scorecardresearch
Thursday, 18 April, 2024
होममत-विमतआलिया भट्ट एक और विक्टिम हैं जो प्राइवेसी वॉर हार गईं; स्पैमर, पपराज़ी जीत गए हैं

आलिया भट्ट एक और विक्टिम हैं जो प्राइवेसी वॉर हार गईं; स्पैमर, पपराज़ी जीत गए हैं

चाहे वह आलिया भट्ट की उनके घर पर चोरी-छिपे फोटो खिंचवाने की बात हो या आम नागरिकों के साथ धोखाधड़ी, हमारे साथ कमोडिटी के रूप में व्यवहार किया जाता है. हम प्राइवेसी वॉर हार गए हैं.

Text Size:

बॉलीवुड अदाकारा आलिया भट्ट ने हाल ही में अपनी निजता पर हमले के बारे में इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया: “किस दुनिया में यह ठीक माना जाता है और कहां पर इसकी परमिशन है?”

भट्ट नाराज थीं क्योंकि दो फोटोग्राफर उनके घर के बगल वाली इमारत में गए थे जहां वह रहती थीं, अपने कैमरों को उनके घर के तरफ करके तस्वीरें लीं. शर्मनाक रूप से, कोई संपादकीय निर्णय नहीं लिया गया था और इन तस्वीरों को तब ऑनलाइन किया गया था, जिन्हें बाद में बिना किसी स्पष्टीकरण या माफी के चुपचाप हटा दिया गया था.

भट्ट की नाराजगी जायज और समझ में आने वाली है. किसी भी मानक के अनुसार, उसके साथ जो हुआ वह शर्मनाक और पूरी तरह से अस्वीकार्य था. और फिर भी, कम से कम वैश्विक संदर्भ में, यह मिसाल के बिना नहीं है.

यूरोप में, पपराज़ी के लिए निजी जगहों पर मशहूर हस्तियों की तस्वीरें लेना सामान्य बात है. ब्रिटिश शाही परिवार इससे काफी सबसे बुरी तरह प्रभावित रहा है. कुछ दशक पहले, एक यूरोपीय फ़ोटोग्राफ़र ने एक लंबे लेंस वाले कैमरे से डचेस ऑफ़ यॉर्क सारा फर्ग्यूसन की तस्वीरें लीं, जिसमें उनेक पैर की उंगलियों को उनके ‘वित्तीय सलाहकार’ जॉन ब्रायन द्वारा चूसे जाने की तस्वीरें थीं, हालांकि, उनको लग रहा था कि वे अकेले में अपना समय बिता रहे हैं.

वेल्स की वर्तमान राजकुमारी कैथरीन को इन्ही वजहों से काफी परेशानी का सामना करना पड़ा: एक फ्रांसीसी फोटोग्राफर ने उसकी टॉपलेस तस्वीरें खींचीं जब वह छुट्टी पर थीं. प्रिंस चार्ल्स (अब किंग चार्ल्स) और राजकुमारी डायना दोनों के पास ब्रिटिश मीडिया आउटलेट्स द्वारा प्रसारित निजी फोन वार्तालापों की टेप रिकॉर्डिंग थी.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

उन सभी मामलों में, मीडिया घुसपैठ के शिकार लोगों का मानना था कि वे निजी स्थानों पर थे और उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कोई फोटोग्राफर या फोन टैपर होगा. उनकी फोन पर बातचीत की तस्वीरें खींचना या रिकॉर्ड करना पहले से ही निजता का हनन था. तब लाभ के लिए तस्वीरों या टेप रिकॉर्डिंग को प्रकाशित करना व्यक्ति की निजता की अवधारणा का भारी उल्लंघन था.

मीडिया आमतौर पर दो बातें कहकर अपना बचाव करने की कोशिश करता है. सबसे पहले, जब आप एक सेलिब्रिटी बन जाते हैं, तो आप निजता का अधिकार खो देते हैं और उनकी फोटोज़ खींचना गलत नहीं है. यह निश्चित रूप से बकवास है. जब वे एक फिल्म में अभिनय करते हैं, तो कोई सेलिब्रिटी नहीं कहता है, “ठीक है, अब आप मेरी नग्न तस्वीरें ले सकते हैं जब भी मुझे लगता है कि मैं अकेला हूं.”

