scorecardresearch
Saturday, 27 April, 2024
होममत-विमत2जी पर फैसला यदि पहले आता, गुजरात चुनाव के नतीजे कुछ अलग ही होते

2जी पर फैसला यदि पहले आता, गुजरात चुनाव के नतीजे कुछ अलग ही होते

Text Size:

पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय और भाजपा को देश से माफी मांगने की जरूरत है, कांग्रेस प्रवक्ता कहते हैं.

भारत के पूर्व कैग विनोद राय को खड़े होकर इस देश से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए.

वह उस निराधार 1.76 लाख करोड़ के सिद्धांत के जनक हैं, जिसके इर्द-गिर्द 2जी स्पेक्ट्रम का पूरा सर्कस खड़ा हुआ. मुझे संयुक्त संसदीय समिति में उनसे सवाल पूछना याद आता है, जब हमने उस वक्त ही पूरी तरह उस सिद्धांत को ध्वस्त कर दिया था. यह तो साफ था कि उन्होंने जो काल्पनिक आंकड़ें बताए थे वो पूरी तरह निराधार थे. इसी तरह, विशेष अदालत ने मामले मे आरोपित सभी लोगों को छोड़ दिया, क्योंकि किसी के खिलाफ सबूत नहीं थे. राय ने इन आरोपों के साथ कैग की छवि को धूमिल किया.

भाजपा को भी देश से माफी मांगनी चाहिए. मुझे याद है कि उन्होंने नवंबर 2010 में एक पूरा संसद-सत्र ही नहीं होने दिया था- विनोद राय के सार्वजनिक आरोपों को आधार बनाकर. आखिरकार, सात वर्षों के बाद सत्य की जीत हुई है.

कहीं कोई घोटाला नहीं था. यह बस कैग की कल्पना का एक रूपाकार था. यदि यह फैसला एक सप्ताह पहले आता तो गुजरात चुनाव के नतीजे बहुत अलग रहते.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

आज अगर किसी के चेहरे पर सबसे चौड़ी मुस्कान होगी, तो वह कपिल सिब्बल होंगे, जिन्होंने तब ‘ज़ीरो लॉस’ की बात कही थी। हमारे कई नेता, जो उस वक्त विनोद राय और भाजपा की बकवास को खारिज कर रहे थे, भी कोर्ट के फैसले से सही साबित हुए हैं.

इस फैसले का राजनीतिक प्रभाव यह है कि भाजपा को देश से माफी मांगने की जरूरत है. अरुण जेटली राज्यसभा में और सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष की नेत्री थीं, जब इन मिथकीय आंकड़ों के आधार पर पूरा का पूरा संसदीय सत्र ये लोग धो डालते थे. पिछले सात साल से एक निराधार बात को चलाते रहने की जिम्मेदारी लेने के बजाय अब ये लोग सुप्रीम कोर्ट के कंधे पर बंदूक रखकर चलाना चाहते हैं.

यह अतिशय दुर्भाग्यपूर्ण है. एक ट्रायल कोर्ट, जिसने सारे सबूतों की परीक्षा की, ने आखिरकार निष्कर्ष दिया कि कहीं कुछ था ही नहीं. यह एक ऐसा सिद्धांत था, जिसकी कानून में कोई जगह ही नहीं है और इसीलिए आखिरकार यह ताश के पत्तों की तरह ढह गया. उन्होंने यह पूरा प्रचार इस झूठ के गिर्द बुना कि संप्रग की सरकार बुरी तरह भ्रष्ट थी, लेकिन सत्य अब सामने आ रहा है.

किसी को सचमुच उन सभी जांच एजेंसियों के खिलाफ मानहानि के अभियोजन वाले मामले दर्ज करने चाहिए, जिन्होंने पूरी तरह से निराधार चार्जशीट बनायी. किसी को उन सभी मीडिया हाउस के खिलाफ भी मानहानि का दावा करने की सोचना चाहिए, जिन्होंने निर्दोष लोगों के नाम को कलंकित किया.

राय के आरोपों ने कैग नामक संस्थान को क्षति पहुंचाई, क्योंकि यह कोई अकेली रिपोर्ट ऐसी नहीं थी, जो उन्होंने दी. वह एक औऱ ऐसी ही रिपोर्ट लेकर आए, जिसमें कहा कि लगभग एक लाख 76 हज़ार करोड़ का नुकसान हुआ है. उनका पूरा कार्यकाल राजनीतिक दुर्भावना से भरा हुआ है और उन सभी रिपोर्ट को फिर से देखने की जरूरत है.

इसने अवश्य ही गुजरात चुनाव को प्रभावित किया होता और जितना कुछ नरेंद्र मोदी ने आम चुनाव के दौरान कहा, वह बुलबुला फूट गया होता. इसीलिए, अगर फैसला एक सप्ताह पहले आ जाता, तो कांग्रेस पार्टी निश्चित तौर पर गुजरात में बहुमत से आती. यह उस पूरे प्रवादी ढांचे को भी खत्म कर देता है, जिसे भाजपा ने व्यवस्थित ढंग से बनाया और जिसमें उसकी सहायता काफी अच्छी तरह ‘उत्तर कोरियाई’ टेलीविजन चैनलों ने की और मीडिया व सोशल मीडिया पर ट्रोल सेना को सक्रिय रखा.

मनीष तिवारी कांग्रेस के प्रवक्ता हैं और वह 2जी घोटाले पर बनी संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य भी थे.

share & View comments