दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं. जैसे- प्रिंट मीडिया, ऑनलाइन या फिर सोशल मीडिया पर.
आज के फीचर कार्टून में केंद्र सरकार के 2020 में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को पास करने और अब उन्हें संसद में बिना बहस निरस्त करने की गति पर ई.पी. उन्नी तंज़ कस रहे हैं. साथ ही उन्होंने इसे सेंट्रल विस्टा प्रोजेकट से भी जोड़ा है.
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संदीप अध्वर्यु, जॉन एफ. कैनेडी का हवाला देते हुए कह रहे हैं कि गणतंत्र के लिए बहस और आलोचना आधार हैं. वो इसके जरिए जल्दबाजी में कृषि कानूनों को लाने और निरस्त करने पर टिप्पणी कर रहे हैं.
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आलोक निरंतर, पार्लियामेंट के विंटर सेशन से 12 सांसदों के निलंबन पर विपक्ष के विरोध और कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर से चल रहे किसान आंदोलन समेत कई मांगों को उठाते हुए इन्हें एक साथ जोड़कर देख रहे हैं.
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साजिथ कुमार, मुनव्वर फारूकी और कॉमेडियन कुणाल कामरा के शो को रद्द होने के बाद यह सुझाव दे रहे हैं कि दिल्ली की संसद में ‘शो’ कम मनोरंजक नहीं है.
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नाला पोनप्पा, आईआईटी-बॉम्बे और स्टैनफोर्ड से ग्रेजुएट पराग अग्रवाल का ट्विटर के सीईओ के रूप में पदभार संभालने का जिक्र करते हुए वीर दास के ‘दो भारत’ विवाद पर तंज कस रहे हैं.
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कीर्तिश भट्ट दिखा रहे हैं कि एक आम आदमी कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन वेरिएंट से सवाल पूछ रहा है कि क्या उसे दुनिया को बदल कर संतुष्टी नहीं मिली जो उसने अब खुद को बदलना शुरू कर दिया है.
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