दूसरा बचाव यह है कि ये टेप रिकॉर्डिंग “सार्वजनिक हित में” हैं. यह भी बेकार की बात है. सार्वजनिक हित हर उस चीज़ को नहीं कहा जा सकता जो “जनता को पसंद है”. यह तर्क देना कि चूंकि मीडिया को जो भी पता चलता है वह ऐसी जानकारी है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करती है और इसकी वजह से किसी की निजता पर हमला किया जा सकता है, यह एक फर्जी बचाव है जो 99 प्रतिशत मामलों में लागू नहीं होता है. किसी के ब्रेस्ट यानी स्तनों की भद्दी तस्वीर से या चुपके से रिकॉर्ड किए गए निजी फोन कॉल से किसी भी राष्ट्र को लाभ नहीं होता है.

पश्चिम में, राजकुमारी डायना की मृत्यु के बाद पपराज़ी संस्कृति के खिलाफ भारी प्रतिक्रिया हुई. कुछ सीमाएं निर्धारित की गई थीं. डायना के बेटे प्रिंस विलियम ने अपनी पत्नी कैथरीन की टॉपलेस तस्वीरें छापने वाली फ्रांसीसी पत्रिका पर मुकदमा दायर किया. और किसी भी ब्रिटिश फ़ोटोग्राफ़र के लिए किसी के प्राइवेट स्पेस में घुसना या कोई भी पब्लिकेशन अगर किसी की निजी बातचीत की टेप रिकॉर्डिंग करता है तो वह परेशानी में पड़ सकता है. कैथरीन के मामले में, ब्रिटिश अखबारों ने फ्रांसीसी पत्रिका द्वारा बाद में प्रकाशित नग्न तस्वीरों को स्वीकार करने से मना कर दिया था.


यह भी पढ़ेंः ‘मार्क्सवादियों को बाहर कर सावरकर और हिंदू साम्राज्यों पर जोर’, भगवा हो गई हैं ICHR की दीवारें


भारत में निजता के हनन का संस्थागत होना

अफसोस की बात है कि भारत में हमारे पास निजता की कोई अवधारणा नहीं है. इस मुद्दे पर शायद ही कभी चर्चा होती है. जहां तक मैं जानता हूं, किसी भी मीडिया संगठन में पत्रकारों को इस बात की ट्रेनिंग नहीं दी जाती है कि वैध रिपोर्टिंग क्या होती है और पीछा करना या निजता पर हमला क्या होता है. रिपोर्टर, फ़ोटोग्राफ़र और संपादक जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं, वैसे-वैसे अपने नियम बनाते हैं.

जब हम गोपनीयता के बारे में बहस करते हैं, तो वे केवल डेटा सुरक्षा से संबंधित होते हैं. डिजिटल युग में, यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और वर्तमान में जिस बिल पर चर्चा की जा रही है, उसे बड़ी टेक कंपनियों द्वारा हमारी डिजिटल गोपनीयता पर हमले में मदद मिलनी चाहिए.

लेकिन जैसा कि हम डिजिटल मुद्दों पर चर्चा करते हैं, हम दैनिक आधार पर अन्य क्षेत्रों में अधिक से अधिक गोपनीयता खो देते हैं. सेलिब्रिटीज और मीडिया सिर्फ एक क्षेत्र हैं. उस तरीके के बारे में क्या जिससे हम सभी ने अपने फोन को नियंत्रित करने का अधिकार खो दिया है?

एक दशक पहले, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने स्पैम मैसेज को नियंत्रित करने वाले नियमों को लागू करने का प्रयास किया था. यह एक सोचा-समझा प्रयास था लेकिन जल्द ही इसको लेकर भी उत्साह खत्म हो गया. अब, हममें से अधिकांश अब फोन पर मैसेजिंग की सुविधा का उपयोग नहीं करते खासकर तब जब यहां कॉमर्शियल मैसेजेज़ की भरमार है. अगर हम अपने दोस्तों के साथ संवाद करना चाहते हैं, तो हम एसएमएस या आईमैसेज नहीं करते हैं. हम व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं. ट्राई ऐसा होने देकर खुश है, समय-समय पर टेलीकॉम कंपनियों को स्पैमर्स पर नकेल कसने के निर्देश दे रहा है. और फोन कंपनियां इसे प्रोत्साहित करती हैं क्योंकि इसी तरह वे पैसे कमाते हैं.

रोबोकॉल के बारे में क्या? निश्चित रूप से यह किसी की निजता पर भारी आक्रमण है? और वे सभी फोन कॉल सेंटरों से आते हैं जहां लोग आपको लोन देने की कोशिश करते हैं, आपको अपनी प्रॉपर्टी बेचने का ऑफर करते हैं और खुद की थर्ड क्लास चीजों को भी बेचने की भी कोशिश करते हैं.

