संभावना, जिसका अर्थ है “पॉसिबिलिटी” या “अवसर”, एक ऐसा शब्द नहीं है जो ग्लोबल गैदरिंग के लिए बतौर थीम तुरंत दिमाग में आता है जो भू-राजनीति और प्रौद्योगिकी की अक्सर अलग-अलग दुनिया को एक छत के नीचे लाता है. अच्छे दोस्तों, जिनमें से कई खंडित “पश्चिम” से हैं और भू-राजनीति पर फोकस करते हैं, उन्होंने ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट (जीटीएस) के लिए इस साल के सब्जेक्ट को “अजीब”, “तालमेल से बाहर”, “अवास्तविक” बताया है. तकनीक की गतिशील दुनिया में, “संभावनाएं” ही खेल का नाम है.
कार्नेगी इंडिया में हम में से जो लोग जीटीएस में व्यस्त हैं, उनका मानना है कि ग्लोबल ऑर्डर्स और अंतर्राष्ट्रीय ओरिंएटेशन में उथल-पुथल के बावजूद, संभावना के लिए जगह है. पुराने आदेशों के धर्मतंत्र को भारी झटका लगा है. यूरोप का कल्याण भविष्य संभावित रूप से अव्यवस्थित है. व्यापार और टैरिफ वॉर दुनिया भर में राष्ट्रीय और स्थानीय राजनीति में आम विषय हैं. रियल और प्रैक्टिकल बनिए और रियलिज्म को अपनाइएं — यही आज की आवाज़ है.
फिर भी, भारत और उसके बाहर — एशिया के अन्य हिस्सों में, लैटिन अमेरिका के भीतर और अफ्रीका के बड़े हिस्सों में — बदलाव के अवसरों को जब्त करने और पुराने सिद्धांतों को खत्म करने की एक ललक है, जिसने आर्थिक और तकनीकी प्रगति को धीमा कर दिया है. एक दूसरे के बिना आगे नहीं बढ़ सकता.
मुद्दा इन मौकों की तलाश करना और ग्लोबल चैंजेंस की पावर का इस्तेमाल करके घरेलू विकास के लिए लंबे समय से लंबित सुधारों को शुरू करना है, जहां कोई ब्रिज नहीं, वहां ब्रिज बनाइए और कम इस्तेमाल की जाने वाली सड़कों पर रास्ते खोजिए. आखिरकार, जैसा कि सत्ता में बैठे लोग अक्सर हमें याद दिलाते हैं, रुकावटों से दूसरे मौकों के रास्ते खुलते हैं. कई मायनों में, इन मौकों का बेहतरीन इस्तेमाल करना कूटनीतिक कौशल के कार्यों पर निर्भर है, हमारे भविष्य के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ व्यापार-नापसंद का आकलन करना और सबसे महत्वपूर्ण बात, कल्पना और रचनात्मकता को परिचालन में लाना.
यही वह भावना है जिसके साथ हमने कार्नेगी इंडिया में इस साल के जीटीएस का रुख किया है. केवल एआई के जोखिमों पर फोकस करने के बजाय, हम इसके वादे पर ध्यान केंद्रित करेंगे, केवल इस बात पर बहस करने के बजाय कि “रूल्स ऑफ रोड़” कैसे और क्यों बदल गए हैं, हम इस बात पर ध्यान देंगे कि कैसे इनोवेशन ग्लोबल डिजिटल परिवर्तन को मुक्त करने के लिए नए, स्केलेबल दृष्टिकोणों की अनुमति देते हैं, जबकि अंतरिक्ष पर बहस हमारे ब्रह्मांड को जोड़ने वाले विभिन्न सितारों के बीच फंसी हुई है, हम सहयोग के लिए प्रौद्योगिकियों के निर्माण पर विचार करते हैं और उन्हें जिनेवा, वियना और अन्य मानदंड बनाने वाले अधिकार क्षेत्रों में नॉर्म मेकिंग ज्यूरिस्डिक्शन में कैसे लिखा जाना चाहिए.
जलवायु परिवर्तन के प्रति उत्साही लोग संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर निकलने से स्तब्ध हैं, लेकिन हम इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि जलवायु परिवर्तन के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) किस तरह से पार्टियों के सम्मेलन को बचा सकती है. कूटनीति में अभिनव द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यवस्थाएं भारत की प्रौद्योगिकी-प्रथम प्रगति को आकार देती हैं, हम इस बात पर अड़े हुए हैं कि ये तंत्र और उनके सुधार संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ कैसे सफल हो सकते हैं — भारत का सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार.
हम यूरोप के साथ, क्वाड के भीतर, उभरती अर्थव्यवस्थाओं में और ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम के साथ कई नए गठबंधनों के माध्यम से साझेदारी पर भी ध्यान देंगे. इनमें से हर वेक्टर में, हमारा लक्ष्य पॉलिसी नीडल को आगे बढ़ाना, ब्रिज बनाना और यहां तक कि अमेरिकियों और यूरोपीय लोगों को तकनीक के भविष्य पर चर्चा करने के लिए एक साथ बैठाना है, भले ही बंद दरवाजों के पीछे.
