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Wednesday, 20 November, 2024
होममत-विमतचीनी इस बात पर बहस कर रहे हैं कि खालिस्तान मुद्दे पर किसका समर्थन किया जाए: भारत का या कनाडा का

चीनी इस बात पर बहस कर रहे हैं कि खालिस्तान मुद्दे पर किसका समर्थन किया जाए: भारत का या कनाडा का

CCTV, फीनिक्स टेलीविजन और CGTN जैसे चीनी स्टेट कंट्रोल्ड मीडिया चैनलों ने अपने टीवी प्रसारणों पर इस तनाव को पूरा कवर किया है.

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चीनी सोशल मीडिया यूजर्स इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या बीजिंग को खालिस्तान आंदोलन को सपोर्ट करना चाहिए या नहीं. साथ ही चीन का आधिकारिक मीडिया भारत-कनाडा राजनयिक विवाद पर बड़े पैमाने पर रिपोर्टिंग कर रहा है. इसके अलावा पूर्व विदेश मंत्री किन गैंग के पतन को कथित विवाहेतर संबंध और संयुक्त राज्य अमेरिका में एक बच्चे के जन्म से जोड़ा गया है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग की व्याकुलता पूरी तरह से प्रदर्शित हो गई है क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जुनून ने चीनी विदेश नीति को संचालित करना शुरू कर दिया है. चाइनास्कोप भारत-कनाडा तनाव, सोशल मीडिया पर बहस, 2023 एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह और बाकी न्यूज और मीडिया कवरेज पर प्रकाश डाल रहा है.

सप्ताह भर में चीन

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद ने चीनी सोशल मीडिया पर बहस शुरू कर दी कि बीजिंग को इस विवाद में किसके साथ खड़ा होना चाहिए.

यूजर्स इस विवाद से चिंतित थे और भारत और खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करने के बीच लोग बंटे हुए लग रहे थे. यह बहस एक बार फिर चीन में भारत की जातीय विविधता को लेकर सीमित समझ को दर्शाती है.

लेकिन यह चीनी सोशल मीडिया पर बहस का एक बड़ा मुद्दा बना रहा, इस विषय पर वीबो पर 49 सर्च पेज पर चर्चा हुई. Baidu पर टॉप टेन सर्च को पढ़ें, “गिरना शुरू हो चुका है? पश्चिम ने भारत के खिलाफ घेराबंदी शुरू कर दी.”

जैसे ही 18 सितंबर को भारत और कनाडा ने अपने राजनयिकों को निष्कासित किया, चीन की शिन्हुआ न्यूज एजेंसी तुरंत इसकी रिपोर्टिंग में कूद पड़ी. यह खबर इस सरकारी अखबार के पहले पन्ने पर प्रमुखता से छपी थी. टोरंटो में चाइना डेली के रिपोर्टर ने दोनों देशों के बीच तनाव को लेकर जमकर रिपोर्टिंग की. यहां तक ​​कि ग्लोबल टाइम्स और पीपुल्स डेली ने भी कनाडा से रिपोर्टिंग की. हालांकि चीनी सरकार की मीडिया द्वारा यह एक असामान्य घटना है, क्योंकि यह अन्य देशों के आंतरिक मुद्दों में अधिकतर नहीं जाता है और न ही उनके रिपोर्टर उसे कवर करते हैं.

टोरंटो से चाइना डेली के लिए रेना ली ने बताया, “45 वर्षीय सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की जून में सरे के एक सिख गुरुद्वारे की पार्किंग में दो नकाबपोश लोगों द्वारा हत्या कर दी गई थी. वह उस गुरुद्वारे के प्रमुख के रूप में काम कर चुके थे.” सिन्हुआ समाचार एजेंसी और पीपुल्स डेली ने भी अपनी रिपोर्ट्स में निज्जर को एक “सिख नेता” बताया.

चीन में भारत पर नजर रखने वालों ने सुझाव दिया कि उन्हें खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करना चाहिए. वीबो पर दक्षिण एशिया अध्ययन समूह ने कहा, “भारत केवल रणनीतिक अवसर का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है, यह जानते हुए कि वह अब लापरवाही से काम कर सकता है. यह अवसर बस समाप्त हो गया है.” उन्होंने बताया कि निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ था.

