दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सबसे अच्छे भारतीय कार्टून।
चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं जैसे प्रिंट, ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर और इन्हें उचित श्रेय भी मिला है।
मुख्य कार्टून में अरविन्द टीएम ने ’अब हर गाँव में बिजली’ वाले बयान पर सरकार का मजाक उड़ाया है। सरकार की परिभाषा के अनुसार, ’हर गाँव में बिजली’ का अर्थ यह है कि अब हर गाँव पावर ग्रिड से जुड़ा हुआ है लेकिन जरूरी नहीं कि हर घर में बिजली भी हो।
कई कार्टूनिस्टों ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब द्वारा हाल में की गई टिप्पणी को अपने कार्टूनों का विषय बनाया है। मुख्यमंत्री, जिन्होंने पछतावा करने योग्य टिप्पणी में कहा है कि युवाओं को अब सरकारी नौकरी की तलाश करने के बजाय पान की दुकान खोल लेनी चाहिए या दूध वाली गायों को पाल लेना चाहिए।
गोकुल गोपालकृष्णन ने द एशियन एज न्यूज में सुझाव दिया है कि देब अपनी इस टिप्पणी से अपने ऊपर ही थूक रहे हैं। सजीथ कुमार ने देब की टिप्पणी को लेकर अपने व्यंग्यात्मक कार्टून में एक पान वाले के बेटे को दर्शाया है जो पढ़ाई करने के बजाय अपने पिता के पेशे को आगे बढ़ाने जा रहा है।
द हिन्दू में केशव ने लाल किले को अपनाने वाले डालमिया समूह पर ताना मारते हुए सुझाव दिया है कि कार्पोरेट द्वारा संसद भवन की बिक्री तक यह रूकना नहीं चाहिए।
बीबीसी हिन्दी में कीर्तिश भट्ट ने एक मजेदार कार्टून छापते हुए दावा किया है स्वतंत्रता के सत्तर साल बाद हर गाँव में बिजली का दावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री देब के उस दावे का खंडन करता है कि महाभारत के समय में इंटरनेट था।