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Sunday, 3 November, 2024
होममत-विमतआखिर क्यों राहुल गाँधी की नेतागिरी और कपड़ों के बीच नहीं है कोई तालमेल

आखिर क्यों राहुल गाँधी की नेतागिरी और कपड़ों के बीच नहीं है कोई तालमेल

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भारत के सबसे सफल राजनेता, नरेन्द्र मोदी, राजनीति की दुनिया में सबसे फैशनेबल राजनेता हैं। वे राजनीतिक पोशाक के नियमों को जानते हैं।

राजनीतिक पोशाक के तीन नियम होते हैं।

सबसे पहले तो आपको शानदार पोशाक पहननी चाहिए। यदि आप अच्छी तरह से तैयार रहते हैं तो आप लोगों पर इस बात का प्रभाव डालते हैं कि आप अपनी जीवन पर पूर्णतया नियंत्रण रखते हैं। अगर आप पर देश चलाने की जिम्मेदारी है तो लोग आप भरोसा कैसे करें, जब उनको यह पता चलता है कि आपको अपने ही जीवन पर नियंत्रण नहीं है?

दूसरा, आपको कपड़े बदल-बदल कर पहनने चाहिए। अगर आप हर राजनेता की तरह केवल सफेद कुर्ता पायजामा पहनते हैं तो राजनेताओं की भीड़ से स्वयं को अलग कैसे दिखाएंगे? और यदि आप दूसरों से कुछ अलग नहीं दिखाई देंगे तो आप लोगों का ध्यान कैसे आकर्षित करेंगे?

तीसरा, जितना अधिक संभव हो सके आपको प्रतिदिन एक ही प्रकार की पोशाक पहननी चाहिए। हर समय एक ही प्रकार की पोशाक पहनना आपको सुसंगत बनाता है। जब आप सुसंगत दिखते हैं तो लोग जानते हैं कि उनको आपसे क्या उम्मीद रखनी चाहिए। सुसंगत से विश्वास कायम होता है।

भारत के सबसे सफल राजनेता, नरेन्द्र मोदी, भारतीय राजनेताओं में फैशन के मामले में शीर्ष पर हैं। वे इसके नियमों को जानते है।

नरेंद्र मोदी|पीटीआई

क्या आपको नरेन्द्र मोदी को सफेद-कुर्ता पायजामा में देखना याद है, जो कि भारतीय राजनीति का मापदंड है? वह अधिकांशतः सफेद चूड़ीदार के साथ रंगीन कुर्ता पहनते हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी आधी बाँहों का कुर्ता पहनते थे।

पोशाक से होती है आदमी की पहचान

पोशाक आपकी उस छवि को लोगों पर चित्रित करने में मदद करती है जो आप स्वयं से चाहते हैं। रणवीर सिंह अक्सर मसखरे जैसे कपड़े पहनते हैं क्योंकि वह बहुत ही कूल दिखना चाहते हैं। सलमान खान हमेशा कसी टी-शर्ट पहनते हैं क्योंकि वह अपने शरीर के रख रखाव और दबंगपन को दिखाना चाहते हैं। आपकी पोशाक वही होती है जो आप होते हैं।
मोदी का आधी बाँहों का कुर्ता पहनना लोगों पर इस बात का प्रभाव छोड़ता है कि यह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो बाँहें समेटने में समय बर्बाद नहीं करते हैं। उनकी बाँहें अक्सर चढ़ी रहती हैं जो एक अच्छे प्रशासक की निशानी है। प्रधानमंत्री बनने के साथ ही नरेन्द्र मोदी के पहनावे में काफी बदलाव आया है, अब वह पूरी बाँहों के कुर्ते से साथ चूड़ीदार पायजामा और रंगीन नेहरू जैकेट पहनते हैं। प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी पर यह पोशाक शानदार लगती है।