समूह ने सुझाव दिया कि बीजिंग खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करे और भारत में सिखों के करीब लाए. लेकिन खुद को ‘दक्षिण एशिया के विशेषज्ञों’ के संघ के रूप में पेश करने वाला समूह भी इस तथ्य से बेखबर है कि खालिस्तान आंदोलन को भारत में कोई समर्थन नहीं है.

इस बीच, कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा कि चीन को इस आंदोलन का समर्थन नहीं करना चाहिए. वीबो पर 1.9 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स वाले ‘ग्नॉइंग बियर’ नाम के एक यूजर ने कहा, “यह सोचना थोड़ा मूर्खतापूर्ण है कि हम भारत में सिखों पर जीत हासिल कर सकते हैं. खालिस्तान का समर्थन करना सिर्फ भारत के लिए परेशानी पैदा करना है, और कुछ नहीं. इसलिए हमें इसमें बहुत अधिक शामिल नहीं होना चाहिए.”

CCTV, फीनिक्स टेलीविजन और CGTN जैसे चीनी सरकारी मीडिया चैनलों ने अपने टीवी प्रसारणों पर इस तनाव के हर मोड़ को कवर किया.

बीजिंग न्यूज ने WeChat पर एक बड़ी कहानी शेयर करते हुए कहा, “भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद गहरा गया है. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को रियायतें देने से इनकार कर दिया है.” इस बीच, चीनी भाषा में ग्लोबल टाइम्स ने सुझाव दिया कि अमेरिका में जो बाइडेन प्रशासन ने राजनयिक विवाद पर अपेक्षाकृत चुप्पी बनाए रखी क्योंकि वाशिंगटन भू-रणनीतिक कारणों से दिल्ली को अपने पक्ष में रखना चाहता है.

ग्लोबल टाइम्स ने कनाडा से स्पेशल रिपोर्टिंग में कहा, “सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब चीन को निशाना बनाने की बात आती है, तो भारत केवल एक छोटा सा उपद्रव कर रहा है और पूरी तरह से पश्चिम के साथ जाने और चीन का सामना करने को तैयार नहीं है.”

यहां तक ​​कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के आधिकारिक अखबार ने भी इसे कवर किया.पीपल्स डेली के एक विदेशी नेटवर्क की हेडलाइन दी गई, “770,000 सिख कनाडा और भारत के बीच झगड़ा पैदा कर रहे हैं!”

इस विवाद ने समाचार टिप्पणीकारों का भी ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने वेइबो और बिलिबिली पर वीडियो बनाए, जिसमें सिख कौन हैं, से लेकर भारत-कनाडा विवाद तक सब कुछ समझाया गया था.

भू-राजनीतिक लाभ के लिए जातीय अशांति का उपयोग करने का बीजिंग का रिकॉर्ड खराब रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसे अब हस्तक्षेप करने की कोई इच्छा नहीं है. बीजिंग ने इस विवाद को जोर-शोर से उठाने के लिए अपनी सरकारी मीडिया का उपयोग इस उम्मीद में किया है कि अमेरिका हर मुद्दे पर चीन का मुकाबला करने के लिए भारत का पक्ष नहीं लेगा.

इस बीच, भारत और कनाडा के बीच तनाव के बीच एक कहानी जिस पर पूरी तरह से ध्यान नहीं गया, वह ब्रिटिश कोलंबिया निवासी की रहस्यमय मौत थी: वेई हू, एक चीनी एक्टिविस्ट और CCP के कट्टर आलोचक. रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) चीनी नागरिक की मौत की जांच कर रही है, जो शी के ऑपरेशन फॉक्स हंट के लक्ष्यों में से एक था. यह चीनी सरकार का एक वैश्विक “भ्रष्टाचार विरोधी अभियान” है जो प्रवासियों को चीन लौटने के लिए मजबूर करता है.


