पिछले गुरुवार को अहमदाबाद में एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान उड़ान भरने के एक मिनट से भी कम समय बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया. जहाज में 242 लोग सवार थे और विमान में 1.25 लाख लीटर जेट एविएशन ईंधन भरा हुआ था. द्वारकाधीश की धरती पर जान गंवाने वालों की आत्माओं को भगवान कृष्ण शांति प्रदान करें.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने इस भयानक त्रासदी की जांच की घोषणा की है. सभी ड्रीमलाइनर विमानों की तत्काल प्रभाव से अतिरिक्त रखरखाव जांच की जाएगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह दुर्घटना थी, छेड़छाड़ थी या कुछ और भयावह था. ब्लैक बॉक्स और डीवीआर बरामद कर लिए गए हैं. दुर्घटना की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए, न कि ‘पायलट की गलती’ या एयर इंडिया की कथित अक्षमता पर दोष मढ़ने की बड़ी कवायद के जरिए इसे छुपाया जाना चाहिए.
ऐसे दुखद समय पर देश को एकरूपता की आवश्यकता है. एक देश के रूप में, हमें अच्छे से समीक्षा करने और ब्रांड इंडिया और मल्टी-अरब डॉलर के भारतीय एविएशन मार्केट पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में सोचने की ज़रूरत है.
ब्रांड इंडिया को दाग
सोशल मीडिया पर पोस्ट में एयर इंडिया दुर्घटना का मज़ाक उड़ाया गया है — ‘करी एयरलाइंस’ और ‘चटनी पायलट’ और सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि एयर इंडिया महाराजा को मल से सने विमान में सवार दिखाया गया है. रचनात्मक कहानियां कहने का तरीका मार्केटिंग की दुनिया का मुख्य आधार है और ब्रांड इंडिया को बदनाम करने के लिए कथित कवर-अप का नैरेटिव गढ़ा जा रहा है.
अज्ञात सोशल मीडिया अकाउंट उभरते महाराजा को नीचे गिराने के लिए “बहुत ज़्यादा चटनी” का नैरेटिव गढ़ रहे हैं. इस महत्वपूर्ण त्रासदी के सामने, ज़हरीले तीखे हमले — जिसमें “गंध की कल्पना करें”, “क्या पायलट नशे में था?” “बहुत ज़्यादा चटनी?” और “भारतीयों ने उस विमान के लिए सॉफ्टवेयर लिखा” जैसी टिप्पणियां शामिल हैं जिनकी इंटरनेट पर बाढ़ आ गई है.
भारत की सांस्कृतिक पहचान के बारे में नस्लवादी टिप्पणियां भी की गई हैं “बदबू इतनी बुरी थी कि सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया”, और “भगवान का शुक्र है कि आसमान में एक आक्रमणकारी मशीन कम हो गई”, यह मुझे हैरान करता है कि दुनिया कहां जा रही है?
जानमाल के भारी नुकसान के साथ ही हादसा भारत की छवि भी बिगाड़ने का प्रयास है. 70 साल के वित्तीय कुप्रबंधन और यूरोप और उत्तरी अमेरिका में प्रमुख स्थानों के नुकसान से पहले से ही जूझ रही एयर इंडिया को और परेशानी में मत डालिए.
ब्रांड इंडिया में विविधता
भारत की एविएशन इंडस्ट्री दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने मेक इन इंडिया को बहुत बढ़ावा दिया है और हम बड़ी सफलताएं देख रहे हैं, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर ने साबित किया है. स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइल और ड्रोन ने दिन और देश को बचाया. हमारे पास डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिक थे, जिन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में इनोवेशन का नेतृत्व किया. हमारे वैज्ञानिकों, अंतरिक्ष यात्रियों और एयरोस्पेस इंजीनियरों, जैसे कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स ने अन्य देशों के लिए अंतरिक्ष पहल का नेतृत्व किया है. स्वदेशी कमर्शियल जेटलाइनर को इंजीनियर करने के लिए एक जैसी सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता है?
हमारे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) और टाटा के पास कुछ सबसे प्रतिभाशाली विमानन इंजीनियर हैं — और वह कमर्शियल जहाजों के निर्माण में उनकी विशेषज्ञता का उपयोग कर सकते हैं. HAL विमान का उत्पादन कर सकता है क्योंकि इसने पहले भारत के पहले लड़ाकू जेट HF-24 मारुत का निर्माण किया है.
सरकार ने भारतीय वायुयान विधायक विधेयक 2024 पारित किया है, जिसमें आत्मनिर्भर भारत पहल के साथ विमान डिजाइन और विनिर्माण को विनियमित करने के प्रावधान शामिल हैं. आज भारत में कमर्शियल जहाजों की मांग 1,200 से अधिक है और मेक इन इंडिया के लिए इस प्रयास से एयरबस और बोइंग जैसे वैश्विक समूहों पर निर्भरता कम होनी चाहिए, जिनका विमान बाजार पर दबदबा है.
यात्री विमानन के लिए व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य जेट का उत्पादन करना भारत के लिए कितना कठिन होगा? आधुनिक तकनीक, जैसे कि 3डी प्रिंटिंग क्षमता और मित्र देशों के साथ तकनीकी गठजोड़, आसानी से भारत में निर्मित लंबी दूरी के वाहक बनाने के लिए भारतीय बुद्धिमत्ता को जोड़ सकते हैं. सार्वजनिक-निजी भागीदारी ने हवाई अड्डों, सड़कों और बंदरगाहों में विकसित भारत 2047 मिशन को सफलतापूर्वक बदल दिया है. डालमिया, बिड़ला, अडाणी, अंबानी, शापूरजी पल्लोनजी और गोदरेज जैसे औद्योगिक दूरदर्शी इसे राष्ट्र की सेवा के रूप में पेश करने पर विचार कर सकते हैं.
