कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में अनिश्चितता पैदा कर दी है. परस्पर जुड़े रहने, काम करने और पढ़ने-पढ़ाने जैसे तमाम कार्यों के लिए हम सबने आभासी या वर्चुअल तरीके अपना लिए हैं. शिक्षा के क्षेत्र में ऑनलाइन माध्यम आज की वास्तविकता है.
छात्रों को जहां कोरोनावायरस महामारी के चलते ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने के लिए बाध्य किया गया है, वहीं शिक्षकों और शिक्षाविदों को संवेग बनाए रखने, नए तकनीकी कौशल हासिल करने, पढ़ाई के नए माध्यमों के तौर-तरीके सीखने और अपने घरों में बैठे बच्चों को जोड़े रखने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ रही है. पिछले कुछ महीनों के दौरान, शिक्षकों से एक साथ कई कार्य करने की आदत डालने और उनके प्रबंधन की अपेक्षा की जा रही है.
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दोहरा बोझ
कोविड के इस दौर में छात्रों के लिए टेक्नोलॉजी बहुत ही महत्वपूर्ण हो गई है. लेकिन शिक्षकों पर अतिरिक्त भार है क्योंकि टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल करना सीखने के साथ-साथ उन्हें बच्चों के लंबे समय तक फोकस नहीं कर पाने की समस्या, कम या अनियमित अनुपस्थिति, इंटरनेट एवं बिजली की कनेक्टिविटी में व्यवधान जैसी परेशानियों और बच्चों के ऐसे माता-पिताओं को भी झेलना पड़ता है जो घर से कार्यरत शिक्षकों के ऑनलाइन पढ़ाने के तरीके को परखने और उसकी आलोचना करने का काम करते हैं.
जिन शिक्षकों के लिए तकनीकी माध्यम अभी नया है, उन्हें छात्रों के उलाहने भी सुनने पड़ते हैं. साथ ही, शिक्षकों को इंटरनेट की सुविधा से वंचित छात्रों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है और उनके खुद के घरेलू काम और परिवार की अपेक्षाएं तो पहले से ही हैं.
इन परिस्थितियों में, शिक्षकों के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है ताकि वे छात्रों के लिए पढ़ाई का एक सकारात्मक और स्वस्थ माहौल निर्मित कर सकें. इसलिए वर्तमान दौर में स्कूल प्रबंधन को अपने शिक्षकों के समर्थन में अहम भूमिका निभानी चाहिए. वे ऐसा कई प्रकार से कर सकते हैं, जैसे विशेष कार्यशालाओं और सहायता कार्यक्रमों के ज़रिए शिक्षकों को मानसिक तनाव को आरंभ में ही नियंत्रित करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है ताकि स्थिति बेकाबू न हो पाए.
इस संबंध में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी आम समस्याओं को लेकर जागरूकता बढ़ाने का भी सकारात्मक प्रभाव दिख सकता है.
सहायता समूह भी प्रभावी संवाद तंत्र स्थापित कर शिक्षकों को अत्यधिक लाभांवित कर सकते हैं क्योंकि उसके ज़रिए शिक्षक सर्वोत्तम तौर-तरीकों और संसाधनों को साझा कर सकते हैं. इससे उनको प्राथमिकताएं तय करने और खुद को व्यवस्थित करने की अंतर्दृष्टि मिल सकेगी और वे अपने सहकर्मियों के साथ अपनी मिलती-जुलती चिंताओं की चर्चा कर सकेंगे.