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एशियाई खेलों में

अरुणाचल प्रदेश के एथलीटों के साथ चीन का व्यवहार एक बार फिर चर्चा में है. भारत ने बीजिंग पर अपने एथलीटों को चल रहे हांगझू एशियाई खेलों के लिए चीन जाने से रोकने का आरोप लगाया है. तीन महिला वुशू खिलाड़ियों, न्येमान वांग्सू, ओनिलु तेगा और मेपुंग लाम्गु को बॉर्डर पोर्ट पर उनकी मान्यता की पुष्टि नहीं होने के बाद हांगकांग के माध्यम से चीन में प्रवेश से वंचित कर दिया गया. जुलाई 2023 में, बीजिंग ने भारतीय एथलीटों को स्टेपल वीज़ा भी जारी किया था. स्टेपल वीज़ा वह होता है जिसके अनुसार वह उन लोगों को अपना ‘नागरिक’ होने का दावा करता है.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, “चीनी सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी है. दक्षिण तिब्बती क्षेत्र के अंतर्गत चीन का हिस्सा है.”

23 सितंबर 2023 को, शी ने एशियाई खेलों का धूमधाम से उद्घाटन किया, जबकि केंद्रीय खेलमंत्री अनुराग ठाकुर समारोह में शामिल नहीं हुए. भारत की ओर से एशियाई ओलंपिक परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष राजा रणधीर सिंह ने समारोह में भाग लिया, लेकिन उन्होंने शी जिनपिंग द्वारा आयोजित डिनर में शामिल नहीं हुए.

द वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार वरिष्ठ चीनी अधिकारियों को एक आंतरिक पार्टी बैठक के दौरान सूचित किया गया कि किन गैंग अमेरिका में विवाहेतर संबंध में शामिल था. कथित तौर पर हांगकांग स्थित फीनिक्स टीवी से जुड़े टीवी शो होस्ट फू जियाओटियन से जुड़े अफेयर की अफवाहें जुलाई में फैलनी शुरू हो गई थीं.

WSJ से बात करने वाले एक सूत्र के अनुसार, इस मामले को CCP द्वारा जाने दिया जा सकता था, लेकिन अमेरिका में एक बच्चे के जन्म की सूचना ने इसको लेकर जांच शुरू कर दी. चीन के विदेश मंत्री का अमेरिका में बच्चे का पिता बनना एक राजनीतिक दायित्व होगा जिसे शी बर्दाश्त नहीं कर सकते.

CCP के भीतर, असंतुष्टों को निशाना बनाने के लिए विवाहेतर संबंधों और संकीर्णता को उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया गया है. अतीत में, CCP के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने साथियों से जुड़े विवादों के बाद खुद को शर्मनाक स्थितियों में पाया है. टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई के पूर्व उपप्रधानमंत्री झांग गाओली के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप याद आते हैं.

किन के मामले में, यह संभावना कि उन्हें अमेरिका में एक बच्चा रखने के कारण बाहर कर दिया गया था, जिसे चीन के विदेश मंत्री के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता था . यह शी युग में पचाना बहुत मुश्किल होगा.

शी की व्याकुलता अब देश और विदेश में पूरी तरह प्रदर्शित हो रही है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण अफ़्रीकी पुलिस मंत्री भेकी सेले ने स्थानीय मीडिया को बताया, “चीनी एक मालवाहक विमान में अपने बिस्तर, पर्दे और कालीन लेकर उड़े.” सेले ने कहा, “उन कमरों में दक्षिण अफ़्रीका से कुछ भी नहीं था.”

शी को अपनी सुरक्षा के मामले में किसी पर भरोसा नहीं है और वह अपनी जासूसी को लेकर चिंतित रहते हैं. कहानी से पता चलता है कि वह अपने निजी और राज्य सुरक्षा मामलों को लेकर कितना संशयग्रस्त हो गए हैं.

इस सप्ताह अवश्य पढ़ें

स्पार्क्स बाय एन जॉनसन रिव्यू — चाइना अंडरग्राउंड हिस्टोरियन्स — क्रिस्टीना पैटरसन

द वन मिलियन तिबेटियन चिल्ड्रन इन चाइना बोर्डिंग स्कूल्स— ग्याल लो

चाइना अल्ट्रा-रिच जेनस फ्लोक ऑन एज ग्लोबल टेंशन राइज— सेलिना जू

(लेखक एक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं. वह पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीनी मीडिया पत्रकार थे. उनका एक्स हैंडल @aadilbrar है. उनके द्वारा व्यक्त किए विचार व्यक्तिगत हैं.)

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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