सैद्धांतिक रूप से यदि आप डू नॉट डिस्टर्ब पर रजिस्टर कर लेते हैं तो, आपको इनमें से कोई भी कॉल नहीं आनी चाहिए. पर वास्तव में यह एक मजाक है. यह आपको कॉल करने से किसी को नहीं रोकता है. जब आप इन परेशान करने वाले कॉलर्स को बताते हैं कि वे ऐसा करने की वजह से मुसीबत में पड़ सकते हैं तो वे या तो न समझने का नाटक करते हैं या आपके चेहरे पर ही हंसने लगते हैं.

इससे लगता है कि ट्राई या तो इसे रोकने में अक्षम है या तो निष्प्रभावी. इसलिए, हमने सरकार से अपनी निजता की सुरक्षा की उम्मीद नहीं करना सीख लिया है और आधिकारिक सुरक्षा के अभाव में स्पैमर, स्कैमर बन गए हैं.

इसके अलावा बिक्री कॉल से लेकर धोखाधड़ी वाली कॉल्स तक आनी शुरू हो गई हैं जहां लोग आपको इस तरह से पट्टी पढ़ाने की कोशिश करते हैं कि आप उनको अपने बारे में व्यक्तिगत जानकारी उन्हें दे दें ताकि वे आपके बैंक खातों में घुस सकें.

गोपनीयता पर आक्रमण अब इतना संस्थागत हो गया है कि कई दुकानों पर वे आपको कुछ भी खरीदने से पहले आपका फोन नंबर मांगेंगे. उन्हें लेन-देन के लिए वास्तव में आपके नंबर की जरूरत नहीं है. वे इसे अपने पास सेव कर लेते हैं ताकि वे आपको स्पैम कर सकें. और उनमें से कई आपका नंबर किसी को भी बेच देते हैं, यही कारण है कि इतने सारे स्कैमर्स आपके नंबर तक पहुंच जाते हैं.

आप यह तर्क दे सकते हैं कि एक फिल्म स्टार के घर में हाई-पावर्ड कैमरे से फोटो खींचना और आपका फोन डिटेल किसी को बेचना एक ही बात नहीं है. लेकिन बारीकी से देखा जाए तो दोनों एक ही जैसे हैं

क्योंकि ये दोनों ही वे व्यक्ति की निजता का सम्मान न किए जाने की धारणा से ही उपजे हैं.

आज के भारत में, हम सभी वस्तुएं हैं. जो लोग हमारी निजता में दखल देते हैं वे लगभग हमेशा व्यावसायिक कारणों से ऐसा करते हैं. घटिया फोटोग्राफरों को उनकी आपत्तिजनक तस्वीरों के लिए पैसे मिलते हैं. फोटोग्राफरों को भुगतान करने वाले पब्लिकेशंस इन फोटोज़ को पब्लिश करके और भी ज्यादा पैसा कमाने की उम्मीद करते हैं. स्पैमर जो हमें मैसेज और कॉल्स के जरिए हमें परेशान करते हैं, वे ऐसा विशुद्ध रूप से व्यावसायिक कारणों से करते हैं. और स्कैमर्स जो हमें कॉल करके हमारी निजी जानकारी लेने की कोशिश करते है, वे हमारे पैसे चुराने के लिए ऐसा करते हैं.

एक दशक पहले, मैंने स्पैम एसएमएस के खिलाफ एक अभियान चलाया और उस समय के ट्राई ने आखिरकार कुछ कार्रवाई की. लेकिन नागरिकों की मदद करने और उनकी रक्षा करने का आग्रह बहुत पहले बीत चुका है. अब, सरकार को हमारी रक्षा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. हम अपने दम पर हैं.

इसलिए, अपनी निजता को अलविदा कहें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप आलिया भट्ट हैं या भारत के अनजान नागरिक हैं. हम अधिकारों और गरिमा के साथ व्यक्तियों के रूप में न कि वस्तुओं के रूप में व्यवहार किए जाने की लड़ाई हार गए हैं.

और स्कैमर्स, स्पैमर व पापराज़ी जीत गए हैं.

(संपादनः शिव पाण्डेय)


यह भी पढ़ेंः असम में गिरफ्तार किए जाने पर पवन खेड़ा बोले- ‘यह एक लंबी लड़ाई है, मैं लड़ने के लिए तैयार हूं’


 

share & View comments