मौके पर खींची गई एक फोटो में तीन लोग खाने के उस थैले को पकड़े दिख रहे हैं जिस पर लिखा था—‘पाकिस्तानी फौज की भेंट’.

विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी मुल्तान के अपने चुनाव क्षेत्र के दौरे पर गए तो उसकी भी कई तस्वीरें जारी की गईं. किसी में वे लोगों को पैसे बांटते दिख रहे हैं, तो किसी में किसी पुलिस वाले को फटकार लगाते.

पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री उस्मान बज़दार ने लोगों को दौड़-दौड़कर खाना बांटते हुए ही फोटो नहीं खिंचवाए बल्कि वे ‘हज़मत सूट’ यानी पीपीई पहने भी घूमते दिखे जबकि पाकिस्तानी डॉक्टरों ने पीपीई के लिए भूख हड़ताल कर रखी है. लेकिन बज़दार साहब ने तो मानो इसे अपने ही प्रचार का औज़ार बना लिया है.


यह भी पढ़ेंः कोरोनावायरस से जूझती दुनिया में पाकिस्तान इतनी तसल्ली से क्यों बैठा है


सोशल डिस्टेंसिंग, ये क्या बला है?

भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सरकारें आम तौर पर फिक्रमंदी और गंभीरता दिखाती हैं. इनके विपरीत महामारी के दौरान लोगों को मदद पहुंचाते हुए लोगों के साथ देह की दूरी बनाए रखने के सामान्य नियमों (एसओपी) का पालन किया जाता है और मास्क-दस्ताने पहने जाते हैं. लेकिन पाकिस्तान में इन सबकी शायद ही परवाह की जाती है.

1.2 करोड़ लोगों को पैसे से मदद पहुंचाने के ‘एहसास’ के नाम पर उन्हें उनके घरों से बाहर निकालने के सरकारी कदम से ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ का चाहे जो हश्र हुआ हो, इससे पाकिस्तानी प्रचार की कोरोना फोटो लाइब्रेरी तो समृद्ध हुई ही.

प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जमीनी हालत का अंदाजा लगाने के लिए प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की ‘हेलिकॉप्टर फोटो’ या उदारता से मदद बांटने की तस्वीरें तो जरूरी ही मानी जाने लगी हैं. लेकिन मदद हासिल करने के लिए गरीबों को अपमानजनक रूप से कतार में खड़ा करना और उनसे शुक्रिया कहलवाते हुए फोटो खिंचवाना किस मकसद को पूरा करता है?

प्रधानमंत्री के सूचना सलाहकार फिरदौस आशिक़ अवान ने तो मदद पाने वाली एक महिला से यह सवाल तक कर दिया कि वह इस मदद का क्या करेगी? जब उसने जवाब दिया कि उसके आठ बच्चे हैं, तो फिरदौस ने चुटकी लेते हुए उससे यह सवाल कर दिया कि उसका शौहर इसके अलावा क्या काम करता है. इस पर वहां खड़े लोग खूब हंसे और बेचारी महिला चुपचाप देखती रही. बढ़ती आबादी बेशक एक मसला जरूर है मगर वह मौका उस पर बात करने का तो कतई नहीं था. मदद के लिए आए किसी व्यक्ति को क्या आप मंत्री होने के नाते अपमानित कर सकते हैं?


यह भी पढ़ेंः इस लॉकडाउन में जो चार सेक्सी पाकिस्तानी हमारा दिल बहला रहे, उनमें ताहर शाह तो हैं पर इमरान खान नहीं


अफरीदी ने जुटाई स्टेडियम में भीड़

सिंध के गवर्नर इमरान इस्माइल ने दुनिया को अपनी ‘दयानतदारी’ का ढोल पीटते हुए बताया है कि पैसे वितरण के एक मौके पर कैसे एक औरत हाथ में रोटी का एक टुकड़ा लेकर आई और उसे उन्होंने एक मसीहे के रूप में मदद दी. नहीं जनाब, आप कोई अपना पैसा नहीं बांट रहे थे. काश कि कोई इन हुक्मरानों को हमदर्दी के डिब्बे थमा सकता.

इस बीच, पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी अपनी संस्था के साथ मुल्क में दौरे करते हुए राहत बांट रहे हैं. लॉकडाउन और धारा 144 लागू रहते हुए उन्होंने छितरल में एक मैदान में जलसा किया. इसमें स्टार क्रिकेटर से खाने के पैकेट लेने के लिए भीड़ में धक्का-मुक्की तक हुई.

ऐसे बुरे वक़्त में जानी-मानी हस्तियां और स्टार खिलाड़ी समाजसेवा करें इस पर किसी को क्या आपत्ति हो सकती है, लेकिन वे तो ऐसे हालात में शालीनता और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं. क्या इसे वे अपनी निजी मुहिम बना सकते हैं, जिसमें वे लोगों को राहत पहुंचाने के लिए बुलाएं और उनके साथ मुस्कराते हुए फोटो खिंचवाएं? ऐसा सोचा नहीं जा सकता. शहजाद रॉय जैसी शख्सियत, अभिनेता यासिर हुसैन, या क्रिकेटर मोहम्मद आमिर ने महामारी के बहाने अपना प्रचार करने वालों की अगर आलोचना की है तो यह बेवजह नहीं है.

हजारों ऐसी मुस्कराहटें राशन की उन बोरियों की बराबरी नहीं कर सकतीं.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त विचार उनके निजी हैं.)

share & View comments