दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गये दिन के सबसे अच्छे कॉर्टून
आज के विशेष रुप से प्रदर्शित कार्टून में, संदीप अध्वर्यु कोरोनोवायरस के समय में भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की अन्य बीमारियों पर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं.
मंजुल मौजूदा सरकार पर कटाक्ष करते हैं और बता रहे हैं कि कार्यपालिका विधायिका और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को किस तरह खा रही है.
कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य सेवानिवृत्ति के महज़ छह महीने के भीतर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के राज्यसभा में नामांकन किए जाने पर कटाक्ष कर रहे हैं.
मीर सुहैल उन दावों पर हंस रहे हैं जिसमें कहा जा रहा है कि गोमूत्र कोरोनोवायरस को ठीक करने में मदद कर सकता है.
कीर्तिश भट्ट उन लोगों को साफ-साफ बता रहे हैं जिन्हें इस बात का जरा भी भ्रम है – गोमूत्र कोरोनावायरस को ठीक करने या रोकने में मदद नहीं करता है. वहीं उन्होंने एक एडवाइजरी को भी दिखाने की कोशिश की है.
साजिथ कुमार आईआईटी कानपुर द्वारा स्थापित एक पैनल पर एक कटाक्ष करते हैं, जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया है कि महान कवि फैज़ अहमद फैज़ की हम देखेंगे को पढ़ना सही नहीं था.
मप्र के हालात पर आलोक निरंतर का चित्रण है जो यह बता रहा है कि कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार टूटने की कगार पर है.
(आप लास्ट लाफ्स को अंग्रेजी में भी पढ़ सकते हैं.यहां क्लिक करें)