दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं. जैसे- प्रिंट मीडिया, ऑनलाइन या फिर सोशल मीडिया पर.
आज के विशेष रूप से प्रदर्शित कार्टून में, आर प्रसाद राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस के तीन दिवसीय ‘नव संकल्प चिंतन शिविर‘ पर चुटकी लेते हैं. उनका सुझाव है कि पार्टी को एक विचारधारा की जरूरत है, लेकिन केवल एक ही है जो सामने और केंद्र के नेतृत्व में होगा (पढ़ें: गांधी परिवार).
टाइम्स ऑफ इंडिया में संदीप अधर्व्यु हाईकोर्ट के उस फैसले की ओर इशारा करते हैं जिसने मैरिटल रेप के अपराधिक करार देने को लेकर बंटे हुए फैसले दिये हैं. कार्टूनिस्ट ने वसुधैव कुटुम्बकम के विचार का इस्तेमाल किया है, जिसका मतलब है कि दुनिया एक परिवार है, जिसके समानांतर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरबिया, ईरान और लीबिया को दिखाते हैं, जो कि अच्छे मानवाधिकार के रिकार्ड के लिए नहीं जाने जाते.
आलोक निरंतर ने हाल ही में यह कहने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पर कटाक्ष किया कि भारत ने मुद्रास्फीति के लक्ष्य को इतनी बुरी तरह पार नहीं किया है, जबकि देश बढ़ती कीमतों से जूझ रहा है.
ताजमहल और कुतुब मीनार के इतिहास के इर्द-गिर्द चल रही राजनीति पर कटाक्ष करते हुए कीर्तिश भट देश में बढ़ती महंगाई पर भी निशाना साधते हैं.
इस बीच, साजिथ कुमार राजद्रोह कानून – भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए के तहत आरोपों के संबंध में सभी लंबित ट्रायल्स, अपीलों और कार्यवाही को निलंबित करने वाले सुप्रीम कोर्ट पर ध्यान आकर्षित करते हैं – जब तक कि केंद्र सरकार इसके प्रावधानों की समीक्षा नहीं करती.
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