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शिक्षक तनाव का सामना कैसे करें
शिक्षक और शिक्षाविद चिंता और तनाव से बचने के लिए अपने दैनिक कार्यक्रम में कतिपय सर्वोत्तम तरीकों को अपना सकते हैं-
जिन बातों को कंट्रोल कर सकते हैं वो करें और बाकी को भूल जाएं
यह महामारी कब खत्म होगी इसका अनुमान लगाना संभव नहीं है लेकिन इस दौरान कुछ चीजों का प्रबंधन ज़रूर किया जा सकता है, जैसे- शेड्यूल बनाना, प्राथमिकताएं तय करना, मीडिया के उपभोग को लेकर सतर्क रहना, खबरों और संदेशों को फिल्टर करने की कोशिश करना और खुद को सुदृढ़ रखने के लिए कदम उठाना. क्या हासिल किया जा सकता है, उस पर ही फोकस रखकर रोज़मर्रा के जीवन में एक संतुलन कायम करना तथा चिंता एवं तनाव बढ़ाने वाली परिस्थितियों से बचना संभव है.
अपनी देखभाल करें और खुद के प्रति सौम्य भाव रखें
अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ न करें. खुद के लिए थोड़ा समय निकालने का प्रयत्न करें– दैनिक व्यायाम, स्वास्थ्यकर खानपान, ध्यान और उन कार्यों के लिए जो कि आपको पसंद हैं. इससे चिंता के बोझ से बचना और जीवन में संतुलन बनाए रखना सुनिश्चित हो सकेगा. कक्षाओं के बीच के अंतराल में घर के भीतर चहलकदमी करें या इस दौरान थोड़ी स्ट्रेचिंग कर सकते हैं. एक फिट और तंदुरुस्त शरीर स्वस्थ मानसिक दशा का आधार होता है. शिक्षक के रूप में आप हमेशा छात्रों को सहृदय बनने और सकारात्मक सोच रखने की सलाह देते रहते हैं. ये उपयुक्त समय है कि आप खुद पर भी उस सीख को लागू करें और आत्मप्रेम पर ध्यान दें.
इस बात को याद रखें कि पूरी दुनिया इस संकट से गुज़र रही है और ऐसे समय चिंता का एहसास होना स्वाभाविक है. यदि ज़रूरत महसूस हो तो किसी प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लेने में संकोच न करें.
उचित अपेक्षाएं और लक्ष्य तय करें
ऑनलाइन कक्षाओं के कारण पढ़ने-पढ़ाने के तरीकों में भारी बदलाव आया है. लेकिन परिवर्तनों से घबराने के बजाए अपने और दूसरों के लिए छोटे एवं यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करें और दिन के अंत में उनके पूरा नहीं होने पर खुद को कोसने से बचें.
अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करें
उन लोगों से बात करें जो आपके करीब हैं. अपने सहकर्मियों को बताएं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं, शायद वे भी उसी स्थिति से गुज़र रहे हों. अपने एहसास के बारे में पारदर्शिता रखकर और अपनी भावनाओं को स्वीकार कर, आप अपनी चिंताओं से सामंजस्य बिठा सकते हैं.
काम के लिए एक विशेष स्थान निर्धारित करें
आपकी उत्पादकता में इसका मनोवैज्ञानिक योगदान हो सकता है. यह दिन के आखिर में काम करना बंद करने में आपके लिए सहायक साबित हो सकता है. घर से काम करने के दौरान हममें से कई लोग तयशुदा घंटों से अधिक समय तक काम करने लगते हैं. एक निर्धारित कार्यस्थल होने से ना केवल दूसरों को बल्कि आपके आंतरिक तंत्र को भी स्पष्ट संदेश जा सकेगा कि कब काम को रोकना है.
छात्रों के विकास में शिक्षकों की एक रचनात्मक भूमिका होती है और इसलिए उनका मानसिक रूप से स्वस्थ होना महत्वपूर्ण हो जाता है. उनके काम के बोझ तले दबे और थके होने का दूरगामी प्रभाव हो सकता है. महामारी के दौरान और लॉकडाउन के पश्चात उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यापक उपाय किए जाने की ज़रूरत होगी.
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(अगर आप शिक्षक हैं और अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर मदद चाहते हैं तो आप लिव लव लाफ फाउंडेशन के इस हेल्पलाइन पर जाकर संपर्क कर सकते हैं. थेरेपिस्ट से यहां संपर्क कर सकते हैं)
(लेखिका द लिव लव लाफ फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)
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