रोज एक जैसी ही पोशाक

दिखावे के इस युग में, लोगों में राजनेताओं के जैसे चलने, बात करने और बैठने आदि के प्रति जागरूकता आ रही है। स्मार्टफोन, टीवी स्क्रीन, समाचार पत्र और होर्डिंगों के माध्यम से आपके कपड़े मतदाताओं पर गहरा प्रभाव डालत रहे हैं।
स्वर्गीय स्टीव जॉब्स की तरह, यह मार्क जुकरबर्ग को लोगों पर एक प्रभावशाली छाप छोड़ने में मदद करता है, क्योंकि वह प्रतिदिन आधी बाँहों की भूरी शर्ट और नीली जीन्स पहनते हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी | कॉमन्स

ममता बनर्जी की साड़ियाँ सोनिया गाँधी की तरह नहीं दिखती है, लेकिन वह हमेशा कई अलग-अलग रंगों वाली सफेद साड़ी पहनती हैं। साधारण सफेद साड़ी पहनने का उनका यह तरीका सादगी पसंद, आंदोलनात्मक और जनता के लिए संघर्ष कर रहे नेताओं पर काफी गहरा प्रभाव डालता है। ममता बनर्जी हुगली बुनकरों द्वारा निर्मित धनिखाली सड़ी पहनती हैं, अब इन साड़ियों को एक ब्रान्ड के रूप में बेचा जा रहा है जो की ममता साड़ी के नाम से प्रचलित है ।

यह ड्रेसिंग स्टाइल की एक स्थिरता है जो एक कुर्ते को मोदी कुर्ते के रूप में परिभाषित करती है और मोदी को मोदी जैकेट के रूप में नेहरू जैकेट को उपयुक्त बनाने में मदद करती है। समायोजन महत्वाकाँक्षाओं का एक जाहिरी अभिकथन भी है – मोदी, नेहरू को राष्ट्र को आकार देने वाले नेता के रूप में प्रतिस्थापित करना चाहते हैं।

1990 के दशक के प्रारंभ में, मायावती ने पोनीटेल के आकार में अपनी चोटी बनवाई थी, क्योंकि एक महिला होने के नाते वे दुनिया भर में अपनी “लौह महिला” की छवि को विस्तारित करना चाहती थीं, जोकि उनके लिए प्रतिकूल साबित हुआ – उनके सुनहरे बालों, गुलाबी सूट और कीमती हैंडबैग ने उनको दलितों की रानी के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि उच्च जाति के राजनेता दलितों को आकर्षित करने के लिए स्वयं को गरीबों जैसा प्रस्तुत कर रहे हैं।

एक राजनेता के रूप में अरविन्द केजरीवाल ऐसे कपड़े पहनते हैं जैसे वे किसी एनजीओ के कार्यकर्ता हों। उनका यह अनाकर्षण, उजड़ापन, सर्दियों में घिसे-पिटे कपड़े पहनना उनकी स्वयं की आंदोलनशीलता और शहरी जमीनी स्तर के संघर्षशील व्यक्ति की छवि को पेश करता है।

अखिलेश यादव अच्छी गुणवत्ता की काली नेहरू जैकेट और सफेद पैंट पहनते हैं जो पायजामे के जैसी नहीं दिखती है, और हमेशा अपने साथ लाल रंग की दो गाँधी टोपियाँ रखते हैं। बस अगर कोई उनमें खो जाता है तो वह यही है कि उनके ऊपर लाल टोपी कितनी शानदार लगती है। लाल रंग के सामने अन्य रंग फीके पड़ जाते हैं।

यह देखते हुए कि सफेद कुर्ता पायजामा भारतीय नेताओं की ड्रेस है और यह किसी को इस भीड़ से अलग नहीं करता है। तेलंगाना के निर्माता और मुख्यमंत्री के.सी.आर. राव सफेद कुर्ता और खादी की सफेद पैंट पहनते हैं। उनके ढीले-ढाले कुर्ते के विपरीत कड़ा कॉलर इस बात की घोषणा करता है कि वह एक दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति हैं। वह 1960 से एक ही दुकान से कपड़ा खरीद और सिलाई करवा रहे हैं। करीब छः दशकों से यह ऐसे ही चल रहा है। 2016 में उन्होंने उसी दुकान से वैसे ही 100 जोड़े सिलने का आर्डर दिया था।