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भू-राजनीति से लेकर ज़मीनी स्तर तक
सहज स्तर पर, जीटीएस विभिन्न राष्ट्रीयताओं, सरकारों और मार्केट को उन विभिन्न तरीकों के प्रति संवेदनशील बनाने के मिशन की भी सेवा करता है, जिनसे भू-राजनीति ग्लोबल और लोकल के बीच तकनीकी परिवर्तन को आकार देती है. ये प्रभाव, कम से कम एक विशिष्ट अवधि के लिए, वायदा बाज़ार को बना या बिगाड़ सकते हैं, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के पुनर्निर्धारण, संप्रभु विकल्पों को त्यागने, तथा संभावित रूप से बाज़ार को तोड़ने में सहायक हो सकते हैं.
एक उदाहरण लीजिए.
नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग के दौरान डिनर के दौरान एक बड़ी प्रौद्योगिकी फर्म के सीनियर ऑफिसर ने फुसफुसाते हुए मुझसे कहा: “केवल भारत में ही मुझे आशावाद की भावना महसूस होती है.” संबंधित अधिकारी को अलग-अलग तरीके दिखाए गए थे जिनसे ओपन-सोर्स तकनीकें पूरे भारत में किसानों और टीचर्स की ज़िंदगी को बदलने लगी हैं. फिर भी, जो बात अक्सर कम क्लियर है, खासकर बे एरिया या बेंगलुरु के डेवलपर्स के लिए, वह यह है कि ये ज़िंदगी बदलने वाली तकनीकें भू-राजनीति के लिए समान रूप से बंधक हैं. अधिकारी ने स्वीकार किया, “मुझे नहीं लगता कि ओपन-सोर्स तकनीकों पर एक्सपोर्ट कंट्रोल के खतरे ने भारत के इंजीनियरों और सरकारी अधिकारियों को इस हद तक चिंतित किया होगा.”
मैंने उस शाम बाद में उनकी टिप्पणियों को शब्दशः लिखा. ऐसा करते हुए, मुझे भी हमारे वर्तमान युग के बारे में हैरानी हुई, जहां ग्रामीण भारत में एक किसान की ज़िंदगी — 20 से अधिक भाषाओं में एक फीचर फोन पर फसल कटाई की जानकारी प्राप्त करना, प्रासंगिक एआई का काम — स्पष्ट रूप से वाशिंगटन डीसी में अधिकारियों से जुड़ा हुआ है, जो एक्सपोर्ट कंट्रोल के बारे में सोच रहे हैं.
क्या एक किसान एक्सपोर्ट कंट्रोल की राजनीतिक रूप से थकाऊ दुनिया को समझ पाएगा जब उसका फोन मैसेज भेजना बंद कर देगा? क्या डी.सी. में बैठा कोई नेकदिल अधिकारी पूरी तरह से समझ पाएगा कि बिहार, कर्नाटक या ओडिशा में फीचर फोन पर कानूनी कार्रवाई और कार्यकारी आदेश कैसे असर डालते हैं? दोनों ही मामलों में जवाब है नहीं, लेकिन दोनों एक दूसरे से बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं. भू-राजनीति की निराशा के साथ-साथ वादे और अवसर भी मौजूद हैं.
तेज़ी से बदलती भू-राजनीति के इस दौर में संभावनाएं तलाशना आसान नहीं होगा, लेकिन जैसा कि जीटीएस के पिछले आठ एडिशन ने हमें साबित किया है, संभावनाएं अपार हैं. 45 से ज़्यादा देशों के सरकारी प्रतिनिधि, टेक्नोक्रेट, टेक्नोलॉजिस्ट और एक्सपर्ट्स तीन दिन बहस, वाद-विवाद और शायद सहयोग के अलग-अलग रास्तों और नए मार्केट के लिए अलग-अलग रास्ते पर सहमत होने में बिताएंगे. जैसे-जैसे राजनयिक इंजीनियरों से मिलेंगे और जियोपॉलिटिकल गुरु तकनीकी वास्तुकारों के साथ कार्ड्स एक्सचेंज करेंगे, हमारी उम्मीद है कि मौकों की तलाश होगी और लगभग बराबर सौदे किए जाएंगे. अगर मैं अपनी राष्ट्रवादी सोच के लिए क्षमा चाहूं तो कहूंगा कि इस समय ये तीक्ष्ण और ईमानदार भू-तकनीकी आदान-प्रदान केवल भारत में ही संभव है और वह भी जीटीएस में.
(लेखक कार्नेगी इंडिया के डायरेक्टर हैं. उनका एक्स हैंडल @Rudra_81 है. लेख में व्यक्त किए गए विचार उनके निजी हैं. वे ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट के को-होस्ट, भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. यह भी ज़रूरी नहीं कि GTS का नेतृत्व करने वाले कार्नेगी इंडिया फैकल्टी के विचारों को दर्शाते हों.)
दिप्रिंट, कार्नेगी इंडिया द्वारा आयोजित ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट 2025 का डिजिटल पार्टनर है.
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