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मेक इन इंडिया, ग्लोबल बनो
मेक इन इंडिया के लिए एक मजबूत मामला है — भारतीय खरीदें, स्थानीय के लिए मुखर सोचें — और हम सभी को यह मांग करनी चाहिए कि हमारे आसमान में निहित स्वार्थ वाले घुसपैठिए न हों, जबकि घरेलू और यात्रियों और व्यवसायों का स्वागत हो. प्रमुख व्यावसायिक घरानों के साथ एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी डीआरडीओ के कावेरी इंजन को व्यावसायिक बढ़ावा दे सकती है, जिसे तेजस लड़ाकू विमानों के लिए बनाया गया है. इसरो और विप्रो 3डी ने पीएसएलवी के लिए पीएस4 इंजन को 3डी-प्रिंट करने के लिए साझेदारी की है और अग्निकुल, एक भारतीय स्टार्टअप, रॉकेट इंजन का निर्माण कर रहा है, यह सब केवल पैसे के बारे में नहीं है यह देश के स्वाभिमान तथा सुरक्षा से संबंधित है, तथा विमान उद्योग के तेज़ी से बढ़ने के उम्मीद है इसलिए तैयारी भी पुख्ता होनी चाहिए.
भारत पहले से ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा सबसे बड़ा और सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला एविएशन मार्केट है, जिसका मूल्य वित्त वर्ष 25 में 16 बिलियन डॉलर है. 2033 तक इसके तीन गुना बढ़ने की उम्मीद है. प्रति मिलियन यात्रियों पर दुर्घटनाओं के आंकड़ों से पता चलता है कि हवाई दुर्घटनाओं के मामले में भारत तुलनात्मक रूप से सुरक्षित है. भारत को एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सुविधाएं) और उड़ान अकादमियों पर काम करके इसकी शुरुआत करनी चाहिए. भारतीय उद्योग के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विमानन उद्योग साझेदारी कर सकता है और भारत को आपूर्ति श्रृंखला और विनिर्माण केंद्र का हिस्सा बनाकर इस आकर्षक पाई का एक टुकड़ा हासिल कर सकता है.
वर्तमान में इंडिगो के पास 60 प्रतिशत बाज़ार है, जबकि एयर इंडिया समूह (विस्तारा और एयरएशिया सहित) के पास केवल 25 प्रतिशत है. स्पाइसजेट और गोएयर पर्याप्त प्रतिस्पर्धी नहीं हैं. यह उल्लेखनीय है कि इंडिगो का अपना नेटवर्क केवल मध्य पूर्व तक फैला हुआ है. आगे की यात्रा के लिए भारतीय यात्री अन्य एयरलाइनों की ओर रुख करते हैं. भारतीय व्यवसायों को इस बहु-अरब डॉलर के उद्योग का लाभ उठाना चाहिए.
पायलटों का अपमान न करें
आखिर में, ब्लैक बॉक्स और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर से निकाले गए एविएशन डेटा के माध्यम से उपलब्ध कराई गई प्रामाणिक रिपोर्ट के के बिना अटकलें लगाई जा रही हैं. कैप्टन सुमीत सभरवाल, जिनका निधन हो गया है, कोई नौसिखिया नहीं थे. परिपक्व और अनुभवी, कैप्टन सभरवाल के पास 8,200 घंटे की उड़ान का अनुभव था और वे एविएटर के परिवार से थे — उनके पिता DGCA से सेवानिवृत्त हुए थे.
प्रथम अधिकारी क्लाइव कुंदर को उनके प्रोफेसरों द्वारा प्रतिभाशाली और अनुशासित के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने एक समर्पित पेशेवर के रूप में 1,100 घंटे उड़ान भरी थी. उड़ान भरने के 30 सेकंड बाद उनका ‘मेडे’ कॉल विमान की खराबी का संकेत देता है.
यह कैसे संभव है कि जिस देश में प्रतिदिन 3,161 वाणिज्यिक उड़ानें (नवंबर 2024 तक) उड़ान भरती हैं — अकेले अहमदाबाद से 269 — एक अनुभवी पायलट एक परिष्कृत ड्रीमलाइनर के कुछ सेकंड में नियंत्रण खो सकता है? भारत में वर्तमान में 7,000-8,000 प्रशिक्षित और योग्य पेशेवर पायलट हैं. नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू के अनुसार, अगले 20 साल में देश को 30,000 पायलटों की ज़रूरत होगी. भारत विदेशों में पायलटों का निर्यात करता है और मांग को पूरा करने के लिए बेहतर कौशल विकास और प्रशिक्षण की तत्काल आवश्यकता है.
हमें पायलटों का अपमान करने और इस तरह की विफलता के लिए कोई उचित स्पष्टीकरण न होने पर दोष मढ़ने के प्रयासों का दृढ़ता से विरोध करना चाहिए. आखिरकार, “मृत व्यक्ति कोई कहानी नहीं बता सकते.”
(मीनाक्षी लेखी भाजपा की नेत्री, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उनका एक्स हैंडल @M_Lekhi है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)
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