अखिलेश यादव और राहुल गाँधी | ट्विटर

लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले असदुद्दीन ओवैसी, मुस्लिम राजनीति का एक मसीहा बन गए हैं। उनको भूरी शेरवानी और मिलती जुलती टोपी के अलावा आज तक कुछ और पहने हुए नहीं देखा गया है। वे शेरवानी पहनकर हैदराबाद में मोटर साइकिल भी चला लेते हैं। शेरवानी दक्षिण भारत में मुस्लिम कुलीनता की पोशाक है,शेरवानी एक राजनीतिक बयान है: “एक मुस्लिम होने के लिए मुझे कोई खेद नहीं होगा।”

जवाहर लाल नेहरू – सफेद कुर्ते -पायजामे पर काली जैकेट नेहरू का ट्रेडमार्क है। के. नटवर सिंह के अनुसार, नेहरू इसे “कांग्रेस लिवरी” (कांग्रेसी पोशाक) कहते थे।

इंदिरा गाँधी को उनकी साड़ी के बिना सोचना भी मुश्किल है और किस प्रकार वह रैलियों को संबोधित करते समय उसी साड़ी के पल्लू से सिर को ढकती हैं। जिन्ना को उनकी शानदार टोपी, गाँधी को उनके कपड़ों और अंबेडकर को उनके नीले सूट के लिए जाना जाता है। कांशी राम ने बहुजन समाज पार्टी के लिए नीले रंग को चुना था।

लालू यादव की लोटा हेयर स्टाइल, जंगली घास की तरह उनकी आँखों पर आते बाल, उनके उपनगरीय नेता के इतिहास को ध्यान में रखते हुए उन्हें यादवों की प्रतिष्ठा और अवसर प्रदान करते हैं। वह अब भी बिहार के एक दूधवाले जैसे दिखते हैं।

राहुल गांधी सबसे भद्दे कपड़े पहने वाले राजनेता क्यों हैं?

राहुल गांधी के सफेद कुर्ता-पायजामा के बारे में कुछ भी अलग नहीं है। इससे भी बदतर यह है कि वह उनसे असहज महसूस करते है। उनको एक उग्र उच्चारण में “देखो भईया” कहकर अपनी आस्तीन को घुमाते हुए दिखते है। एक रैली में भाषण के दौरान कई बार उन्हें बार-बार नीचे की तरफ गिरती हुई आस्तीन को उन्हें रोल करना पड़ता है। क्या वो व्यक्ति जो अपनी आस्तीन का प्रबंधन नहीं कर सकता है वह देश या यहां तक कि एक पार्टी का प्रबंधन क्या करेगा?

सफेद कुर्ता-पायजामा काम कर सकता था अगर वह कांग्रेस की पोशाक के बारे में गंभीर होते। यह उनके लिये गर्व के साथ उपयुक्त हो सकता के साथ ही साथ इस बात का संकेत दे सकता है कि उन्हें इस विरासत पर जो की उन्हें अपने पूर्वजों से मिली है उस विरासत पर गर्व होई सकता है। लकिन कुर्ता पायजामें के साथ स्पोर्ट्स के जूते कैसे चल सकते है। सर्दियों में कुर्ता पर वो कैजुअल काले जैकेट जो वो पहनते है वो परिष्कृत, उत्तम दर्जे का और औपचारिक दिखने वाले नेहरू जैकेट के विपरीत हैं। वह जैकेट कुर्ता-पायजामा के साथ नहीं जाती है।

वह स्थिरता परीक्षण पर भी विफल रहता है। अक्सर राहुल गांधी को टी-शर्ट और नीली जीन्स में देखा जाता है। पिछले साल जब वे अपनी अमेरिकी यात्रा पर थे, तब उन्हें ढीली फिटिंग जींस को पहने हुए भी देखा गया था जो कि अप्रचलित थी कि उन्हें “डैड जींस” कहा जाता था। यहां तक कि मध्यम आयु वर्ग के पुरुष भी इन दिनों इसे नहीं पहनते हैं।

