दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं. जैसे- प्रिंट मीडिया, ऑनलाइन या फिर सोशल मीडिया पर.
आज के फ़ीचर्ड कार्टून में मंजुल ने फैब इंडिया के नए दीवाली थीम वाले विज्ञापन पर तंज़ कसा है. इस विज्ञापन अभियान ‘जश्न ए रिवाज़’ को भारतीय संस्कृति के लिए ‘सम्मान‘ के तौर पर बताया जा रहा था लेकिन कुछ सोशिल मीडिया यूजर्स इसकी आलोचना की. इनमें बीजेपी के सांसद तेजस्वी सूर्या भी शामिल थे, जिन्होंने इसे ‘हिंदू त्यौहारों का जानबूझ कर अब्राहमीकरण किया जाना’ बताया. इसके बाद इस विज्ञापन को हटा लिया गया.
संदीप अध्वर्यु ने भी ‘जश्न-ए-रिवाज़’ की तर्ज पर देश में पेट्रोल-डीज़ल की आसमान छूती कीमतों पर तंज़ किया है.
सजित कुमार केंद्र सरकार के नए आदेश की आलोचना कर रहे हैं जिसमें मंत्रालयों को कैबिनेट के फैसलों के बारे में प्रेस रिलीज़ आसान शब्दों में जारी करने के लिए कहा गया है.
आर. प्रसाद बता रहें कि घाटी में नागरिकों की हत्या सरकार के उन वादों की विफलता है जो उसने कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के बाद किए थे.
ई.पी. उन्नी भी नागरिकों की हत्याओं के कारण जम्मू और कश्मीर से प्रवासी मज़दूरों के वापस लौटने की घटना पर टिप्पणी कर रहे हैं.
नला पोन्नप्पा सब्ज़ियों की बढ़ती कीमतों की आलोचना कर रहे हैं.
कीर्तीश भट्ट बता रहे हैं कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देने की घोषणा ने प्रतिद्वंद्वी दलों के लिए मुश्किल स्थिति पैदा कर दी है.
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