कपड़े को तो भूल जाओ, राहुल गांधी अपने चेहरे की स्थिरता को नहीं बनाए रख सकते हैं। कुछ दिन वे बिना दाढ़ी में होते है, कुछ दिनों में छोटी दाढ़ी में होते है, और कभी-कभी सफेद और काली मिश्रित दाढ़ी में होते है जो आपको आश्चर्य करती है कि क्या वे देवदास चरण से गुजर रहें है।

राहुल गांधी के पहनावे में इन विसंगतियों के साथ, वह ऐसे व्यक्ति के रूप में आते है जो ड्रेसिंग के बारे में लापरवाह नहीं सकते – कियूकीं कि कितने लोग उनके जैसे बनना चाहते हैं, और इस लिए आप सार्वजनिक जीवन में ऐसा नहीं कर सकते हैं। लोग नहीं जानते कि क्या आप एक ठेठ पुराने शैली के कांग्रेस राजनेता है या युवा नेता हैं, या एक चॉकलेट लड़का जो जीवन की तलाश कर रहा हैं, या एक व्यक्ति मध्य-जीवन में होने वाले संकटो से गुज़र रहा है।

भिन्नता के लिए सिर की टोपी

ड्रेस को बदलाव की भी आवश्यकता है: आखिरकार, मोदी कभी-कभी विदेशी यात्राओं पर सुंदर बंदगले की पोशाक पहनते हैं। इसी प्रकार, राहुल गांधी का तर्क है कि शिलांग के युवा दर्शकों को उन्हें जीन्स और टी-शर्ट में देखने की ज़रूरत थी और इस पोशाक पे जैकेट की आवश्यकता काफी महत्तवपूर्ण थी ।

मेघालय में मोदी| ट्विटर

मोदी के बंद गले की पोशाक अपवाद हैं जिसके माध्यम से वो केवल नियम की सेवा करते हैं। मोदी ज्यादातर अपनी पोशाक नहीं बदलते हैं, वे केवल अवसर के हिसाब से एक सर पर पहेनने वाली टोपी को अपनी पोशाक में जोड़ते हैं। जब हिमाचल चुनाव निकट हैं, तो वे एक इज़राइल यात्रा पर हिमाचल टोपी पहनते है। स्वतंत्रता दिवस पर, वे एक गांव के बुजुर्ग, प्रधान, परिवार के मुखिया की पगड़ी को पहेनते है। यह नेतृत्व को संचारित करता है; यह आपको बताता है कि आदमी पोरी तरह से अपने काम को लेके तत्पर है। एक प्रशंसक आस-पास हवा को उड़ाता है ताकि हवा में अपने सफाफली के किनारे अपने दृश्य प्रभाव को अधिकतम कर सकें।

राहुल गाँधी कही पे एक महंगी Burberry (विदेशी ब्रांड) जैकेट पहने हुए और कहीं पे वह अपने फटे कुर्ता को दिखाकर मतदाता को भ्रमित कर रहे । कोई नहीं जानता कि आप वास्तव में कौन हैं – शायद वे दोनों व्यक्ति झूठ हैं। यह उन्हें अप्रमाणिक रूप में सामने लाता है, और सार्वजनिक जीवन में इससे बदतर नहीं हो सकता है। यहां तक कि फाटा कुर्ता भी विश्वास नहीं दिला पा रहा है क्योंकि वह नीचे जींस पहने हुए थे।

राहुल गाँधी बरबरी जैकेट पहने हुए मेघालय में| ट्विटर

प्रामाणिकता तब होती है जब आप स्वयं वास्तविक होते हैं। असली राहुल गांधी टी-शर्ट-एंड-जींस पहेनने वाले व्यक्ति है । उन्हें इसे अपनी युनिफोर्म (uniform) बनानी चाहिए। कांग्रेस की पोशाक एक अस्वीकृत अनाचारवाद है। कुर्ता-पायजामा का विचार समाजवादी है: आपको जनता के मध्य साधारण व्यक्ति के रूप में दिखना चाहिए। आज का मतदाता महत्वाकांक्षी है।

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